इस बार की लम्बी अवधी की बेहद गर्म गर्मी से छुटकारे के लिए बडी बेसब्री से पावन पावस का इंतजार था। पर यह कहां अंदाज था कि उसके आते ही ऐसा हो जाएगा।
पहली अच्छी बारिश 18 जून को हुई। रौद्र रूप देख कर सावधानियां बरत ली थीं। पर अचानक फोन ने दम तोड दिया। अब जान नहीं थी तो अंतरजाल रूपी शरीर क्या करता। रोज बी.सी.एन.एल. के अस्पताल में अर्जी लगाने के बावजूद, सरकारी काम जैसा होता है वैसे ही हुआ, आज 19 दिन बाद किसी तरह जान वापस आई है तो हाजिर हूं।
हितचिंतक समय-समय पर सलाह देते रहते हैं कि बिना सुरखाब वाली सेवाएं भी आजमा लो पर पता नहीं, डेढ साल में तीन-तीन बार 26, 22 तथा अब 19 दिन तक तनाव बढाने के बावजूद मोह छुट नहीं पा रहा। चलिए अब तो शुरु हो गया है, बीती ताही बीसार कर आगे की सुध लेते हैं।
पहली अच्छी बारिश 18 जून को हुई। रौद्र रूप देख कर सावधानियां बरत ली थीं। पर अचानक फोन ने दम तोड दिया। अब जान नहीं थी तो अंतरजाल रूपी शरीर क्या करता। रोज बी.सी.एन.एल. के अस्पताल में अर्जी लगाने के बावजूद, सरकारी काम जैसा होता है वैसे ही हुआ, आज 19 दिन बाद किसी तरह जान वापस आई है तो हाजिर हूं।
हितचिंतक समय-समय पर सलाह देते रहते हैं कि बिना सुरखाब वाली सेवाएं भी आजमा लो पर पता नहीं, डेढ साल में तीन-तीन बार 26, 22 तथा अब 19 दिन तक तनाव बढाने के बावजूद मोह छुट नहीं पा रहा। चलिए अब तो शुरु हो गया है, बीती ताही बीसार कर आगे की सुध लेते हैं।
4 टिप्पणियां:
जब जब संभव, तब तब लिखिये
हर जगह वही हाल है....
जी कडा कर फेंकना ही होगा...
:-)
अनु
आपको मुबारकबाद.
बहुत सुंदर :-).
आज का आगरा
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