गुरुवार, 26 जुलाई 2012

मुंह बाए खडी है कांग्रेस की जटिल परीक्षा


प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित होते ही राहुल गांधी को सरकार में बडी जिम्मेदारी मिलने की संभावना पर बहस का तेज होना पार्टी के अंदर की कशमकश को उजागर करता है। अब शिद्दत से यह महसूस किया जा रहा है कि युवा पीढ़ी को, जिसका सीधा अर्थ राहुल गांधी ही है, आगे बढ़कर जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। राहुल गांधी ने भी इस बार कुछ दिनों पहले इस बात पर सकारात्मक रुख दिखाया था। यदि पार्टी 2014 में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहती है, तो यही उपयुक्त समय है कि उन्हें मंत्रिमंडल में लाया जाए। फिर प्रणब मुखर्जी के जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में वरिष्ठता क्रम का जो विवाद चल रहा है, वह भी खासकर कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहा। उनके आने से यह विवाद भी स्वत: समाप्त हो जाएगा। 

पर इस राह में जो सबसे बडी अडचन है वह है कि अब तक राहुल अपनी नेतृत्व क्षमता का कोई उचित उदाहरण पेश नहीं कर पाए हैं। पिछले चुनावों में भी उनका प्रदर्शन नकारात्मक ही रहा था। ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव में वह कोई चमत्कार कर पाएंगे, इसकी गारंटी भी नहीं दी जा सकती। लेकिन इससे राहुल गांधी की राजनीतिक संभावनाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पर सोचने की बात यह भी है कि देश की सबसे पुरानी, रसूखदार और बडी पार्टी अभी भी अपने अस्तित्व के लिए पारिवारिक करिश्मे पर ही भरोसा किए हुए है।

पर सच यह भी है कि कोई बड़ी जिम्मेदारी न संभालते हुए भी राहुल पार्टी और सरकार में बड़ी हैसियत रखते हैं। जहां एक तरफ सोनिया गांधी संगठन की सर्वेसर्वा हैं तो दूसरी ओर सरकार के मुखिया पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें जब भी कहा जाएगा, तभी वह राहुल गांधी के लिए प्रधानमंत्री की कुरसी खाली कर देंगे। इसलिए राहुल को सत्ता में आने और उसे संभालने में कोई दिक्कत या अडचन नहीं आने वाली। पर पद संभालने के बाद आने वाली जिम्मेदारी को संभालना, पार्टी एकता को बनाए रखना दूसरी तमाम मुश्किलातों का हल निकालने के साथ सहायक दलों के घाघ नेताओं को मिलाए रखना एक बडी चुन्नौती होगी। इसके साथ ही अपने ही दल के मतलब और मौकापरस्तों, चापलूसों, चाटुकारों और अति महत्वाकांक्षी लोगों की पहचान कर उन्हें भी काबू में रखना पडेगा।   

इन्हीं सब पर पार पाते हुए उन्हें अपनी पिछली विफलताओं को भी  भुलाते हुए अपने-आप को सिद्ध करना होगा। तभी उनका और देश का मार्ग प्रशस्त हो पाएगा। 


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