मंगलवार, 15 अक्तूबर 2024

उल्टा पानी, जहां पानी ढलान से ऊंचाई की ओर बहता है

दुनिया भर में हर जगह पानी अपनी फितरत के अनुसार ऊपर से नीचे की ओर गिरता या बहता है। पर अपने देश के छत्तीसगढ़ राज्य के एक मुख्यालय अंबिकापुर के एक जिले सरगुजा के एक कस्बे मैनपाट के पास जंगलों में स्थित एक छोटे से गांव बिसरपानी के नजदीक बहने वाली एक छोटी सी जलधारा में बहता हुआ पानी, सारी कायनात और विज्ञान के सभी नियम-कानून-जानकारियों को धत्ता बता, गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के विपरीत, नीचे से ऊपर की ओर चलता है यानी ढलान से ऊंचाई की ओर बहता है...........!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

प्रकृति सदा अपने बंधे-बंधाए नियमों के अनुसार ही चलती है। उसके सिद्धांतों में कभी फेर-बदल नहीं होता। इसी लिए लाखों-करोड़ों साल से यह विश्व टिका हुआ है। पर कभी-कभी इसी धरा पर कुछ ऐसे अजूबों से भी हमारा सामना हो जाता है, जिन्हें देख अपने अज्ञानवश हमें लगता है कि वे ना कायनात से मेल खाते हैं ना हीं विज्ञान सम्मत हैं ! ऐसा ही एक अजूबा है, छत्तीसगढ़ के मैनपाट इलाके में स्थित एक जलधारा, जिसका पानी प्रकृति और विज्ञान की मान्यताओं और अपने स्वभाव के विपरीत नीचे से ऊपर की ओर बहता है यानी ढलान से ऊंचाई की तरफ चलता है ! इसी अनोखे और अचंभित कर देने वाले चमत्कार के कारण उस जगह का नाम उल्टा पानी पड़ गया है !    

  

उल्टा पानी, जलधारा 

दुनिया भर में हर जगह पानी अपनी फितरत के अनुसार ऊपर से नीचे की ओर गिरता या बहता है। पर अपने देश के छत्तीसगढ़ राज्य के एक मुख्यालय अंबिकापुर के एक जिले सरगुजा के एक कस्बे मैनपाट के पास जंगलों में स्थित एक छोटे से गांव बिसरपानी के नजदीक बहने वाली एक छोटी सी जलधारा में बहता हुआ पानी सारी कायनात और विज्ञान के सभी नियम-कानून-जानकारियों को धत्ता बता, गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के विपरीत, नीचे से ऊपर की ओर चलता है यानी ढलान से ऊंचाई की ओर बहता है और इसका कारण अभी तक वैज्ञानिक भी समझ नहीं पाए हैं ! 

नीचे से ऊपर बहता पानी 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से तकरीबन पौने चार सौ कि.मी और मुख्यालय अंबिकापुर से लगभग 55 कि.मी. की दूरी पर विंध्य पर्वतश्रेणी में समुद्र तट से 3781' की ऊंचाई पर स्थित है मैनपाट नाम का कस्बा। जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता तथा मौसम की वजह से छत्तीसगढ़ का शिमला कहलाता है। इसी से करीब 8-9 कि.मी. की दूरी पर बसे हुए एक छोटे से गांव बिसरपानी के पास ही है वह जलधारा, जो उल्टा पानी के नाम से प्रसिद्ध है। 


सरकारी प्रमाण 

वैज्ञानिक इसे कुछ और ना मान आँखों का धोखा (Eye Illusion) निरूपित करते हैं। उनके अनुसार सिर्फ ऐसा महसूस होता है कि पानी नीचे से ऊपर जा रहा है, जबकि ऐसा है नहीं ! पर वे यह नहीं बता पाते कि जब उसी पानी में कागज की नाव छोड़ी जाती है तो वह नीचे आने की बजाय ऊपर की ओर क्यों जाने लगती है ! वैसे भी यहां पानी में हाथ डालने पर उसके बहाव की दिशा का अंदाज भी लग जाता है ! 

टाइगर जलप्रपात 

उल्टा पानी की तरह ही यहां एक और अजूबा भी है, जहां न्यूट्रल गियर में डली गाड़ियां धीरे-धीरे ऊपर खिसकने लगती हैं ! जो यहां किसी चुंबकीय क्षेत्र के होने का आभास भी देती हैं ! इसी कारण ऐसी संभावना भी बनती है कि हो सकता है कि इस क्षेत्र का चुंबकीय आकर्षण इतना ज्यादा हो जो इस जगह के गुरुत्वाकर्षण पर भी बहुत भारी पड़ता हो और उसी की वजह से पानी जैसा तरल भी ऊंचाई की ओर बढ़ने लग जाता हो ! जो भी हो इन बातों का जवाब ढूंढना वैज्ञानिकों के लिए एक चुन्नौती तो है ही। 

तिब्बती पैगोडा 

रिहन्द और मांड नदियों का यह उद्गम स्थल कभी अपने अजूबों के कारण भूतिया कहलाता था। पर पर्यटन विभाग के अथक और अनवरत प्रयासों के फलस्वरूप अब मैनपाट में साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है, जबकि अभी भी यह पूरी तरह पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं हुआ है ! एक समय 1962 में चीन से आए तिब्बती शरणार्थियों को भी यहीं बसाया गया था। आज उल्टा पानी के अलावा टाइगर प्वाइंट, मेहता प्वाइंट, दलदली, फिश प्वाइंट जैसी जगहों के साथ-साथ यहां के तिब्बती मंदिर, तिब्बती बाजार और तिब्बती खानपान भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। हो सके तो ऐसी जगहों पर भी जरूर जाना चाहिए। 

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर जानकारी | नेहरू जी को भी पता नहीं होगी :)

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