मंगलवार, 6 नवंबर 2018

नरकासुर वध तथा सोलह हजार बंदी युवतियों की मुक्ति

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बना युद्ध में शामिल कर उन्हीं की सहायता से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई तथा बंदी गृह से सोलह हजार युवतियों को मुक्त करवाया। युवतियां मुक्त तो हो गयीं पर सामाजिक विरोधो और मान्यताओं के चलते भौमासुर द्वारा बंधक बनकर रखी गई इन नारियों को कोई भी अपनाने को तैयार नहीं था, तब अंत में श्रीकृष्ण ने सभी को आश्रय दिया और उन सभी कन्याओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। उन सभी को श्रीकृष्ण अपने साथ द्वारिकापुरी ले आए। वहां वे सभी कन्याएं स्वतंत्रता पूर्वक अपनी इच्छानुसार सम्मानपूर्वक रहने लगीं..........!

#हिन्दी_ब्लागिंग     
आज के ही दिन श्री कृष्ण जी ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध कर उसके बंदीगृह से सोलह हजार युवतियों को मुक्त करवाया था। भागवत पुराण के अनुसार तीनों लोकों में हाहाकार मचाने वाला
सोलह हजार युवतियों की मुक्ति 
भौमासुर भूमि माता का पुत्र था। जिस समय विष्णु जी ने वराह अवतार ले कर भूमि को समुद्र से निकाला था, उसी समय उनके और भूमि देवी के संयोग से एक पुत्र ने जन्म लिया
था। भूमि पुत्र होने के कारण वह भौम कहलाया। पर पिता एक परम देव और धरती जैसी पुण्यात्मा माता होने के बावजूद अपनी क्रूरता के कारण उसका नाम भौमासुर पड़ गया ! पर दिनोदिन उसका व्यवहार पशुओं से भी ज्यादा क्रूर, निर्मम और अधम होता चला गया उसकी इन्हीं करतूतों के कारण उसे नरकासुर कहा जाने लगा।     
नरकासुर 
कहते हैं जब रावण वध हुआ उसी दिन पृथ्वी के गर्भ से उसी स्थान पर नरकासुर का जन्म हुआ, जहाँ सीता जी का जन्म हुआ था। सोलह वर्ष की आयु तक राजा जनक ने उसे पाला; बाद में पृथ्वी उसे ले कहते हैं जब रावण वध हुआ उसी दिन पृथ्वी के गर्भ से उसी स्थान पर नरकासुर का जन्म हुआ, जहाँ सीता जी का जन्म हुआ था। सोलह वर्ष की आयु तक राजा जनक ने उसे पाला; बाद में पृथ्वी उसे ले गई और विष्णु जी ने उसे प्रागज्योतिषपुर का, गई और विष्णु जी ने उसे प्रागज्योतिषपुर का, जो आज का असम प्रदेश है, राजा बना दिया। नरकासुर ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर के वर प्राप्त कर लिया था कि उसे देव-दानव-असुर-मनुष्य कोई नहीं मार सकेगा। कुछ दिनों तक तो नरकासुर ठीक से राज्य करता रहा, किन्तु समय की लीला तथा वाणासुर के सानिद्ध्य के कारण उसमें सारे अवगुण राक्षसों के भर गए।  
युद्धरत सत्यभामा और श्रीकृष्ण 
नरकासुर ने इंद्र को हराकर उसको स्वर्ग से बाहर निकाल दिया था। उस के अत्याचार से देवतागण तथा धरती पर संत-मुनि-मानव सभी त्राहि-त्राहि कर रहे थे। वह वरुण का छत्र, अदिति के कुण्डल और देवताओं की मणि छीनकर त्रिलोक विजयी हो गया था। जिससे अहंकार से भर महाअत्याचारी बन गया था। चूँकि उसको श्राप मिला हुआ था कि उसका वध एक स्त्री द्वारा होगा, इसलिए उसका अत्याचार उनके प्रति भी बहुत बढ़ गया था। उसने अपने रनिवास में सोलह हजार एक सौ स्त्रियों को बंदी बना कर रखा हुआ था।  
नरकासुर का अंत 
पर जब हर चीज की अति हो गयी तो सुर-नर सब मिल कर श्री कृष्ण जी के पास गए और नरकासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। प्रभू ने उन सब को आश्वसान दिया। चूँकि नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बना युद्ध में शामिल कर उन्हीं की सहायता से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई तथा बंदी गृह से सोलह हजार युवतियों को मुक्त करवाया। युवतियां मुक्त तो हो गयीं पर भौमासुर के यहां इतने दिन रहने के कारण सामाजिक विरोधों और मान्यताओं के चलते इन को कोई भी अपनाने को तैयार नहीं था, तब अंत में श्रीकृष्ण ने सभी को आश्रय दिया। उन सभी कन्याओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। श्री कृष्ण उन सब को अपने साथ द्वारिकापुरी ले आए। जहां वे सभी कन्याएं स्वतंत्रता पूर्वक अपनी इच्छानुसार, सम्मानपूर्वक रहने लगीं। 

जब नरकासुर के त्रास से जगत को चैन और शान्ति मिली उसी की खुशी में दूसरे दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीए जलाए । तभी से नरक चतुर्दशी तथा दीपावली का त्योहार मनाया जाने लगा।

4 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं|


ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/11/2018 की बुलेटिन, " जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवम जी, सबसे बड़े पर्व की, आपको तथा आपके पूरे परिवार को मेरे और मेरे परिवार की तरफ से, हार्दिक शुभकामनाएं

cgdekho ने कहा…


Good Blog with good Pictures, i really like it.We provides Good Blog with good Pictures, i really like it.

Chhattisgarh Tourism Spot

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Thanks a lot to chhattisgarh Tourism

विशिष्ट पोस्ट

दीपक, दीपोत्सव का केंद्र

अच्छाई की बुराई पर जीत की जद्दोजहद, अंधेरे और उजाले के सदियों से चले आ रहे महा-समर, निराशा को दूर कर आशा की लौ जलाए रखने की पुरजोर कोशिश ! च...