मंगलवार, 4 जून 2013

टूटना छींके का बिल्ली के भागों

अपने यहां चुनावों का मतलब त्यौहार है। आमतौर पर त्यौहारों पर आम-जन खुश, उम्मंगित और उत्साहित रहता है। पर बाकी त्यौहारों और इस त्यौहार में मूल फर्क यह होता है कि और उत्सवों पर नागरिक अपनी जेब से पैसा खर्च कर खुश होता है पर चुनावी उत्सव पर सरकार मौका देती है उसे खुश होने का। चुनाव की घोषणा होते ही जनता चातक की तरह इंतजार करने लगती है सरकारी राहत घोषणाओं का और उसका इंतजार बेकार भी नहीं जाता। सालों विभिन्न तरह से जनता की कमाई बटोरने वाली सरकारों की आंखों में ममता छा जाती है, दिल अचानक दया से द्रवित हो उठते हैं। देने के नाम पर कभी एक हाथ न उठाने वाले दस-दस हाथों से कृपा बरसाने लगते हैं। समझते दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से हैं पर मौके पर बही बयार का फायदा उठाने से नहीं चूकना चाहते।        

अब फिर चुनावों की आहट सुनाई देने लगी है। दोनो पक्ष भी तैयार हैं। उसी के तहत कैबिनेट में नोट करीब-करीब बन चुका है जिस पर सहमति और घोषणा होते ही देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र साठ साल से बढ कर बासठ साल हो जाएगी। इस नई व्यवस्था में उन कर्मचारियों के हाथों भी बटेर लग जाएगी जो रिटायरमेंट की दहलीज पर पहुंच बस टापने ही वाले थे।   

आगामी नवम्बर में दिल्ली में होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार ने कर्मचारियों को खुश कर अपने हक में करने के लिए यह दांव खेला है। क्योंकि केंद्र के 85 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी दिल्ली में ही रहते हैं। अगर कैबिनेट में इस फैसले पर मुहर लगती है तो यह तीसरा मौका होगा जब सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाएगी। 

इससे पहले भाजपा की एनडीए सरकार ने 1998 में केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाकर 60 वर्ष की थी। वहीं देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन युद्ध के बाद 1962 में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 58 वर्ष कर दी थी। 

केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ने के बाद अन्य राज्यों के राज्य कर्मचारियों की भी आशा बढ जाएगी। अभी केवल मध्य प्रदेश में कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 साल है। चाहे जो हो जैसे भी हो आने वाला त्यौहार कुछ चेहरों पर खुशी और रौनक तो ला ही देगा। 

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जाने वालों के लिये आनन्द औरों के लिये प्रतीक्षा

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (05-06-2013) के "योगदान" चर्चा मंचःअंक-1266 पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मयंक जी, आभार

P.N. Subramanian ने कहा…

हाँ भाई जी बहती गंगा होगी.

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