- इन तथाकथित बाबा या स्वयंभू संतों का मकड़जाल ठीक तालाबों में उगी जलकुंभी की तरह होता है जो देखने में तो बहुत खूबसूरत होती है पर उसका प्रभाव जल और जलजीवों के लिए जानलेवा होता है। सवाल यह है कि ऐसे लोग किस श्रेणी में आते हैं, आस्तिक या नास्तिक।
- मोटे तौर पर नास्तिक उन लोगों को कहा जाता है जो भगवान या किसी परा-शक्ति के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करते। उनके अनुसार यह सब मनुष्य द्वारा गढ़ित मान्यताएं ही हैं। ऐसे लोग किसी भी संप्रदाय के हो सकते हैं। इस मामले में लोगों को दो भागों में बांटा जा सकता है, पहले वो जो ईश्वर में विश्वास करते हैं और दूसरे वो जो उसके अस्तित्व को सिरे से ही नकार देते हैं। बहस का मुद्दा यह नहीं है कि भगवान है या नहीं, बात यह है कि उन ढोंगी व पाखंडी लोगों को हम क्या कहेंगे जो भगवान की आड़ लेकर जिंदगी की परेशानियों से त्रस्त इंसानों की भावनाओं का फायदा उठा अपनी रोटी को घी से तर-बतर करते रहते हैं।
- विडंबना तो यह है कि ऐसे लोगों की पोल खुलने के बावजूद अच्छे-भले पढ़े-लिखे लोग भी किसी चमत्कार की आशा में उनके जाल में फसते चले जाते हैं। इनका व्यक्तित्व, इनका सम्मोहन, इनकी कलाकारी इतनी जबरदस्त होती है कि जैसे भंवरा फूल की कैद में खुद को फंसा लेता है वैसे ही लोग इन के वश हो जाते हैं। इन तथाकथित बाबा या स्वयंभू संतों का मकड़जाल ठीक तालाबों में उगी जलकुंभी की तरह होता है जो देखने में तो बहुत खूबसूरत होती है पर उसका प्रभाव जल और जलजीवों के लिए जानलेवा होता है।
- सवाल यह है कि ऐसे लोग किस श्रेणी में आते हैं, आस्तिक या नास्तिक। आस्तिक तो ये हो नहीं सकते क्योंकि जो भी आस्तिक होगा उसकी भगवान के प्रति प्रेम, आस्था और श्रद्धा होगी। वह कोई भी गलत काम करने से पहले एक बार सोचेगा जरूर। किसी को हानि पहुंचाते वक्त एक अपराध बोध से जरूर ग्रसित होगा। हाँ नास्तिक के लिए ऐसी कोई अड़चन नहीं होती। उसके अनुसार तो ऐसा कोई है ही नहीं जो उसके कर्मों का लेखा-जोखा रख सके वह तो खुद ही अपनी मर्जी का मालिक होता है। ऐसे लोग खुद को भगवान का प्रतिनिधि और कभी तो खुद को ही भगवान साबित करने में गुरेज ना कर प्रभू के प्रति लोगों के मन में वर्षों से जमे विश्वास, आस्था तथा समर्पण जैसी भावनाओं का भरपूर इस्तेमाल कर उनका हर प्रकार का शोषण करने से बाज नहीं आते। मजे की बात यह है कि शोषित भी अपने नुक्सान को प्रभुएच्छा मान अपने तथाकथित गुरु को दोषी नहीं मानता। ऐसे नास्तिक लोग आस्तिकता का जामा पहन आस्तिक लोगों को नास्तिकता का डर दिखा अपना उल्लू सीधा करते हैं और करते रहेंगें।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
दीपक, दीपोत्सव का केंद्र
अच्छाई की बुराई पर जीत की जद्दोजहद, अंधेरे और उजाले के सदियों से चले आ रहे महा-समर, निराशा को दूर कर आशा की लौ जलाए रखने की पुरजोर कोशिश ! च...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार &...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
1 टिप्पणी:
har ek shabd sachchai liye hue hai-----sarthak post
एक टिप्पणी भेजें