मंगलवार, 15 नवंबर 2022

हाथ से खाना, बिना छुरी-कांटे के

भारत सरकार के औपचारीक भोजों में सभी को कटलरी का उपयोग करते हुए ही भोजन करने की इजाजत है ! यदि कोई हाथ से खाना चाहे तो इसकी अनुमति नहीं है ! हो सकता है कि विदेशी मेहमानों की उपस्थिति के कारण ऐसे नियम बने हों ! पर क्या इन्हें बदला नहीं जा सकता ! यूनानी या रोम वासी खाते समय कभी कटलरी का प्रयोग नहीं करते ! दुनिया के अनेक भागों में अतिथि को ऐसा भोजन परोसना, जो छुरी से काटना, फाड़ना या छेदना पड़े, असभ्यता माना जाता है....!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

जैसे-जैसे देश के लोगों में जागरूकता बढ़ रही है वैसे वैसे हमारी संस्कृति, परंपराओं, रीती-रिवाजों की अच्छाइयां सामने आने लगी हैं। देशी-विदेशी कुचक्रों के तहत हमारे संस्कारों को उपहास का पात्र बना, पीछे धकेलने की साजिशों से भी निजात पाई जा रही है। सनातन काल से चली आ रही हमारी दिनचर्या से जुडी आदतों, काम करने के तरीकों के वैज्ञानिक, पर्यावरण तथा सेहत के अनुकूल तथा हानिरहित होने के कारण अब तथाकथित विकसित देश भी उन्हें मानने और सम्मान देने लगे हैं। पर अपने ही घर में, अपने ही कुछ लोगों को अभी भी सद्बुद्धि की जरुरत है !

शरीर और जिंदगी के लिए सबसे जरुरी चीज है, भोजन ! एक ओर जहां पश्चिमी देशों में चम्मच-कांटे से खाने का चलन है तो हमारे यहां हाथों से खाना आम बात है। इस तरीके की काफी आलोचना होती रही है। अंग्रेजियत के खुमार से ग्रसित लोग इसे पिछड़ेपन की निशानी भी करार देते रहे हैं ! उनके अनुसार इससे संक्रमण का खतरा रहता है। लेकिन अब कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि हाथों से खाने पर भोजन का स्वाद बढ़ जाता है ! न्यूयॉर्क की स्टीवन्स यूनिवर्सिटी में लगभग 50 लोगों पर एक प्रयोग के दौरान सब को कुछ पनीर दिया गया, जिसे आधे प्रतिभागियों को हाथ से खाना था और आधे लोगों को चम्मच से ! निष्कर्ष यह निकल कर आया कि जिन लोगों ने हाथों से चीज़ खाई थी, वे उसे बेहद ज्यादा स्वादिष्ट बता रहे थे, जबकि बाकियों के लिए वह एकऔसत स्वाद था। 

भारत में हाथ से खाने का चलन तो है लेकिन अलग-अलग प्रदेशों में कुछ नियमों के तहत कई अलिखित सावधानियां भी बरती जाती हैं ! जिनमें भोजन के पहले जूते वगैरह उतार, हाथ-पैर धोना जरुरी होता है ! उत्तर भारत में खाते हुए अंगुलियों का ही इस्तेमाल किया जाता है, यहां पूरी हथेली से खाना अच्छा नहीं माना जाता ! पर वहीं दक्षिण में हथेली और अंगुलियों दोनों का ही उपयोग आम है ! इसके अलावा खाने के लिए दाहिने हाथ का ही ज्यादातर उपयोग किया जाता है ! ये चलन लगभग पूरे देश में है। पारंपरिक खाने के अलावा बहुत कम ही चीजें हैं, जिनके लिए चम्मच का उपयोग होता है, जैसे तरल पदार्थ, दही-खीर-हलुवा या आइसक्रीम वगैरह !

वैसे दक्षिण भारत में न केवल हाथ से खाने का चलन है, बल्कि यहां केले के पत्तों पर खाना खाया जाता है। आज भी वहां बहुत से घरों समेत रेस्त्रां में भी ये एक आम बात है। नई खोजों में यह बात सामने आई है कि केले के पत्तों में पॉलीफेनॉल्स नामक प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट के साथ-साथ एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं जिससे कई बीमारियों से बचाव हो जाता है। इसके अलावा सबसे बड़ा फायदा है ये है कि केले के पत्ते में भोजन करने से हमारे शरीर में कोई रासायनिक तत्व नहीं जाता है ! 

