कभी इनकी बोलियों पर भी ध्यान दीजिए तो पाएंगे कि अलग-अलग परिस्थितियों में इनकी आवाज का सुर भी अलग-अलग होता है ! प्रेमालाप में अलग राग ! सामान्य अवस्था में अलग तान ! गुस्से में अलग सा निनाद और खतरा भांपते ही भीषण चीत्कार ! जो भी है इन नन्हें मासूम परिंदों की अपनी अलग दुनिया भले ही हो पर ये ना हों तो हमारी जिंदगी भी बेरंग हो जाए...................!
#हिन्दी_ब्लागिंग
चिड़ियों-पक्षियों के लिए दाना-पानी तो तकरीबन सभी मुहैया करवाते हैं, पर इन अतिथियों की हरकतों पर नजर कम ही जाती है ! उनकी अपनी दिनचर्या होती है, हमारे अपने क्रियाकलाप ! पर पिछली करोना की महाविपदा में समय की प्रचुरता ने इनकी चुहुलबाजी की ओर भी ध्यान दिलवाया और तभी से इनकी गतविधियां मेरे मनोरंजन का वॉयस बन गई हैं ! कोशिश रहती है कि सुबह-सबेरे कुछ पल इनके लिए भी सुरक्षित रह पाएं !
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पेड़ ही पेड़ |
प्रभु की कुछ कृपा ही रही है कि जहां भी मेरा रहना होता आया है, वहां वृक्षों की बहुतायद होती ही है ! इसी का सुखद परिणाम है कि जहां कॉलोनियों में कौवे कहीं नजर तक नहीं आते, वहीं मेरे यहां रोज उनकी आवक दर्ज होती रहती है। आसपास चीलें भी मंडराती दिखती हैं ! कोयल की कूक सदा की तरह सुनाई तो देती है, मोहतरमा खुद नहीं दिखतीं ! एक बार तो पता नहीं कहां से एक मोर भी भटकता हुआ आ गया था। पर चिंताजनक बात यह है कि हमारी प्यारी छुटकी सी गौरैया अब दिखाई नहीं पड़ती ! उसका अस्तित्व खतरे में पड़ा हुआ है ! खैर बात मौजूदा मेहमानों की हो रही थी, जिनकी थोड़ी-थोड़ी पहचान भी होने लगी है। इनमें मेरे यहां प्रसाद ग्रहण करने वालों में दो जोड़ी कौवे, मैना के दो युगल, दस-पंद्रह कबूतर, ढ़ेर सारे तोते तो तक़रीबन नियमित हैं ! कभी-कभी भूले-भटके दर्शन देने वालों में बया, नीलकंठ, फुदकी, बुलबुल और भी पता नहीं कौन-कौन, इक्का-दुक्का, मेरे लिए अजनबी, अपना हिस्सा ले फुर्र हो जाते हैं !
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कुछ ही समय पहले इनकी ऐसी धमा-चौकड़ी होती थी, अब खोजे नहीं मिलतीं |
कौवे, जिन्हें शायद ही कोई पसंद करता हो, मुझे बहुत ही नफासत-पसंद लगे ! वे चुपचाप आकर अपने भोजन के पास बैठते हैं, गर्दन घुमा जायजा लेते हैं ! सतर्क रहते हुए जो भी खाना हो, उसका एक हिस्सा अपने पंजे में दबा, थोड़ा-थोड़ा खाना शुरू करते हैं या फिर चोंच में भर उड़न छू ! मेरा मानना है कि चोंच भर कर ले जाने वाली जरूर माँ होगी ! यह जीव कभी भी भोजन को बिखराता या इधर उधर गिराता नहीं है ! इनके द्वारा पानी भी बड़े सलीके से पिया जाता है ! ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgQmCO2enUqCsVHev_SlvnSNSdADt92IiV-wQ3q6pRBYWH8CWZObRmR3GY3ip30D4BWwy88tLZQXLfmWhcEz-QAa9YnQi8T4lNvrVwap2JPqU2qyJc3l9JyVnK7H60OqQI54ctw_0fN0BujTUyX-iYeY1sRXHRLww1tnIBqrJWCY7GXmb-0JmfujUPexDw/s1600/th.jpeg) |
सलीका |
इसके ठीक उलट हमारे कबूतर महाराज हैं ! उन्हें शायद खाद्य के छोटे टुकड़े करने नहीं आते ! एक टुकड़ा चोंच में दबा गर्दन झटक-झटक कर उसे खाने लायक बनाते हैं, इस प्रक्रिया में खाते कम गिराते-बर्बाद ज्यादा करते हैं ! गंदगी फैलाने में भी इनकी अहम भूमिका होती है। एक दूसरे को धकियाते-भगाते भी रहते हैं ! इनका पानी पीने का अंदाज भी कुछ अलग है, चोंच में जरा पानी ले गर्दन ऊपर झटक उसे निगलते हैं ! ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhO-UZzFZW1FPXd7KKqFAIfpye4_pWCJwYLXKd4U25Q0MRd-LTEvw5Jx2FsNjnWkRA5_uiUY5HPzFqJWDzUqCYKrmkXNc949e2Vb3qQyyIdajjtLK7DCiw_Wq_duhXoGM4fCq5skFtLtrloES90mMoav-WhX63EDygvW_mrIMARzYWgWwBvF93lqzU71Hs/s1600/IMG_20210218_152827.jpg) |
