सवाल यह था कि कुत्तों ने कार ले भी ली तो वे उसकी देख-रेख-हिफाजत तथा पार्क कहां करेंगे ? लोगों ने तो अपनी कारें खड़ी करने के लिए पार्कों -उद्यानों तक की ऐसी की तैसी कर डाली है, तो ये बिना घर-बार वाले उन्हें कहाँ महफूज रख पाएंगे ? पर एक दिन अचानक मुझे इन सब बातों का हल दिख गया। तब पता चला कि मेरी चिंता कितनी निर्रथक थी.……
एक विज्ञापन के अनुसार कुत्तों को भी कारें खरीदने का मौका और जगह उपलब्ध हो गयी है। विज्ञापन में एक प्यारा सा कुत्ता, जिसे अपनी खुद की कार लेने और चलाने की इच्छा है, कार पाने के लिए सडकों पर गाड़ियों के पीछे दौड़ता रहता है क्योंकि उसे यह नहीं मालुम कि कारें कैसे और कहाँ से मिलती हैं ! फिर उसकी मुलाकात एक "बॉस" टाइप तजुर्बेदार कुत्ते से होती है, जिसकी अपनी कार है और वह उसे चलाता भी खुद है, वह बतलाता है कि हर तरह की चाहे जैसी भी कार लेनी हो उसे फलानी जगह से लिया जा सकता है। फिर क्या था अपना वह मासूम सा कुत्ता भी कार ले आता है और बिंदास सडकों पर दौड़ाता है। अभी तक यह पता नहीं चला है कि उस पर किसी ट्रैफिक संभालने वाले की नज़र पड़ी है कि नहीं।
चलो ठीक है अपुन को क्या लेना-देना कि विज्ञापन यह क्यों नहीं बताता कि उस जगह से क्या सिर्फ कुत्ते ही कार खरीद सकते हैं ? या पेमेंट कैसे होगा ? पर यह सवाल काफी परेशान कर रहा था कि इंसानों की कारें तो उनके घरों से चोरी हो जाती हैं तो इन बेचारों ने कार ले भी ली तो वे उसकी हिफाजत, देख-रेख तथा पार्क कहां करेंगे ? और अभी कोई ऐसी खबर भी नहीं है कि इन लोगों के लिए कोई "हाउज़िंग सोसाइटी" भी बन गयी है। उधर लोगों ने तो अपनी कारें खड़ी करने के लिए पार्कों -उद्यानों तक को नहीं बक्शा है ! खैर पार्किंग तो आपसी समझ-बुझ से ये अपनी गलियों में ही कर लेंगे क्योंकि वहां के तो ये शेर होते हैं, पर सवाल यह है कि बिना घर-बार वाले ये प्राणी अपनी गाड़ियों को महफूज कैसे रख पाएंगे ? पर एक दिन अचानक मुझे उसका हल दिख गया। तब पता चला कि मेरी चिंता कितनी निर्रथक थी। अरे जो पूरे मोहल्ले भर की चौकसी-निगरानी कर सकता है वह अपनी कार नहीं संभाल पाएगा, विश्वास न होता हो तो खुद ही देख लीजिए !!!
इस तरह कई मसले भी एक साथ सुलझ जाते हैं, जैसे कार मालिक होने का गरूर, दूसरे उसकी हिफाजत और तीसरे खुद ओढ़ी हुई मोहल्ले की निगरानी की जिम्मेदारी :-)
7 टिप्पणियां:
Daaynamic Nice Article........
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (27-08-2015) को "धूल से गंदे नहीं होते फूल" (चर्चा अंक-2080) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (27-08-2015) को "धूल से गंदे नहीं होते फूल" (चर्चा अंक-2080) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब कही!
मनोज जी
स्वागत है
शास्त्री जी
राम राम
कविता जी
आभार
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