सोमवार, 24 जुलाई 2017

सिर्फ प्रवेश ना करने देने से ही शिवजी ने बालक का वध नहीं किया होगा

शिवजी पर गहरी आस्था होने के कारण श्री गणेश जन्म की इस कथा पर सदा मन में एक  उहा-पोह मची रहती थी, पता नहीं क्यों लगता रहता था कि सिर्फ गृह-प्रवेश से रोकने पर ही प्रभू ने उस  बालक का वध  नहीं किया होगा, उसका कोई न कोई और ठोस कारण जरूर होगा ! पांचेक साल पहले मन को मथती इसी सोच को एक पोस्ट का रुप दिया था। मेरा ध्येय किसी की आस्था या धारणा को ठेस पहुँचाना नहीं है इसलिए इसे अन्यथा ना लें। सावन माह है, सोमवार भी है। एक बार फिर उसी रचना को पोस्ट किया है। दोस्त-मित्रों से उनकी राय का इंतजार करते हुए  ..... 


शिवजी मेरे इष्ट हैं, उनमें मेरी गहरी और अटूट आस्था है। उनकी कृपा मेरे पर सदा रही है, जो एकाधिक घटनाओं में फलीभूत होती महसूस भी हुई है। दुनिया जानती और मानती है कि वे देवों के देव हैं, महादेव हैं। भूत-वर्तमान-भविष्य सब उनकी मर्जी से घटित होता है। वे त्रिकालदर्शी हैं। भोले-भंडारी हैं। योगी हैं।  दया के सागर हैं। वैद्यनाथ हैं। आशुतोष हैं।  
असुरों, मनुष्यों यहां तक कि बड़े-बड़े पापियों को भी उन्होंने क्षमा-दान दिया है। बिना किसी भेद-भाव के सदा सुपात्र को वरदान प्रदान किया है। उनके हर कार्य में, इच्छा में, परमार्थ ही रहता है। इसीलिए लगता नहीं है कि सिर्फ प्रवेश ना करने देने की हठधर्मिता के कारण उन्होंने एक बालक का वध कर दिया होगा। जरूर कोई ठोस वजह इस घटना का कारण रही होगी। उन्होँने जो भी किया होगा, वह सब सोच-समझ कर जगत की भलाई के लिए ही किया होगा। 


घटना श्री गणेशजी के जन्म से संबंधित है, तथा कमोबेश अधिकाँश लोगों  को मालुम भी है कि
कैसे अपने स्नान के वक्त माता पार्वती ने अपने उबटन से एक बालक की आकृति बना उसमें जीवन का संचार कर अपने द्वार की रक्षा करने हेतु कहा था और शिवजी ने गृह-प्रवेश ना करने देने के कारण उसका मस्तक काट दिया था। क्योंकि उन्हें
 उस छोटे से बालक के "यंत्रवत व्यवहार" में इतना गुस्सा, दुराग्रह और हठधर्मिता देखी थी, जिसकी वजह से उन्हें उसके भविष्य के स्वरूप को ले चिंता हो गयी थी। उन्हें लग रहा था कि ऐसा बालक बड़ा हो कर देवलोक और पृथ्वी लोक के लिए मुश्किलें ना खड़ी कर दे ! 


भगवान शिव तो वैद्यनाथ हैं। उन्होंने बालक के मस्तक यानि दिमाग में ही आमूल-चूल परिवर्तन कर ड़ाला। एक उग्र, यंत्रवत, विवेकहीन मस्तिष्क की जगह  एक धैर्यवान,  विवेकशील, शांत,
विचारशील, तीव्रबुद्धी, न्यायप्रिय, प्रत्युत्पन्न, ज्ञानवान, बुद्धिमान, संयमित मेधा का प्रत्यारोपण कर उस बालक को एक अलग पहचान दे दी।
 उन्होंने उस बालक के पूरे व्यक्तित्व को ही बदल देने का निर्णय लिया था। 

पर अपनी रचना का ऐसा हश्र देख अत्यंत क्रोधित माता गौरी इतने से ही संतुष्ट नहीं हुईं, उन्होंने उस बालक को देव लोक में उचित सम्मान दिलवाने की मांग रख दी। शिवजी पेशोपेश में पड़ गये पर पार्वतीजी का अनुरोध भी वे टाल नहीं पा रहे थे, सो उन्होंने और उनके साथ-साथ अन्य देवताओं ने भी अपनी-अपनी शक्तियां उस बालक को प्रदान कीं। जिससे हर विधा विवेक, संयम आदि गुणों ने उसे इतना सक्षम बना दिया कि महऋषि वेद व्यास को भी अपने महान, वृहद तथा अत्यंत जटिल महाकाव्य महाभारत की रचना के वक्त उसी बालक की सहायता लेनी पड़ी।


सरल ह्रदय, तुरंत प्रसन्न हो जाने, सदा अपने भक्तों के साथ रह उनके विघ्नों का नाश करने के गुणों के कारण ही आज श्री गणेश अबाल-वृद्ध, अमीर-गरीब, छोटे-बड़े सब के दिलों में समान रूप से विराजते हैं। वे गणों के  ईश हैं, ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं, इतने रहम दिल हैं कि मूषक जैसे तुच्छ प्राणी को भी जग में प्रतिष्ठा  दिलवाई है। आज देश के पहले पांच लोकप्रिय देवों में उनका स्थान है।  इतनी लोकप्रियता किसी और देवता को शायद ही  प्राप्त हुई हो। इतनी उपलब्धि क्या उस बालक को मिल पाती ? क्या ऐसा ही हुआ होगा ?
#हिन्दी_ब्लागिंग  

9 टिप्‍पणियां:

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस : मनोज कुमार और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर पोस्ट।

Anita ने कहा…

बहुत सही कहा है आपने..गणेश के गज मस्तक का अर्थ है ज्ञान से परिपूर्ण मस्तक, हाथी भी काफी समझदार जानवर है, जो छोटी से छोटी वस्तु भी उठा लेता है और बड़े बड़े वृक्षों को पल में तोड़ देता है.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हर्षवर्धन जी,
रचना शामिल करने का हार्दिक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी,
'कुछ अलग सा' पर सदा स्वागत है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Anita ji,
Hardik Dhanywad

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी,
रचना को स्थान देने का हार्दिक धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही तर्क संगत बात कही आपने, शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ताऊ जी,
पावन पर्व की शुभकामनाएं, सपरिवार स्वीकारें

विशिष्ट पोस्ट

सफलता जोश से मिलती है, रोष से नहीं

ट्रक ड्राइवर ब्लॉगर  राजेश रवानी आज जहां अपने ब्लॉग से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं वहीं कांग्रेस का कुंठित मानस पुत्र  जो इंजीनिरिंग करने के...