कोशिश करें कि ऐसे खाद्य पदार्थों से जितना बचा जा सके बचे और खाने के बाद यथासंभव गर्म जल का सेवन कर अपने दिल और पेट को थोडा सहयोग प्रदान करें। क्योंकि यदि ये स्वस्थ रहे तभी जिह्वा का स्वाद भी रह पाएगा।
एक सर्वे से यह बात सामने आई है कि खाने के बाद यदि ठंडे पानी की बजाए गुनगुना या गर्म पानी पिया जाए तो ह्रदयाघात की आशंका बहुत कम हो जाती है। वैसे भी इलाज की हर पैथी में खाने के साथ पानी ना पीने या सिर्फ दो-तीन घूंट लेने की सलाह दी जाती है पर खाने के दौरान या तुरंत बाद ठंडा पानी पीना बहुत सकूनदायक लगता है इसलिए अधिकांश लोग खाने के तुरंत बाद पानी जरुर पीते हैं। पर वह खाए गये पदार्थों के तैलीय अंश को और गाढा बना उनके पचने में रुकावट ही डालता है। जिससे पाचन क्रिया बेहद धीमी हो जाती है। जिससे खाद्य पदार्थ पेट के एसिड से मिल जटिल पदार्थों का निर्माण कर देते हैं जो कुपथ्य हो तरह-तरह की बिमारियों का कारण बन जाते हैं। इसलिए ठंडे पानी की बजाए गरम सूप या पानी पीना बहुत लाभदायक होता है।
आजकल समय की कमी, देखा-देखी या फैशन के तहत फ्रेंच फ्राई या बर्गर जैसे फास्ट-फूड का चलन बढता ही जा रहा है जो कि हमारे जठर के सबसे बडे दुश्मन हैं। उस पर इन सब चीजों के साथ बर्फ जैसे ठंडे पेय पदार्थों के सेवन का चलन है जो करेले की बेल को नीम के पेड की संगत दे देते हैं। जो कि हमारे दिल के लिए सबसे ज्यादा खतरा पैदा करने वाले पदार्थ बन जाते हैं। सिर्फ दूसरे देशों से आयातीत खाद्य पदार्थ ही नहीं अपने यहां के समोसे, कचौडी, पूरी, चाट जैसे अति तेल रंजित खाद्य भी इसी श्रेणी में आते हैं। दुकानों इत्यादि में बनने वाले ऐसे पदार्थ और भी हानीकारक हो जाते हैं क्योंकि वहां इस्तेमाल हुआ तेल बदला नहीं जाता, रोज के बचे हुए तेल में ही नया तेल मिला कर उपयोग मे ले लिये जाने के कारण वह तेल खाने के लिहाज से बहुत हानीकारक हो जाता है खास कर हमारे दिल के लिए। इसलिए कोशिश करें कि ऐसे खाद्य पदार्थों से जितना बचा जा सके बचे और खाने के बाद यथासंभव गर्म जल का सेवन कर अपने दिल और पेट को थोडा सहयोग प्रदान करें। क्योंकि यदि ये स्वस्थ रहे तभी जिह्वा का स्वाद भी रह पाएगा।