आज नो झगड़ा |
मैना अपने में मस्त रहती हैं ! मुख्य ढेर के अलावा बेझिझक इधर-उधर घूमते हुए, गिरे हुए कण भी चुग लेती हैं ! हर बार अपना ही घर समझ यह पाखी जोड़े में ही आता है। उपरोक्त सारे पक्षी जितने शान्ति प्रिय लगते हैं, तोते उतना ही शोर मचाते हैं ! हर समय चीखते-चिल्लाते इधर-उधर मंडराते हैं ! उनको कुछ खा कर भागने की भी बहुत जल्दी रहती है ! उनको पानी पीते नहीं देख पाया हूँ कभी ! जो भी हो पर होते बहुत सुन्दर हैं, प्रकृति की एक अद्भुत कलाकारी ! इन्हीं के बीच दौड़ती-भागती सदा व्यस्त रहने वाली गिलहरी का तो कहना ही क्या, उसके तो अपने ही जलवे होते हैं ! ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhuRF9SkYbjISpVK0-ZUqYpMuknPAK85X3XLyG2NphNlfto4d8KwLTITekDBqRhl_4k3J2P9g38J495L-CG2QEqIPtgZJApGh1Xt0LsSH-SPUvtcMimX9s_5CCSnEAXkMGquettuxbw-Q_1HOVDvmi4vw_lJK1xKH2XCjRADMZEAFwOyZ2hyphenhyphengSaLKRDABE/s1600/IMG_20210308_090218.jpg) |
मस्तमौला |
एक बात जो सबसे ज्यादा चकित करती है वह है इन सारे पक्षियों का आपसी ताल-मेल ! कभी-कभार छोड़, कोई भी किसी दूसरी प्रजाति के साथ छीना-झपटी या धक्का-मुक्की करते नहीं दिखता ! बिना किसी को हैरान-परेशान किए धैर्य पूर्वक अपनी बारी का इन्तजार कर अपना हिस्सा प्राप्त करते हैं ! उनकी प्यारी हरकतें, प्रयास, चुहल से एक हल्केपन का एहसास होने लगता है। तबियत तनाव मुक्त हो जाती है !![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhfyHzhk4OGtT-P-enPoSHFdwgwDkEUs0sKemNyfFHi47dJDPUvcJfOY7Z39Ipaa22wQdWpE2cWPC8tW9uHJW2spIzrdZpcLA20BBD7Am_k5GGspDqBVUSLxpiEpezVM4vH7SmAMheW6NNQv2f0ZtHRkx5PGfnRPyo-TV0i-rNBmQIKBowIP-4Kg5UHbD0/s1600/InkedIMG_20210218_152934_LI.jpg) |
अपनी बारी का इन्तजार |
अब ऐसा है कि जब ये जीव आपके आस-पास रहते, मंडराते हैं तो भोजन के अलावा अपनी और भी जरूरतें यहीं से तो पूरी करेंगे ! इसलिए इनका जब घोंसला बनाने का समय आता है तो कुछ घरेलू चीजों पर आफत आ जाती है ! झाड़ू के तिनके, चिक के कपड़े का धागा, कहीं से झांकती रूई, पौधों की सूखी डंडियां, ऊन के टुकड़े, पालीथीन के छोटे टुकड़े और ना जाने क्या-क्या, जो इनको अपने मतलब लायक लगता है उसे साधिकार उठा ले जाते हैं ! यह सारा प्रयोजन किसी छोटे बच्चे की शैतानी की तरह होता है, जो शरारत करते समय लगातार आपकी प्रतिक्रिया का भी अंदाज लगाता रहता है !![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg5SZ8CouQagNZ_iMoW8YQ3OTD4l9zVaN9d_7TMKXzDSqR2I1D6gWOG0JRFNJ0VSMYRGAGQCvCS_Pa2adhLjxgiNXFPenqVDlf1j9TGvkJ7PNckDngLVd-PcxTP8tPKhK-Wm9q6AR7ixC9YO_m_dHbGmco13B7GzajCRaFSy2OALY70qfAQEpT4WtyDxTI/s1600/IMG-20210213-WA0026.jpg) |
हीरामन |
कभी इनकी बोलियों पर भी ध्यान दीजिए तो पाएंगे कि अलग-अलग परिस्थितियों में इनकी आवाज का सुर भी अलग-अलग होता है ! प्रेमालाप में अलग राग ! सामान्य अवस्था में अलग तान ! गुस्से में अलग सा निनाद और खतरा भांपते ही भीषण चीत्कार ! जो भी है इन नन्हें मासूम परिंदों की अपनी अलग दुनिया भले ही हो पर ये ना हों तो हमारी जिंदगी भी बेरंग हो जाए !
6 टिप्पणियां:
सुन्दर
बहुत सुंदर
व्वाहहहहह
बढ़िया अंक
सादर वंदन
सुशील जी,
आभार 🙏
ओंकार जी,
हार्दिक आभार 🙏
दिग्विजय जी,
अनेकानेक धन्यवाद 🙏
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