मंगलवार, 31 मई 2011

पंजाब यात्रा के दौरान लिए गए कुछ चित्र


वाघा बार्डर

हरमंदिर साहब परिसर में जूते रखने का विशाल स्थान
सरोवर में क्रीडा करती भाग्यशाली मछलियाँ

सरोवर का एक विहंगम दृश्य

हरमंदिर साहब
वह एकमात्र बाहर जाने की संकरी गली जिसे घेर कर डायर ने गोलियां चलवाई थीं.
जलियाँवाला स्मारक
वह कुआं जिसमे गोलियों से बचने के लिए लोग कूद गए
दुर्ग्याना मंदिर का मुख्य द्वार दुर्ग्याना मंदिर, बिलकुल हरमंदर साहब का प्रतिरूप।


6 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

सुंदर चित्र के माध्यम से सारा वृत्तांत कह दिया॥

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह शर्मा जी मजा आ गया सारे चित्र देख कर, लगता हे आप के बच्चो ने चित्र डाले हे, तभी तो रोमन मे लिखा हे, जरुर बतलाये:)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

लगता है हिन्दी वाला साफ़्टवेयर जवाब दे गया।
फ़ोटो चंगी है जी, शुभकामनाएं।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राज जी,
फोटो तो खुद ही ड़ाली हैं। यही तो गड्ड़-मड़्ड़ हो रहा था पिछली पोस्ट में। लिखता कहीं हूं, चिपकाता कहीं हूं, छापता कहीं हूं तो कभी-कभी कमप्यूटर बाबू नाराज हो जाते हैं। "हिंदी कलम" पर लिखता हूं तो दो दिन से वह भी नखरीली हो गयी है। ऊपर से मुझ जैसा "एक्सपर्ट"।
सारा ताम-झाम खुद ही करता हूं। गल्तियां होती हैं पर सीखने को भी मिल जाता है। सिर्फ ब्लाग बनाते समय छोटे बेटे की सहायता ली थी, उसके बाद तो कारवां चल निकला। एक कमी जरूर है कि जब तक सिर पर नहीं पड़ती उसी लीक को पीटता रहता हूं। समय कम रहता है सो जो कुछ बन पाता है उसे तुरंत धकेलने की पड़ी रहती है। इसी कारणवश बहुदा टिपियाने में भी कंजूसी करनी पड़ती है ना चाह कर भी।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

गजब बिल्कुल मेरी यात्रा जैसे ही फ़ोटू है,

Chetan ने कहा…

sundar chitr.

विशिष्ट पोस्ट

भइया ! अतिथि आने वाले हैं

इन्हें बदपरहेजी से सख्त नफरत है। दुनिया के किसी भी कोने में इन्हें अपनी शर्तों का उल्लंघन होते दिखता है तो ये अपने को रोक नहीं पाते और वहां ...