शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

दो उँगलियों द्वारा बना V चिन्ह, कहां से आया यह

  • ये अंग्रेज-वंग्रेज या कहिए पूरा पश्चिम ही हमारे सामने किसी बात पर भी कहां टिकते हैं ! इस चिन्ह की ईजाद तो हमने पहली शताब्दी ईसा पूर्व ही कर दी थी ! जब इस अंग्रेजी भाषा का उदय भी नहीं हुआ था ! याद कीजिए कालिदास और विद्योत्तमा का मौन शास्त्रार्थ ! जब जगत में पहली बार कालिदास जी की इन दो उंगलियों की मुद्रा ने विजय ही नहीं दो प्रतिद्वंदियों का आपस में विवाह तक करवा दिया था ! पर हमने कभी इस बात का प्रचार नहीं किया ! खुश होने दिया चर्चिल को...................!    

  • #हिन्दी_ब्लागिंग 
  • आजकल एक चलन सा ही बन गया है, जिसे देखो, कोई भी मौका हो, अपने हाथ की, तर्जनी और मध्यमा दो उंगलियां उठाए, पोज़ बना फोटो खिंचवाने में लगा हुआ है ! फिर चाहे मौका जीत की खुशी का हो, चाहे वह कहीं आ-जा रहा हो, चाहे किसी शादी-ब्याह की सामूहिक फोटो हो, चाहे कोई व्यापारिक, शैक्षणिक या राजनैतिक समारोह हो या फिर कैमरे से सेल्फ़ी ही क्यों न ली जा रही हो, बिना इस चिन्ह का अर्थ समझे दो उंगलियां उठाए लोग मिल जाएंगे कहीं भी ! इधर कुछ ही वर्षों में इस चिन्ह का हर जगह दिखना-दिखाना आम होता चला गया है। 

  • हमारे यहां तो हाथ की उंगलियों से योग की विभिन्न मुद्राएं प्राचीन काल से चलन में हैं ! पर यह अंग्रेजी वर्णमाला के V अक्षर को victory यानी जीत से जोड़ने वाली मुद्रा कहां से आई ? कहते हैं कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल वह पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने 1943 में इस V चिन्ह का प्रयोग व्यापक रूप से तब किया गया था जब मित्र राष्ट्रों ने द्वितीय विश्व युद्ध में जीत हासिल की थी। इसे अक्सर "विजय" के संकेत के रूप में समझा और लिया जाता है। 

  • चर्चिल 
  • पर ऐसा भी माना जाता है कि 1943 से भी बहुत पहले इस तरह के V साइन का इस्तेमाल 1415 ई. में एगिनकोर्ट की लड़ाई में अंग्रेजी धनुषधारियों द्वारा, पराजित फ्रांसीसी सेना का मजाक उड़ाने के लिए किया गया था। तीर-धनुष के द्वारा दुश्मन पर घातक प्रहार करने के लिए अंग्रेज धनुषधारी इन्हीं दो उंगलियों को काम में लाते थे। उपहास स्वरूप इन्हीं दो उंगलियों को फ्रांसीसी सेना को दिखा, यह जताते थे कि तुम्हें हराने के लिए तो बस इन दो उंगलियों की ही जरूरत है।   

  • सकारात्मक मुद्रा 

    नकारात्मक मुद्रा 
  • वैसे V चिन्ह का सकारात्मक अर्थ इस बात पर निर्भर करता है कि हाथ किस तरह से रखा गया है यानी उसकी स्थिति क्या है। यदि हाथ की हथेली सामने की तरफ हो तब तो वह सकारात्मक संदेश देता है। पर यदि हथेली सामने वाले के विपरीत हो यानी अंदर की तरफ हो तो इसे कई देशों में यथा ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम इत्यादि में अपमानजनक इशारा माना जाता है। इसलिए किसी भी चीज को अपनाने के पहले उसकी पूरी जानकारी होनी आवश्यक होती है। 

  • विद्योत्तमा तथा कालिदास का शास्त्रार्थ 
  • चलते-चलते एक बात यहां कहना जरुरी है कि ये अंग्रेज-वंग्रेज या कहिए पूरा पश्चिम ही हमारे सामने किसी बात पर भी कहां टिकते हैं ! इस चिन्ह की ईजाद तो हमने पहली शताब्दी ईसा पूर्व ही कर दी थी ! जब इस अंग्रेजी भाषा का उदय भी नहीं हुआ था ! याद कीजिए कालिदास और विद्योत्तमा का मौन शास्त्रार्थ ! जब जगत में पहली बार कालिदास जी की इन दो उंगलियों की मुद्रा ने विजय ही नहीं दो प्रतिद्वंदियों का आपस में विवाह तक करवा दिया था ! पर हमने कभी इस बात का प्रचार नहीं किया ! खुश होने दिया चर्चिल को.......!
  • @संदर्भ तथा सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 🙏 

6 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रवींद्र जी
सम्मिलित कर मान देने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी,
हार्दिक आभार आपका 🙏

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रचार का ज़माना है ... कई बातों का श्रेय गोर ले ही चुके हैं ये भी सही ...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

नासवा जी,
सदा स्वागत है आपका

Jyoti dehliwal ने कहा…

रोचक जानकारी।

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