छाता प्रजाति जीवों की उन विशेष श्रेणी को कहा जाता है, जिनके संरक्षण से धरती की अन्य प्रजातियों को भी संरक्षित कर पर्यावरण को संतुलित करने में सहायता मिलती है ! इनमें पशु और पक्षी दोनों ही सामान रूप से सम्मिलित होते हैं ! ये संरक्षण क्षेत्रों के आकार, संरचना और पारिस्थितिक तंत्र को बचाए रखने में भी मदद करते हैं। ये भले ही अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, अन्य जीवों को रहत पहुंचते हैं, इसीलिए इन्हें छाता या अंब्रेला प्रजाति कहा जाता है .......!
#हिन्दी_ब्लागिंग
हमारे यहां एक प्रथा कुछ वर्षों से काफी चलन में है, वह है विरोध ! सरकार द्वारा कुछ भी हो रहा हो या किया जाए तुरंत एक खास पूर्वाग्रही, कुंठित, विघ्नसंतोषी तबका उसके विरोध में चिल्ल-पों मचाना शुरू कर देता है ! उस काम के औचित्य पर, उसके प्रयोजन पर, उसके परिणाम पर सवाल उठाने आरंभ कर दिए जाते हैं ! भले ही वह काम देश के या लोगों के हित में ही क्यों ना हो ! अभी देश की ग्रासलैंड इकोलॉजी को सुधारने के लिए विलुप्त हो चुके चीतों के पुनर्स्थापन की योजना के तहत नामीबिया से आठ चीते, जिनमें पांच मादा तथा तीन नर हैं, लाए गए ! इस पर उनको लाने और जगह विशेष में बसाने पर भी ऐसे लोगों को राजनीती नजर आने लगी ! जबकि यह पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक था !
किसी भी देश से दूसरे देश में जीवों को लाने ले जाने के IUCN (International Union for Conservation of Nature) के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरुरी होता है ! उसी के तहत चीतों के लिए पांच राज्यों के 10 जगहों को तय किया गया था ! जो सात अलग-अलग तरह के लैंडस्केप पर मौजूद हैं. छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास नेशनल पार्क ! गुजरात में बन्नी ग्रासलैंड्स ! मध्यप्रदेश में डुबरी वाइल्डलाइफ सेंचुरी, संजय नेशनल पार्क, बागडारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी, नॉराडेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी और कूनो नेशनल पार्क ! राजस्थान में डेजर्ट नेशनल पार्क वाइल्डलाइफ सेंचुरी और शाहगढ़ ग्रासलैंड्स और उत्तर प्रदेश की कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी !
फिर काफी सोच-विचार मश्शकत के बाद राजस्थान के मुकुंदारा हिल्स टाइगर रिजर्व, शेरगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और भैंसरोर गढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी तथा मध्यप्रदेश की गांधी सागर वाइल्डलाइफ सेंचुरी, माधव नेशनल पार्क को भी आजमाया गया ! पर अंत में हर दृष्टिकोण से श्योपुर स्थित कूनो नॅशनल पार्क ही हर कसौटी पर खरा उतरा ! जहां स्पेशल हवाई जहाज से, विशेष व्यवस्था और निगरानी के तहत नए मेहमानों को ला कर, प्रधान मंत्री मोदी जी द्वारा उनके इस नए आवास में छोड़ा गया !
चीते का हमारे संस्कृत ग्रंथों में चित्रक यानी चित्तीदार के रूप में विवरण मिलता है ! नवपाषाण युग की गुफाओं में भी इनके चित्र मिलते हैं ! आशा है, करीब सत्तर साल बाद आए, दुनिया के सबसे तेज धावक, हमारे इन नए मेहमानों को यहां स्थाई निवासी बनने, रहने, पनपने में कोई अड़चन नहीं आएगी ! उनका परिवार फलेगा-फूलेगा ! इसके साथ ही इस इलाके में पर्यटन बढ़ेगा ! लोग चीतों को देखने आएंगे ! जिससे राज्य और देश को भी फायदा होगा !
@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से, आभार
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16 टिप्पणियां:
चितो के बारे में बहुत ही उम्दा जानकारी दी है आपने।
ज्योति जी
हार्दिक आभार ! सदा स्वागत है आपका🙏🏻
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१९-०९ -२०२२ ) को 'क़लमकारों! यूँ बुरा न मानें आप तो बस बहाना हैं'(चर्चा अंक -४५५६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
अनीता जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद 🙏🏻
बहुत ही अच्छी सामयिक प्रस्तुति
कविता जी
सदा स्वागत है आपका 🙏🏻
ज्ञान वर्धक प्रस्तुति।
सुन्दर सार्थक एवं ज्ञानवर्धक लेख ।
अमृता जी
हार्दिक आभार आपका🙏
सुधा जी
अनेकानेक धन्यवाद🙏
विस्तृत जानकारी के लिए आभार सर।
सादर।
श्वेता जी
ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका 🙏🏻
चीतों का सुस्वागतम और अभिनंदन।कुनो के हरितिमा भरे अरण्य के प्रांगण में कुलाँचे भरते ये चीते नये वातावरण में खूब फलें फूलें यही कामना है।हार्दिक आभार इस सुन्दर और ज्ञानवर्धक लेख के लिए 🙏🙏
रेणु जी
बिलकुल, पूर्णतया सहमत ✨🙏🏻
चीतों के बारे में जानकारी युक्त सामयिक और सारगर्भित आलेख ।
हार्दिक आभार आपका, जिज्ञासा जी 🙏🏻
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