ज्यादातर यही समझा जाता है कि बैंकों में पैसा या कीमती सामान ही रखा जाता है। पर झारखंड के जमशेदपुर मे एक बैंक ऐसा है जिसका पैसों से कोई लेना-देना नहीं है। इस अनोखे बैंक में इंसान की मूलभूत जरूरत कपड़े रखे जाते हैं तथा इसे "कपड़ों का बैंक" के नाम से जाना जाता है।
करीब एक दशक पुराने इस बैंक "गूंज" का मुख्य उद्देश्य देश के उन लाखों गरीब तथा जरूरतमंद लोगों को कपड़े उपलब्ध करवाना है, जो उचित वस्त्रों के अभाव मे अपमान और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम का सामना करते हैं। पूरी दुनिया में अनगिनत लोगों को कपड़ों के अभाव में शारिरिक व मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। भारत के ही कुछ भागों में महिलाओं को उचित वस्त्रों के अभाव में अनेकों बार अप्रिय परिस्थियों से गुजरना पड़ता है।
इसी तरह की परेशानियों से लोगों को रोज दो-चार होता देख, कुछ संवेदनशील लोगों ने मिल कर इस शर्मनाक परिस्थिति से त्रस्त उन अभावग्रस्त लोगों को बचाने के लिए जो हल निकाला, उसी का रूप है "गूंज"।
इसी तरह यदि छोटी-छोटी धाराएं अस्तित्व में आती रहें तो गरीबी के रेगिस्तान में कहीं-कहीं तो नखलिस्तान उभर कर कुछ तो राहत प्रदान कर ही सकता है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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6 टिप्पणियां:
अच्छा कार्य है संस्था का.
वाह संस्था तो बहुत ही अच्छा काम कर रही है उसकी जानकारी देने के लिए धन्यवाद | क्या इसकी कोई शाखा मुंबई में भी है |
जमशेदपुर में पूरा बचपन गुजरा है, फिर भी यह जानकारी बिलकुल नई है. शुक्रिया बताने के लिए. बहुत याद आने लगा अचानक से अपना जमशेदपुर आपके पोस्ट में इसका ज़िक्र होने के बाद.
अच्छी जनकारी आपके ब्लाग पर मिली। मेरे एक मित्र हैं। उनका मूल निवास एक पिछ्ड़े इलाके में है। उन्होंने अपने इलाके गरीब लोगों के लिए एक ऐसा अभियान चला रखा है। अपने परिचितों से उनके उपयोग में न आ रहे वस्त्रों माँग कर वे इकठ्ठा करते हैं। बोरों में भरवा कर अपने क्षेत्र में ले जाते हैं। और जरूरतमंद लोगों को बाट देते हैं।इस प्रकार के अभियान प्रसंशनीय हैं। -डॉ० डंडा लखनवी
बहुत प्रशसनीय प्रयास...बैन्क जो लोगो की जरुरत पुरी करे, लोगो को मदद के लिये एक सन्स्था मिले और वह जरुरत मन्द तक पहुन्च जाये ....सार्थक जानकारी दी आपने..
AGAR YAH BANK MERE NAJADIK HOTA,TO MAI DHER SARE KAPADE DETA.GOOD WORK.MERISUBH KAMANA IS SANSTHA KO PAHUNCHAE.
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