बदलते समय, बदलती मान्यताओं, सफलता लिए अंधाधुन्ध दौड़, रिश्तों में आती ठंडक से बुढाते, समय के साथ अक्षम होते माँ-बाप के मन के किसी कोने में कोई डर तो नहीं घर कर रहा ?
मेरे बच्चे जब तुम हमें एक दिन बूढा और कमज़ोर देखोगे, तब संयम रखना और हमें समझने की कोशिश करना।
अगर हम से खाना खाते वक्त कपड़े गंदे हो जाएं, अगर हम खुद कपड़े न पहन सकें तो जरा याद करना जब बचपन में तुम हमारे हाथ से खाते और कपड़े पहनते थे।
अगर हम तुमसे बात करते वक्त एक ही बात बार बार दोहराएं तो गुस्सा खाकर हमें मत टोकना, धैर्य से हमें सुनना, याद करना, कैसे बचपन में कोई कहानी या लोरी तब तक तुम्हे सुनाते थे जब तक तुम सो नहीं जाते थे।
अगर कभी किसी कारणवश हम न नहाना चाहें तो हमें गंदगी या आलस का हवाला देते हुए मत झिड़कना, क्योंकि यह उम्र का तकाजा होगा। याद करना बचपन में तु्म नहाने से बचने के लिए कितने बहाने बनाते थे और हमें तुम्हारे पीछे भागते रहना पड़ता था।
अगर आज हमें कंप्यूटर या आधुनिक उपकरण चलाने नहीं आते तो हम पर झल्लाना नहीं नाहीं शर्मिंदा होना, समझना कि इन नयी चीजों से हम वाकिफ नहीं हैं और याद करना कि तुम्हे कैसे एक-एक अक्षर हाथ पकड-पकड कर सिखाया था।
अगर हम कोई बात करते करते कुछ भूल जाएं तो हमें याद करने के लिए मौका देना, हम याद न कर पाएं तो खीझना मत। हमारे लिए बात से ज़्यादा अहम है बस तुम्हारे साथ होना और ये अहसास कि तुम हमें सुन रहे हो समझ रहे हो।
अगर हम कभी कुछ न खाना चाहें तो जबरदस्ती मत करना, हम जानते हैं कि हमें कब खाना है और कब नहीं खाना।
अगर चलते हुए हमारी टांगे थक जाएं और लाठी के बिना हम चल न सकें तो अपना हाथ आगे बढ़ाना, ठीक वैसे ही जब तुम पहली बार चलना सीखते वक्त लड़खड़ाए थे और हमने तुम्हे थामा था।
एक दिन तुम महसूस करोगे कि हमने अपनी गलतियों के बावजूद तुम्हारे लिए सदा सर्वेश्रेष्ठ ही सोचा, उसे मुमकिन बनाने की हर संभव कोशिश की। हमारे पास आने पर क्रोध, शर्म या दुख की भावना मन में कभी मत लाना, हमे समझने और वैसे ही मदद करने की कोशिश करना जैसे कि तुम्हारे बचपन में हम किया करते थे।
हमे अपनी बाकी की ज़िंदगी प्यार और गरिमा से जीने के लिए तुम्हारे साथ की जरूरत है। हमारा साथ दो, हम भी तुम्हे मुस्कुराहट और असीम प्यार से जवाब देंगे, जो हमारे दिल में तुम्हारे लिए हमेशा से रहा है।
बच्चे, हम तुमसे प्यार करते हैं।पापा-मम्मी
3 टिप्पणियां:
मार्मिक
सोचने पर मजबूर. यह तो उनके लिए हुआ जिनके बच्चे हैं. जिनके नहीं हैं उनका क्या होगा?
उनका प्यार हमारे स्वार्थ के बाहर खड़ा प्रतीक्षित है।
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