एक बार दुर्वासा ऋषि ने पराशक्ति की आराधना कर एक दिव्य हार प्राप्त किया था। इसकी असाधारणता के कारण दक्ष ने उसे ऋषि से मांग लिया था पर गलती से उसने हार को अपने पलंग पर रख दिया। जिससे वह दुषित हो गया और उसी कारण दक्ष के मन में शिव जी के प्रति दुर्भावना पैदा हो गयी,
भागवत के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में विष्णु जी मांस पिण्ड सदृश पडे थे। जिनमें पराशक्ति ने चेतना जागृत की। तब प्रभू के मन में सृष्टि को रचने का विचार आया और उनकी नाभी से कमल और फिर ब्रह्मा जी का उदय हुआ।
ब्रह्मा जी ने मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, ऋतु, वशिष्ठ, दक्ष और नारद को अपने मन की शक्तियों से उत्पन्न किया। नारद जी को छोड इन सभी को प्रजा विस्तार का काम सौंपा गया। नारद जी इन सब को विरक्ति का उपदेश देते रहते थे। जिससे कोई पारिवारिक माया में नहीं फंसता था। इस पर ब्रह्मा जी ने ध्यान लगाया तो उन्होंने जाना कि अभी तक महामाया का अवतार नहीं हो पाया है सो उन्होंने दक्ष को महामाया को प्रसन्न करने का आदेश दिया। दक्ष के कठोर तप से मां महामाया प्रसन्न हुईं और उसे वरदान दिया कि मैं तुम्हारे घर विष्णु जी के सत्यांश से सती के रूप में जन्म लूंगी और मेरा विवाह शिव जी से होगा। बाद में ऐसा हुआ भी, पर !!!
एक बार दुर्वासा ऋषि ने पराशक्ति की आराधना कर एक दिव्य हार प्राप्त किया था। इसकी असाधारणता के कारण दक्ष ने उसे ऋषि से मांग लिया था पर गलती से उसने हार को अपने पलंग पर रख दिया। जिससे वह दुषित हो गया और उसी कारण दक्ष के मन में शिव जी के प्रति दुर्भावना पैदा हो गयी, जिसके कारण यज्ञ का विध्वंस और सती का आत्मोत्सर्ग हुआ। शिव जी उनके शरीर को लेकर उन्मादित हो गये, जगत का अस्तित्व खतरे में आ गया तब विष्णु जी ने अपने चक्र से सती के शरीर को काट कर शिव जी से अलग किया। वही टुकडे जिन 51 स्थानों पर गिरे वे शक्ति पीठ कहलाए। वे स्थान निम्नानुसार हैं :-
1- कीरीट, 2- वृन्दावन, 3- करनीर, 4- श्री पर्वत, 5- वाराणसी, 6- गोदवरी तट, 7- शुचि, 8- पंच सागर, 9- ज्वालामुखी, 10- भैरव पर्वत, 11- अट्टहास, 12- जनस्थान, 13- काश्मीर, 14- नंदीपुर, 15- श्री शैल, 16- नलहटी, 17- मिथिला, 18- रत्नावली, 19-प्रभास, 20-जालंधर, 21-रामगीरी, 22- वैद्यनाथ, 23-वक्त्रेश्वर, 24- कन्यकाश्रम, 25-बहुला, 26- उज्जैयिनी, 27- मणिवेदिक, 28- प्रयाग, 29- उत्कल, 30- कांची,
31- काल माधव, 32- शोण, 33- कामगीरी, 34- जयन्ती, 35- मगध, 36- त्रिस्नोता, 37- त्रिपुरा, 38- विभाष, 39- कुरुक्षेत्र, 40- युगाधा, 41- विराट, 42- काली पेठ, 43- मानस, 44- लंका, 45- गण्डकी, 46- नेपाल, 47- हिंगुला, 48- सुगंधा, 49- करतोयातर, 50- चट्टल तथा 51- यशोद
जय माता की, गलतियां क्षमा हों
जय माता की, गलतियां क्षमा हों
5 टिप्पणियां:
माता को प्रणाम..
अच्छा किया.
रुचिकर जानकारी।
जय माँ सती
maa bhavani shaktipeeth sawangi athner
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