आयुर्वेद के अनुसार, हमारी पांच उंगलियां पांच तत्व हैं। अंगूठे को अग्नि, तर्जनी को वायु, मध्यम उंगली को आकाश, अनामिका यानी रिंग फिंगर को पृथ्वी और छोटी उंगली को जल का प्रतिनिधि कहा जाता है। जब व्यक्ति इन पांच उंगलियों की मदद से भोजन करता है, तो ये पांचों तत्व प्रेरित हो जाते हैंऔर उनकी ऊर्जा भोजन में प्रवेश कर हमारे शरीर में पहुंच जाती है ! हाथ से भोजन करने के दौरान जो एक मुद्रा बनती है, वह भोजन को शरीर केअनुकूल और पाचन में सहायक होती है। हमारे वेदों के अनुसार, हाथ से खाने का सीधा असर चक्रों पर पड़ता है और हाथ के इस्तेमाल से खून के प्रसार में भी इजाफा होता है ! हाथ से खाना खाने के समय हमारे हाथ "टेंपरेचर सेंसर" की तरह काम करते हैं। इसलिए हम बहुत ज्यादा गर्म या ठंडे खाने से होने वाले नुक्सान से भी बच जाते हैं ! 

ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के औपचारीक भोजों में सभी को कटलरी का उपयोग करते हुए भोजन करने की इजाजत है ! यदि कोई हाथ से खाना चाहे तो इसकी अनुमति नहीं है ! हो सकता है कि विदेशी मेहमानों की उपस्थिति के कारण ऐसे नियम बने हों ! पर क्या इन्हें बदला नहीं जा सकता ! यूनानी या रोम वासी खाते समय कभी कटलरी का प्रयोग नहीं करते ! दुनिया के अनेक भागों में अतिथि को ऐसा भोजन परोसना, जो छुरी से काटना, फाड़ना या छेदना पड़े, असभ्यता माना जाता है ! 

सबसे मुख्य बात कि हमारा भारतीय भोजन ज्यादातर हाथ से खाने वाला ही होता है ! अब मक्के-बाजरे की रोटी या गेहूं के परांठे वगैरह छुरी कांटे से तो नहीं ही खाए जा सकते ! यहां तक कि आज का अत्यधिक लोकप्रिय खाद्य पिज्जा भी हाथ से ही बेहतर तरीके से खाया जा सकता है ! यदि आमिष भोजन की बात करें तो वह भी हाथ से खाने में ज्यादा सुरक्षित रहता है ! इसलिए हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि बिना किसी  दिखावे या पूर्वाग्रह के हम जहां तक हो सके हाथों से ही भोजन ग्रहण कर उसका पूरा फायदा और आनंद ले सकें।   

8 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

वाक़ई हाथ से खाने में जो स्वाद आता है वह कटलरी की तामझाम से नहीं आता, पर कई बार उनका इस्तेमाल करना पड़ता है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
हर चीज के अपने फायदे हैं ! परिस्थिति व समयानुसार हर चीज की अपनी उपयोगिता है !

Kamini Sinha ने कहा…

आपने सही कहा सर,हर चीज की अपनी उपयोगिता है,धीरे-धीरे ही सही भारतीय जीवन शैली का महत्व सभी को समझ आ रहा है और अपनाया भी जा रहा है।
महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डालता सार्थक लेख लिखा है आपने,सादर नमन

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
सदा स्वागत है आपका !

Abhilasha ने कहा…

सत्य एवं सार्थक

Jyoti Dehliwal ने कहा…

गगन भाई, हाथ से खाना खाने की उपयोगिता के बारे में बहुत ही सविस्तर जानकारी युक्त आलेख लिखा है आपने।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अभिलाषा जी,
सदा स्वागत है आपका !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ज्योति जी
कब और कैसे, धीरे-धीरे हमें अपनी विरासतों से दूर कर दिया गया हमें आभास ही नहीं हो पाया

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