विश्व विजेता गामा एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है जो जीतेजी किंवदन्ती बन गया था। इतना बड़ा पहलवान होने के बावजूद वह एक सीधा-साधा, सरल ह्रदय, सादगी पंसद, घमंड से कोसों दूर रहने वाला तथा नियमों का कठोरता से पालन करने वाला इंसान था। आंधी हो, तूफान हो, ठंड हो या गर्मी वह कभी भी अखाड़े जाने मे चूक नहीं करता था। बिना नागा सबेरे चार बजे वह जोर आजमाने अखाड़े मे पहुंच जाता था।
बहुतेरी बार वहां उसे पहले से ही जोर आजमाते दो-तीन लोग मिल जाते थे। जो इसे देखते ही कहते थे "आओ ददा कुछ जोर आजमाईश हो जाए। गामा भी उन कुछ जाने-अनजाने लोगों की ओर ध्यान ना दे कुश्ती के दांव-पेंच आजमाने लग जाता था। पर वह कभी भी उन्हें पछाड़ने में सफल नहीं हो पाता था, उल्टे उन्हीं में से कोई गामा को जमीन सुंघा देता था। इसे आश्चर्य तो होता था पर फिर अपनी कमी को दूर करने के लिए दूगने उत्साह से मेहनत करने लग जाता था।
ऐसे ही एक दिन जब गामा अखाड़े पहुंचा तो उसने वहां सिर्फ एक ही आदमी को कसरत करते पाया। उस व्यक्ति ने गामा को देखते ही कहा कि आओ गामा भाई आज कुछ जम कर कुश्ती की जाए। गामा तो गया ही था जोर आजमाने। काफी देर की कुश्ती के बाद नाहीं वह व्यक्ति गामा को पछाड़ सका नाहीं गामा उसे। थोड़ी देर बाद उस आदमी ने गामा की पीठ पर जोर से अपना हाथ मार कर कहा "गामा, मैं तुझसे बहुत खुश हूं। जा आज से तुझे दुनिया में कोई नहीं हरा पाएगा। तेरी इस पीठ को कोई भी कभी भी किसी भी अखाड़े की जमीन को नहीं छुआ पाएगा।" ऐसा कह कर वह आदमी गायब हो गया।
उस दिन गामा को समझ आया कि महीनों वह जिनके साथ कुश्ती के दांव-पेंच आजमाता रहा था वे दिव्य आत्माएं थीं। दतिया राज्य के पुराने महल के अंदर सैयदवली की मजार है, लोगों का विश्वास है कि वही स्वंय गामा को दांव-पेंच मे माहिर करने के लिए उसके साथ जोर आजमाया करते थे।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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7 टिप्पणियां:
वाह शर्मा जी,
रोचक जानकारी दी आपने।
वाकई ’कुछ अलग सा’ है आपका ब्लॉग।
आभार।
बहुत रोचक जानकारी मिली, आभार.
रामराम.
अब दारा सिंह पर भी कुछ हो जाय :)
सच में रोंगटे खड़े हो गए पढ़ कर
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ
ये पोस्ट पढ़ कर आपके ब्लॉग का टाइटल समझ में आ गया सच्ची
इस पोस्ट के लिए आभार
धन्यवाद जी, इस सुंदर जानकारी के लिये
दिलचस्प वाकया सुनाया.
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