धन्य हैं वे मुट्टी भर भारत के सपूत जो आज के कदाचार, भ्रष्टाचार, अनाचार से भरे माहौल की तरफ़ ध्यान ना दे अपने देश का नाम रौशन करने में दिन रात जुटे हुए हैं।
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आजादी मिलने के शुरुआती दशक मे जब इसरो की स्थापना की गई थी तब किसी को अनुमान भी नहीं था हमारे जैसा गरीब और सैंकडों समस्याओं से जूझने वाला देश ऐसी उपलब्धि हासिल कर लेगा कि अपने से विकसित देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में पहुंचाने में सक्षम हो जाएगा।
19 अप्रैल, 1975 को अपने पहले उपग्रह आर्यभट्ट को रूसी रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में स्थापित करने के बाद से इसरो ने कभी पीछे मुड कर नहीं देखा। फिर 1999 में पीएसएलवी-सी2 से पहली बार एक विदेशी जर्मन उपग्रह को अंतरिक्ष में भेज अमीर देशों को चमत्कृत कर दिया था। वरना इस क्षेत्र में अमेरिका, यूरोप और रूस का ही दबदबा हुआ करता था। वास्तव में पीएसएलवी भारत का सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान साबित हुआ है, जिससे अब तक पचास से ज्यादा उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित किया जा चुका है, जिनमें 28 विदेशी उपग्रह भी शामिल हैं।

ऐसा नहीं है कि इसरो को सदा सफलता ही मिलती रही है। पर उन असफलताओं से सीख ले कर ही आज यह मुकाम हासिल हो पाया है। जिसकी बदौलत संचार से लेकर खेती तथा मौसम की जानकारियों के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं।
धन्य हैं वे मुट्टी भर भारत के सपूत जो आज के कदाचार, भ्रष्टाचार, अनाचार से भरे माहौल की तरफ़ ध्यान ना दे अपने देश का नाम रौशन करने में दिन रात जुटे हुए हैं।
6 टिप्पणियां:
वाकई में नमन है इन सबको जो दिन रात लगे हैं देशके लिये
बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है, सबको साधुवाद..
देश का गौरव बढ़ाने वाले समाचार मन को अत्यंत प्रफुल्लित करते हैं... इन्हें बार-बार पढ़ने का मन करता है. और अपने सभी साथियों में चर्चा करके एक सर्गिक सुख की अनुभूति होती है.
गगन जी, देश के गौरव को यूँ ही गगनचुम्बी बनाए रखिये. मैंने इस समाचार को सभी साथियों को जोर से पढ़कर सुनाया फिर चर्चा भी की.
इन उपलब्धियों पर गर्व से सिर ऊंचा हो जाता है ...आभार
ऐसे ही लोगों की मेहनत से देश टिका हुआ है। नहीं तो कसर कहां छोडी है मौका-परस्तों ने।
प्रतुल जी हौसला-अफजाई के लिए आभारी हूं।
रविकरजी बहुत-बहुत धन्यवाद।
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