शनिवार, 22 अगस्त 2015

ये लोग आस्तिक हैं या नास्तिक

  1. इन तथाकथित बाबा या स्वयंभू संतों का मकड़जाल ठीक तालाबों में उगी जलकुंभी की तरह होता है जो देखने में तो बहुत खूबसूरत होती है पर उसका प्रभाव जल और जलजीवों के लिए जानलेवा होता है।  सवाल यह है कि ऐसे लोग किस श्रेणी में आते हैं, आस्तिक या नास्तिक। 

  2. मोटे तौर     पर नास्तिक    उन लोगों को    कहा जाता है जो   भगवान  या  किसी  परा-शक्ति के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करते।   उनके अनुसार यह सब मनुष्य द्वारा गढ़ित मान्यताएं ही हैं।    ऐसे लोग किसी भी संप्रदाय के हो सकते हैं। इस मामले में लोगों को  दो  भागों में बांटा जा सकता है, पहले वो जो ईश्वर में विश्वास करते हैं और    दूसरे वो जो उसके अस्तित्व को सिरे से ही नकार देते हैं। बहस का मुद्दा यह नहीं है कि भगवान है या नहीं, बात यह है कि  उन ढोंगी व पाखंडी लोगों को हम क्या कहेंगे जो भगवान की आड़ लेकर जिंदगी की परेशानियों से त्रस्त  इंसानों की भावनाओं का फायदा उठा अपनी रोटी को घी से तर-बतर करते रहते हैं। 
  3. विडंबना तो यह है कि ऐसे लोगों की पोल खुलने के बावजूद अच्छे-भले पढ़े-लिखे लोग भी  किसी चमत्कार की आशा में उनके जाल में फसते चले जाते हैं। इनका व्यक्तित्व, इनका सम्मोहन, इनकी कलाकारी इतनी जबरदस्त होती है कि जैसे भंवरा फूल की कैद में खुद को फंसा लेता है वैसे ही लोग इन के वश हो जाते हैं।  इन तथाकथित बाबा या स्वयंभू संतों का मकड़जाल ठीक तालाबों में उगी जलकुंभी की तरह होता है जो देखने में तो बहुत खूबसूरत होती है पर उसका प्रभाव जल और जलजीवों के लिए जानलेवा होता है। 
  4. सवाल यह है कि ऐसे लोग किस श्रेणी में आते हैं, आस्तिक या नास्तिक। आस्तिक तो ये हो नहीं सकते क्योंकि जो भी आस्तिक होगा उसकी भगवान के प्रति प्रेम, आस्था और श्रद्धा होगी। वह कोई भी गलत काम करने से पहले एक बार सोचेगा जरूर। किसी को हानि पहुंचाते वक्त एक अपराध बोध से जरूर ग्रसित होगा। हाँ नास्तिक के लिए ऐसी कोई अड़चन नहीं होती। उसके अनुसार तो ऐसा कोई है ही नहीं जो उसके कर्मों का लेखा-जोखा रख सके वह तो खुद ही अपनी मर्जी का मालिक होता है। ऐसे लोग खुद को भगवान का प्रतिनिधि और कभी तो खुद को ही भगवान साबित करने में गुरेज ना कर  प्रभू के प्रति लोगों के मन में वर्षों से जमे  विश्वास, आस्था तथा समर्पण जैसी भावनाओं का भरपूर इस्तेमाल कर उनका हर प्रकार का शोषण करने से बाज नहीं आते। मजे की बात यह है कि शोषित भी अपने नुक्सान को प्रभुएच्छा मान अपने तथाकथित गुरु को दोषी नहीं मानता। ऐसे नास्तिक लोग आस्तिकता का जामा पहन आस्तिक लोगों को नास्तिकता का डर दिखा अपना उल्लू सीधा करते हैं और करते रहेंगें।  

1 टिप्पणी:

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

har ek shabd sachchai liye hue hai-----sarthak post

विशिष्ट पोस्ट

इतिहास किसी के प्रति भी दयालु नहीं होता

इतिहास नहीं मानता किन्हीं भावनात्मक बातों को ! यदि वह भी ऐसा करता तो रावण, कंस, चंगेज, स्टालिन, हिटलर जैसे लोगों पर गढ़ी हुई अच्छाईयों की कहा...