यदि ऐसा हुआ तो नोटों की फोटो पर भी राजनीति शुरु हो जाएगी। हर कोई किसी ना किसी की फोटो उठाए बैंक के सामने धरना-उपवास करता नज़र आएगा। देश भक्तों, शहीदों, अमर नायकों, वीर सैंनानियों की फोटो छपे ना छपे तथाकथित नेताओं को अपनी फोटो अखबार में छपवाने का मौका जरूर मिल जाएगा।
कभी-कभी नेक इरादे से उठाया गया कदम भी गड्ढे में पड अच्छी खासी मुसीबत को न्योता दे देता है। जैसे बच्चों को फल का स्वाद चखाने के लिए कोई वृक्ष पर निशाना साधे पर खुदा की मार वह मधुमक्खियों के छते पर जा लगे तो अंजाम का अंदाज सहज ही लगाया जा सकता है। आपने अभी हवन करना शुरु भी नहीं किया होता कि कयी ऐरे-गैरे, नत्थू-खैरे आपके आस-पास मंडराने लगते हैं और उनकी धमाचौकडी में आप अपना हाथ जला बैठते हैं।
ऐसा ही कुछ पिछले दिनों हुआ जब आर.बी.आई. (रिजर्व बैंक आफ इंडिया) ने करेंसी नोटों पर गांधी जी के अलावा भी अन्य भारतीय हस्तियों की फोटो छापने की अपनी मंशा प्रगट की। इरादा नेक था पर उसका फायदा उठाने के लिए हाशिए पर उंकडुं बैठे नेताओं और छुटभैयों को जैसे फिर एक मौका मिल गया अपनी डूबती लुटिया को थामने-चमकाने का।
वैसा ही फिर हुआ अभी आर.बी.आई. ने अपने विचार रखे ही थे कि मौका-परस्तों ने अपने नेताओं की लिस्ट धोनी-पौंछनी भी शुरु कर दी। कुछ ने तो शायद भिजवा भी दी हो। जाहिर है कि यदि ऐसा हुआ तो नोटों की फोटो पर भी राजनीति शुरु हो जाएगी। हर कोई किसी ना किसी की फोटो उठाए बैंक के सामने धरना-उपवास करता नज़र आएगा। देश भक्तों, शहीदों, अमर नायकों, वीर सैंनानियों की फोटो छपे ना छपे तथाकथित नेताओं को अपनी फोटो अखबार में छपवाने का मौका जरूर मिल जाएगा। साथ ही शुरु हो जाएगी एक अनंत बहस, तेरे नेता से मेरा नेता कमतर कैसे?
फिलहाल अभी तो चुप्पी है, पर अब देखना यह है कि आगत की आफत का आभास पा कर बैंक क्या रुख अपनाता है यथास्थिति बरकरार रखता है या कोई खास कदम उठाता है।
2 टिप्पणियां:
राजनीति करने के लिए तो कुछ बहाना चाहिए बस ..
एक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
भारत की लाट ही पर्याप्त है, महापुरुषों को न जाने कहाँ कहाँ ले जाते हैं ये नोट।
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