इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
बुधवार, 24 नवंबर 2010
कहते हैं कि भगवान जो करता है वह अच्छे के लिए करता है, पर यह कैसी अच्छाई है
छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में एक सवा दो साल के मासूम बच्चे की दरिंदों ने अपनी मन्नत पूरी करने के लिए बलि चढ़ा दी। ऐसी हैवानियत कहाँ से इंसान के अन्दर प्रवेश कर जाती है। किस तरह दिल करता है एक निश्छल, मासूम बच्चे का, जिसका कोई कसूर नहीं, जिसे दुनियादारी की कोई समझ नहीं, जिसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं , क़त्ल करने को। कैसी बुद्धि हो जाती है, कैसे कोई समझ लेता है कि इस तरह के पाप से ऊपरवाला खुश हो इस घृणित कर्म करने वाले से खुश हो जाएगा। यदि भगवान कहीं है और वह सबका भला चाहते हैं तो फिर वह कौन है जो इस तरह के कुकर्म करने के लिए इंसान को उकसाता है उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर किसी के घर की रौनक को मातम में बदलवा कर रख देता है ? क्या उसके सामने प्रभू भी बेबस हैं ?
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4 टिप्पणियां:
दुर्बुद्धियों को सद्बुद्धि क्यों नहीं मिलती. पता नहीं...
देने वाले ने तो सभी को बुद्धि दी है बस उसका प्रयोग सभी नहीं करते है |
दुखद है !
INHE SAJA MILANI CHAHIYE AUR AAS -PAS KE LOG JAGARUK BANE TO AISE KRITYO KO SOME HOW ROKA JA SAKATA HAI.
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