अधिकांशतः ऐसा होता है कि किसी भी जगह रहने के दौरान वहाँ की
प्रसिद्ध या ऐतिहासिक जगहें इसलिए बिना देखे रह जाती हैं क्योंकि ऐसा लगता है कि वहाँ तो कभी भी जाया जा सकता है या उन्हें कभी भी देखा जा सकता है पर वह "कभी" कभी नही आता. ऎसी ही एक जगह थी, दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास अशोक रोड और बाबा खड्ग सिंह मार्ग की क्रासिंग पर स्थित भव्य और ऐतिहासिक गुरुद्वारा बंगला साहब, जहां वर्षों दिल्ली में रहने और उसके सामने से सैंकड़ों बार गुजरने के बावजूद अंदर जाना नहीं हो पाया था। हालांकि इसका सोने से मढ़ा गुम्बद और ऊंचा निशान साहब दूर से ही बरबस ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। पर कल शनिवार को अचानक इस पावन जगह जाने का सुअवसर बन ही गया।
प्रसिद्ध या ऐतिहासिक जगहें इसलिए बिना देखे रह जाती हैं क्योंकि ऐसा लगता है कि वहाँ तो कभी भी जाया जा सकता है या उन्हें कभी भी देखा जा सकता है पर वह "कभी" कभी नही आता. ऎसी ही एक जगह थी, दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास अशोक रोड और बाबा खड्ग सिंह मार्ग की क्रासिंग पर स्थित भव्य और ऐतिहासिक गुरुद्वारा बंगला साहब, जहां वर्षों दिल्ली में रहने और उसके सामने से सैंकड़ों बार गुजरने के बावजूद अंदर जाना नहीं हो पाया था। हालांकि इसका सोने से मढ़ा गुम्बद और ऊंचा निशान साहब दूर से ही बरबस ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। पर कल शनिवार को अचानक इस पावन जगह जाने का सुअवसर बन ही गया।
सन 1664 में सिक्खों के आठवें गुरु, गुरु हरकिशन जी, यहां राजा जय सिंह की हवेली में आ कर ठहरे थे, जो तब जयसिंघपुरा पैलेस कहलाता था. राजा जय सिंह गुरु जी के अनन्य भक्त थे। उसी समय दिल्ली में महामारी फैल गयी जिसकी चपेट में सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी। गुरु जी ने हवेली में स्थित एक छोटे कुंए के पानी से लोगों का इलाज कर उन्हें रोग-मुक्त किया। बाद में राजा जय सिंह ने उसे सरोवर का रूप दे दिया. आज भी इस सरोवर के पानी को पवित्र माना जाता है।
अभी भी इसके अंदर कुछ न कुछ निर्माण कार्य चलता ही रहता है। जिसमें गुरुद्वारे द्वारा संचालित हायर सेकेण्डरी स्कूल, म्यूजियम, ग्रंथालय, बाहर से आए यात्रियों के लिए बना यात्री-निवास, गाड़ियों के लिए वृहद पार्किंग की जगह तथा विशाल लंगर हाल सम्मलित हैं।गुरुद्वारों की परिपाटी के अनुसार यहां के लंगर हाल में बिना किसी भेद-भाव के सबको भोजन उपलब्ध कराया जाता है जिसमें एक बार में सैकड़ों लोग एक साथ बैठ सकते हैं. इस हाल को वातानुकूलित बना दिया गया है।
शहर के दिल में स्थित, रोजमर्रा की भागम-भाग और शोर-गुल के बावजूद अंदर एक अनोखी शांति का अनुभव होता है जो वहाँ जा कर ही महसूस किया जा सकता है।
2 टिप्पणियां:
सुन्दर आलेख एवं ज्ञानवर्धक पोस्ट...
दिल्ली में रहते हुए भी हम दिल्ली से कितने अनजान हैं...बहुत रोचक प्रस्तुति...
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