शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

मिसिंग टाइल सिंड्रोम, जो पास नहीं है उसका दुःख

जीवन में आगे बढ़ना, तरक्की करना, बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उद्यम कर उसे हासिल करने की कोशिश करते रहना बुरी बात नहीं है ! ऐसा होना भी चाहिए ! परन्तु हमेशा इसी का चिंतन करके परेशान रहना, जो हासिल है उसे नजरंदाज करना, तनाव को बुलावा देना है ! फिर ऐसा भी नहीं है कि जो हमारे पास नहीं है, वह यदि किसी तरह हमें मिल जाए तो हम संतुष्ट हो जाएंगे ! लालसा एक ऐसी मनोवृत्ति है जो कभी संतुष्ट नहीं होती, एक चीज मिली तो दूसरी के लिए यह जागृत हो जाएगी ! यही अनियंत्रितता हमें कभी भी खुश नहीं रहने दे सकती ! खुश रहने के सैंकड़ों कारण होने के बावजूद दुखी होने का एक कारण हमें विचलित कर देता है...........! 

#हिंदी_ब्लागिंग 
एक बार एक शहर में एक व्यवसाई ने अपने होटल के नवीकरण के दौरान उसमें एक विश्वस्तरीय स्विमिंग पूल बनवाया। साफ-स्वच्छ पानी के इंतजाम के साथ-साथ उसमें चारों ओर बेहतरीन इटैलियन टाइल्स लगवाए ! परन्तु संयोगवश एक स्थान पर एक टाइल नहीं लग पाया ! होटल के खुलने पर वहाँ पर्यटकों की लाइन लग गई ! जो भी आता वह स्विमिंग पूल की सुंदरता का कायल हुए बिना नहीं रहता ! हरेक का ध्यान बेहतरीन टाइल्स की खूबसूरती पर मुग्ध हो रह जाता ! हर कोई बड़े ध्यान से इस कलाकारी को देखता और प्रशंसा करते नहीं थकता ! पर जैसे ही उसकी नजर उस मिसिंग टाइल पर पड़ती, वहीं अटक कर रह जाती ! उसके सारे हाव-भाव बदल जाते ! वह दुखी व खिन्न हो जाता ! वहाँ से लौटने वाले हर व्यक्ति की एक ही शिकायत होती कि पूल में एक टाइल मिसिंग है। हजारों टाइल्स की सुंदरता के बावजूद वह एक टाइल उसके दिमाग में पैबस्त हो रह जाती ! हरेक को उस टाइल की जगह को देख कर बहुत दुःख होता कि इतना परफेक्ट बनाने के बावजूद एक टाइल रह ही गई। तो कई लोग प्रबंधन को सलाह भी देते कि जैसे भी हो उस जगह को ठीक करवा दिया जाए। बहरहाल वहां से कोई भी खुश नहीं निकलता ! इतना सुन्दर निर्माण भी लोगों को खुशी नहीं दे पाया !
दरअसल उस स्विमिंग पूल में वो मिसिंग टाइल एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग था, इस बात को सिद्ध करने के लिए कि हमारा ध्यान कमियों की तरफ ही जाता है ! कितना भी खूबसूरत कुछ बन पड़ रहा हो पर यदि कहीं जरा सी चूक रह गई तो हमारा ध्यान उसी पर जाएगा ! उदाहरण स्वरूप आप कहीं साफ-स्वच्छ, कितना भी कीमती कपड़ा टांग कर उस पर तिल भर का एक काला दाग लगा दें तो लोगों की निगाह कपडे की सुंदरता पर न जा कर उस दाग पर ही जाएगी ! अभी हाल ही में मैंने अपनी संस्था की पत्रिका निकाली ! वर्तनी की जांच के बावजूद प्रिंटर से एक चूक हो गई ! अब पत्रिका की दसियों अच्छाइयों के बावजूद लोग मुझे उस कमी के बारे में बताने से नहीं चूकते !  
यह टाइल वाली बात एक मनोवैज्ञानिक समस्या है, जिसे ''मिसिंग टाइल सिंड्रोम'' नाम दिया गया है और जो कमोबेस तकरीबन हर इंसान में मौजूद होती है ! किसी चीज की ''मिसिंग'' पर ही हमारा ध्यान जाना, हमारी जिंदगी के दुःख का सबसे बड़ा कारण है ! जो हमारे पास है, उससे हम उतना खुश नहीं होते जितना कि जो हमारे पास नहीं है उसके लिए दुखी होते हैं
यह टाइल वाली बात एक मनोवैज्ञानिक समस्या है, जिसे ''मिसिंग टाइल सिंड्रोम'' नाम दिया गया है और जो कमोबेस तकरीबन हर इंसान में मौजूद होती है ! किसी चीज की ''मिसिंग'' पर ही हमारा ध्यान जाना, हमारी जिंदगी के दुःख का सबसे बड़ा कारण है ! जो हमारे पास है, उससे हम उतना खुश नहीं होते जितना कि जो हमारे पास नहीं है उसके लिए दुखी होते हैं ! अपने आस-पास ही हमें ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे, जिसमें लोग उन्हें क्या-क्या मिला है, उस पर खुश होने की जगह उन्हें क्या-क्या नहीं मिल पाया है, उस पर दुखी रहते हैं। अपनी उसी एक कमी के पीछे सारा जीवन परेशान रहते हैं। 
जीवन में आगे बढ़ना, तरक्की करना, बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उद्यम कर उसे हासिल करने की कोशिश करते रहना बुरी बात नहीं है ! ऐसा होना भी चाहिए ! परन्तु हमेशा इसी का चिंतन करके परेशान रहना, जो हासिल है उसे नजरंदाज करना तनाव को बुलावा देना है ! फिर ऐसा भी नहीं है कि जो हमारे पास नहीं है, वह यदि किसी तरह हमें मिल जाए तो हम संतुष्ट हो जाएंगे ! लालसा एक ऐसी मनोवृत्ति है जो कभी संतुष्ट नहीं होती, एक चीज मिली तो दूसरी के लिए यह जागृत हो जाएगी ! यही अनियंत्रितता हमें कभी भी खुश नहीं रहने दे सकती ! खुश रहने के सैंकड़ों कारण होने के बावजूद दुखी होने का एक कारण हमें विचलित कर देता है ! इसकी वजह से ही कई तरह की बीमारियां हमें आ दबोचती हैं ! इसलिए सही समय पर इस मनोवृत्ति पर काबू पाना बहुत जरुरी है ! इसके लिए जो कुछ भी अपने पास है उसके लिए प्रभु को धन्यवाद दें ! उसका शुक्र मनाएं उसके द्वारा दिए गए अनगिनत उपहारों हेतु ! सदा खुश रहने का यह सीधा-सादा सबसे सरल तरीका है !  

2 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
मान दे सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार🙏

Onkar Singh 'Vivek' ने कहा…

वाह वाह वाह! अर्थदर्शी अभिव्यक्ति।

विशिष्ट पोस्ट

"मोबिकेट" यानी मोबाइल शिष्टाचार

आज मोबाइल शिष्टाचार पर बात करना  करना ठीक ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जा रहा हो ! अधिकाँश लोग इन सब ...