गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

एक दल अर्श से फर्श के भी नीचे

पंजाबी कौम बहुत ही मेहनती है ! किसी भी काम को करने में गुरेज नहीं करती ! अपने इसी गुण के कारण देश-विदेश सभी जगह सफल, सम्माननीय व प्रतिष्ठित है ! इनकी मेहनत ने ही पंजाब को दशकों तक अन्न प्रदान करने वाले राज्यों में प्रमुख बनाए रखा था ! पर इसके साथ ही यह भी सत्य है कि यूपी-बिहार के सहायकों के अनवरत बहे पसीने और मिटटी के संयोग से ही यह संभव हो पाया था ! अब यदि उन्हीं को इस राज्य से दूर रखने की बात हो और वे यदि यहां ना आएं तो खेती करना दुर्भर हो जाएगा ! यह बात पंजाब का हर छोटा-बड़ा जमींदार जानता और मानता है ! क्या वोट देने के पहले वे कुछ सोचेंगे या नहीं........!!   

#हिन्दी_ब्लागिंग 
आज कल देश की सबसे पुरानी पार्टी की कार्य शैली को देख पक्ष-विपक्ष-अवाम सभी अचंभित हैं ! क्या कोई इतना बुद्धिहीन, लापरवाह या अहमी हो सकता है कि उसको देश-काल-परिस्थिति किसी का कुछ भी भान  ना हो ! आत्मविश्वास जितना अच्छा गुण है, अति आत्मविश्वास उतना ही खतरनाक ! लगता ही नहीं कि इस दल के सर्वेसर्वा कहीं से भी गंभीर हैं, लगता है जैसे किसी नौटंकी का मंचन देख या कर रहे हैं ! इनकी कथनी-करनी देख कतार में सबसे पीछे खड़े इंसान को भी लगने लगा है कि जो अपनी पार्टी ही नहीं संभाल पा रहे, उनके हाथ में देश की बागडोर सौंपने की बात सोची भी कैसे जा सकती है !   

एक-एक कर जो थोड़े बहुत समझदार थे वे किनारा करते जा रहे हैं ! सच्चे हिमायती भी कुछ ना कर पाने की हालत में निराश हो दामन छोड़ रहे हैं ! चारण, चरणचुंबी, मौकापरस्त, मतलबी लोग, जिनका कहीं कोई आधार नहीं है, जिन्हें घर छोड़ बाहर शायद ही कोई पहचानता हो, जैसे ही बचे रह गए हैं ! पर दल की कमान संभालने वाली त्रयी अभी भी हवा में उड़ रही है ! अवाम को अपनी रियाया समझ वैसा ही व्यवहार किया जा रहा है !

अब रही पंजाब की बात ! पंजाबी कौम बहुत ही मेहनती है ! किसी भी काम को करने में गुरेज नहीं करती ! अपने इसी गुण के कारण देश-विदेश सभी जगह सफल, सम्माननीय व प्रतिष्ठित है ! इनकी मेहनत ने ही पंजाब को दशकों तक अन्न प्रदान करने वाले राज्यों में प्रमुख बनाए रखा था ! पर इसके साथ ही यह भी सत्य है कि यूपी-बिहार के सहायकों के अनवरत बहे पसीने और मिटटी के संयोग से ही यह संभव हो पाया था !  अब यदि उन्हीं को इस राज्य से दूर रखने की बात हो और वे यदि यहां ना आएं तो खेती करना दुर्भर हो जाएगा ! यह बात पंजाब का हर छोटा-बड़ा जमींदार जानता और मानता है ! पर एक-दो दिन पहले एक चुनाव रैली के दौरान पानी के बुलबुले रूपी कारिंदे ने यूपी-बिहार के लोगों के विरोध में भाषण दे डाला और मलकिन खड़ी मुस्कुराती रही ! क्या पंजाब के किसान वोट देने के पहले कुछ सोचेंगे नहीं !

जब देश ने धीरे से भाई के हाथ से कमान ले बहन को आगे आते देखा तो लगा कि शायद अब कुछ समझदारी भरी बातें होंगी ! पर ये तो उस पर भी सवा सेर पड़ीं ! अब तो पंजाब के लोगों को सोचना ही होगा कि जो अपने हारने पर आग लगने की बात करते हैं ! जन्मजात बैरी पडोसी के यहां जा खुद को सत्ता में लाने की सहायता की गुजारिश करते हैं ! वहां के हुक्मरानों की चापलूसी कर गलबहियां डालते हैं ! बच्चियों के बिकनी पहनने पर आजादी की अभिव्यक्ति समझते हैं या देश के दूसरे हिस्सों से काम-काज की खोज में आने वालों पर रोक लगाने की बात करते हैं, वे क्या इस राज्य और यहां के वाशिंदो के हितैषी हो सकते है ?

उनकी अदूरदर्शिता, अज्ञानता, आत्ममोह, सत्ता लोलुपता, बेलगाम जुबान, अहम और चारणों की फौज राज्य क्या देश की अस्मिता के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं ! उनको तो यह भी समझ-नज़र नहीं आ रहा कि उनकी नादानियों, बेवकूफियों की वजह से दूसरे "दीमकी छुटपट'' दल इनकी जगह लेने को आतुर हो लार टपका रहे हैं ! पर शायद अब समय नहीं बचा है कि कुछ भी किया जा सके, संभला जा सके.........!   

15 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सभी दूध के धुले हैं यहां से वहां चले जायेंगे शुद्ध हो जायेंगे।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८-०२ -२०२२ ) को
'भाग्य'(चर्चा अंक-४३४४)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
दूध भी सोचता होगा इनको धोने के पहले मैं फट क्यों न गया 😯😅

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
आपका और चर्चा मंच का हार्दिक आभार🙏

Jyoti Dehliwal ने कहा…

कोई भी दल आत्ममंथन करने को तैयार ही नहीं है उसी का ये परिणाम होता है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ज्योति जी
यही तो विडंबना है ! आत्म मंथन तो तब हो जब अपनी कोई गलती महसूस हो ! गुमान के चश्मे से सिर्फ दूसरे गलत नज़र आ रहे हैं !

Jyoti khare ने कहा…

आत्मन्थन की बातें मर चुकी है
जिंदा हैं तो केवल अपने अपने हित की बातें
वर्तमान परिदृश्य की परतें खोलता प्रभावी आलेख
सादर

Manisha Goswami ने कहा…

आत्मा मंथन करने का वक्त ही कहा है इनके पास!खुद के फायदे के बारे में सोचने से फुर्सत मिले तो आत्म मंथन करें!

Manisha Goswami ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

खरे जी
खुद पर ग्लानि होती है, कैसे कैसे लोगों को चुन कहां कहां पहुंचा देते हैं

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मनीषा जी
बिलकुल सही कहा

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

वर्तमान राजनीति की कटु सच्चाई उजागर करता एक सामयिक और चिंतनपूर्ण आलेख ।बहुत शुभकामनाएं आपको।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
सदा स्वागत है आपका🙏🏼

मन की वीणा ने कहा…

उनकी अदूरदर्शिता, अज्ञानता, आत्ममोह, सत्ता लोलुपता, बेलगाम जुबान, अहम और चारणों की फौज राज्य क्या देश की अस्मिता के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं !

सटीक आंखें खोलता लेख।
बहुत बहुत साधुवाद।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
राजनीति से दूर ही रहना चाहिए, पर जैसा तमाशा चल रहा है ये तो देश के लिए ही खतरनाक होता जा रहा है ! इसीलिए न चाहते हुए भी कुछ न कुछ बोलना पड़ ही जाता है

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