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वापस आ मोर के बारे में और जानकारियां हासिल करने के लिए अंतरजाल का सहारा लिया, जिसने बताया कि इस अद्भुत पक्षी का सबसे बड़ा बसेरा मध्य-प्रदेश का मुरैना जिला है. जिसका नाम ही मोरों के कारण पड़ा है। मोर+रैना, यानी जहां मोरों का निवास हो. वह भी शायद अपने देश में सबसे अधिक. 2001 के सर्वे में इनकी गिनती 150000 के ऊपर पायी गयी थी। इसकी एक प्रजाती सफेद रंग की भी होती है, जिसे श्री लंका निवासी माना जाता है.
मोर या मयूर, जैसा कि इसे संस्कृत में पुकारा जाता है, का हमारी संस्कृति से सदियों पुराना साथ रहा है. शायद ही ऐसा कोई ग्रंथ हो जिसमें इसका उल्लेख न किया गया हो. नख-शिख (पैरों को छोड़ दें तो) तक सुंदरता का स्वामी ऋषि-मुनियों-देव-गंधर्व-असुर-मनुष्य सब का चाहता रहा है. इसकी पूंछ पर बनी आँखों जैसी आकृति के कारण इसे हजार आँखों वाला पक्षी भी कहा जाता है.
इसके कोमल-चमकीले, रत्नों जैसी आभा वाले पंख किसी का भी मन मोह लेने केलिए कॅाफी हैं. हालांकि इसके कलाप गिराने के बाद फिर उग आते हैं फिर भी यही सुन्दरता इसकी जान की दुश्मन भी बन जाती है. इसकी पूंछ के पंखों को उत्तम और पवित्र माना जाता है इसीलिए हर धर्म के क्रिया-कलापों में उसका उपयोग सदियों से किया जाता रहा है. .jpg)
5 टिप्पणियां:
bahut badhiya janakari ... kuch alag si :)
आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि विश्व पर्यावरण दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
मोर का सम्बन्ध मुरैना से है, यह जानकारी अन्तरजाल पर है यह तो नही मालूम था लेकिन इस जिले में ( जो मेरा गृह जिला है ) सचमुच मोर काफी मिलते हैं। हालाँकि अब उनकी संख्या कम हो रही है।इसका कारण उसके सजावट और औषधियों में काम आने वाले बेजोड़ खूबसूरत पंख ही हैं। प्राकृतिक रूप से मोर अपने पंख सितम्बर से नवम्बर तक गिराता है उन्ही दिनों दिवाली पर गाय बैलों को पहनाने के लिये मोरपंखों से सुन्दर बन्धन बनाए जाते हैं ।गाँव के बच्चे तडके ही मोरपंख ढूँढने खेतों कछारों की ओर निकल जाते हैं। इस विषय को लेकर मैंने मोरपंख कहानी लिखी थी जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट (दिल्ली) ने एक बहुत सुन्दर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है ।
सुन्दर प्रस्तुति-
बहुत बहुत शुभकामनायें आदरणीय-
गिरिजा जी,
नमस्कार.
अद्भुत है न कि मोरों के नाम से ही किसी जगह का नामकरण हुआ हो. मोर+रैना = मुरैना। पर मानव का लालच प्रकृति की इतनी सुंदर कृति का नाश करने पर उतारू है.
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