दुनिया में तरह-तरह के पेड़, पौधे, वनस्पतियाँ, लताएं, गुल्म पाए जाते हैं. सबके अपने-अपने गुण-विशेषताएं होती हैं. कईयों के बारे में तो अभी भी पूरी जानकारी नहीं पा सका है इंसान. ऐसी ही प्रकृति की एक अनोखी देन है, सदाबहार नाम का यह पौधा। जिसका वैज्ञानिक नाम "विंका रोजेआ" है।
अपने नाम के अनुसार यह भारत के करीब सभी हिस्सों में सालों-साल पाया जाता है। प्रकृति ने इसे इतनी क्षमता दी है कि यह बिना किसी विशेष सार-संभाल के भी फलता-फूलता रहता है। अपने सफेद-जामुनी रंग के फूलों से लड़ा-फदा यह पौधा बरबस किसी को भी अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। इस पौधे की खासियत है कि इसके फूल तो खाद्य के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं पर इस के बाकी अंग कड़वे और विषाक्त होते हैं।
शोधों से इसके एकाधिक गुणों का पता चला है। जिसमे सबसे चमत्कृत करने वाली बात है कि यह बारूद जैसे पदार्थ को भी निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है। इसी के चलते आज विस्फोटक क्षेत्रों और भंडारण वाली हजारों एकड़ भूमि को यह निरापद बना रहा है। अपने "केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान" द्वारा की गयी खोजों से पता चला है कि इसमें पाया जाने वाला क्षार रक्त कैंसर के उपचार में बहुत उपयोगी होता है। इसके साथ ही यह रक्तचाप को कम करने और मधुमेह जैसी बीमारी को काबू में करने में बहुत सहायक होता है। शोधों के कारण जैसे-जैसे इसकी खूबियों का पता चलता जाता है वैसे-वैसे इसकी मांग भी देश-विदेश में बढती जा रही है. इसीलिए अब इसकी खेती भी की जाने लगी है। यह अनोखा पौधा अब संजीवनी बूटी बन गया है।
इसे लगाना या उगाना बहुत आसान है, इसके डंठल को कहीं भी रोप दिया जाए यह अपनी जिन्दगी शुरू कर देता है। जानकारों का कहना है कि सदाबहार और नीम के ७-७ पत्तों का खाली पेट सेवन करना मधुमेह में काफी उपयोगी होता है।
इसे लगाना या उगाना बहुत आसान है, इसके डंठल को कहीं भी रोप दिया जाए यह अपनी जिन्दगी शुरू कर देता है। जानकारों का कहना है कि सदाबहार और नीम के ७-७ पत्तों का खाली पेट सेवन करना मधुमेह में काफी उपयोगी होता है।
6 टिप्पणियां:
बड़ी दमदार चीज़ है यह तो।
गगन जी,
बेहद उपयोगी जानकारी देते हैं आप हमेशा.
जहाँ इस सदाबहार ने अपने नाम को सार्थक किया..
वहीँ आप भी अपने नाम को 'असीमित जानकारियों को देकर' सार्थक कर रहे हैं...
सच्छे अर्थों में ... आप ब्लॉग-गुरु का दायित्व निभा रहे हैं....
श्रेष्ठ ब्लॉग लिख-लिखकर आप हमें ब्लॉग-जगत पर गर्व करने का अवसर देते हैं.
वाह!
बहुत बढ़िया!
लोहड़ी पर्व के साथ-साथ उत्तरायणी की भी बधाई और शुभकामनाएँ!
प्रतुलजी, बहुत ज्यादा है, इतना तो मैं संभाल भी नहीं पाऊंगा। बस आपसी स्नेह बना रहे यही गुजारिश है।
मयंकजी, आप सबको भी मंगलकामनाएं।
sunder jaankari mili.........
एक टिप्पणी भेजें