बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

हमारी लता जी, कुछ छुए-अनछुए पहलू

इतनी बड़ी हस्ती के बारे में जितना भी लिखा जाए वह कम ही लगेगा ! कितना भी शोध कर लीजिए, कुछ न कुछ छूट ही जाएगा ! कितनी भी बातें कर लीजिए, कम ही रह जाएंगी ! इतने विशाल व्यक्तित्व को शब्दों में सहेजना मुमकिन नहीं है ! पर जो भी हो यह सच है कि वे सदा हमारे हृदयों पर राज करती रहेंगी, ससम्मान ! जब भी गीत-संगीत की बात होगी उनका नाम प्रमुखता से लिया जाएगा !  जब तक प्रकृति में संगीत रहेगा तब तक लता जी भी हम सब के बीच रहेंगी...........!!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

यह शाश्वत सत्य है कि जो भी इस धरा पर जन्म लेगा, चाहे वह कोई भी हो, चल-अचल, जड़-चेतन, उसकी मृत्यु निश्चित है ! इसीलिए इसे मृत्युलोक भी कहा जाता है। यहां रोज हजारों-लाखों लोग मरते हैं जिनकी कोई खोज-खबर नहीं होती ! कुछ विशेष लोगों की खबर कुछ लोगों तक पहुंचती है, कुछ दिनों बाद लोग उन्हें भूल-भाल जाते हैं ! पर कुछ महान, दिव्य हस्तियां ऐसी भी होती हैं, जिनका अस्तित्व भौतिक रूप से विलीन हो जाने के बावजूद यहां लोगों के जेहन में सदा मौजूद रहता है ! ऐसी ही दिव्यात्मा थीं हमारी लता जी ! जिनको भुला पाना शायद ही कभी संभव हो पाए ! एक ऐसी हस्ती जिसके लिए देश ही नहीं, विदेशों में भी लोग शोकग्रस्त हो गए !   

महान लोगों का जीवन एक खुली किताब सा हो जाता है। लोगों की उनमें दिलचस्पी के कारण उनकी हर बात सार्वजनिक हो जाती है ! कुछ बातें बेहद आम हो जाती हैं पर कुछ फिर भी ऐसी होती हैं जो बहुत से लोगों तक नहीं पहुँच पातीं ! लता जी से संबंधित ऐसी ही कुछ बातों का, जो सोशल माध्यम पर उपलब्ध होने के बावजूद बेहद आम नहीं हुईं है। आज श्रद्धांजलि स्वरूप कुछ ऐसी ही बातों का यहां जिक्र, जिससे उनकी याद यहां सदा दर्ज रहे ! 



उनके पिता दीनानाथ और मां शेवांति जी ने अपनी इस पहली संतान का नाम हेमा रखा था। पर बाद में उनके पिताजी ने अपने एक नाटक भाव-बंधन के एक अति लोकप्रिय किरदार लतिका से प्रभावित हो उनका नाम लता कर दिया।  

लता जी अपने स्कूल के पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा को भी साथ ले गईं थीं ! पर जब स्कूल द्वारा दोनों की फीस मांगी गई तब उन्होंने खुद भी स्कूल न जाने का फैसला कर लिया ! उनकी शिक्षा घर पर ही संपन्न हुई ! हालांकि उन्हें जीवन में छह-छह यूनिवर्सिटियों से मानद उपाधि द्वारा नवाजा गया। 

लता जी तब 5-6 वर्ष की थीं तो पिता की अनुपस्थिति में उनके शिष्य को एक राग गलत गाते सुन, उसको सही तरह गा कर बताया ! उनके पिता जी को तब तक लता जी के हुनर का पता नहीं था ! उनको एक जटिल राग को सहजता से गाता देख वे आश्चर्यचकित रह गए ! तभी से उन्होंने लता जी को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया।   


लता जी को रेडिओ सुनने का बहुत शौक था ! पर जिस दिन वह अपना पहला रेडियो घर ला उसे सुनने बैठीं तो पहली खबर ही सहगल जी के देहावसान की मिली, उन्होंने रेडिओ ही वापस कर दिया !

लता जी के लिए गायन एक पूजा थी, आराधना थी ! वे जब भी कोई गाना रिकॉर्ड करती थीं तो अपने जूते या चप्पल जो भी पहने होती थीं, उतार देती थीं।


वे आनंदअघन, जो कि 17 शताब्दी के एक जैन साधू, रहस्यमय कवि और भजन गायक थे, के नाम से गाने भी कंपोज किया करती थीं। बंगाली भाषा में 'तारे आमी चोखने देखिनी' और 'आमी नी' गाने उन्होंने ही कंपोज किए थे। जिन्हें किशोर कुमार ने गाया था। इसके अलावा मराठी में भी कुछ गाने कंपोज़ किए थे। 



1974 में, लता जी लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। ज्ञातव्य है कि वहां सिर्फ ब्रिटिशर ही अपनी प्रस्तुति दे सकते थे ! पर लता जी के कारण वहां की सरकार ने अपना नियम बदला।    

फिल्म जगत से जुड़ी दो ही हस्तियों को भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा  गया है ! लता जी के अलावा यह गौरव सत्यजीत रे जी को ही मिला है ! 


राज्य सभा के सदस्य के रूप में उन्होंने कभी वेतन या दिल्ली में घर नहीं लिया। आज के तथाकथित नेता तो पता नहीं इन सहूलियतों के लिए क्या-क्या कर जाते हैं !

वे हर काम को पूर्णरूपेण सही ढंग से करने में विश्वास रखती थीं यानी जूनून की हद तक पूरी परफेक्शनिस्ट थीं ! पूरी गहराई तक जा-समझ कर ही उसे पूरा करती थीं। फिर चाहे वह गायन हो या फोटोग्राफी। गायन की तरह ही वे बेहद कुशल फोटोग्राफर थीं ! जो उनका बेहद पसंदीदा शौक था ! 

लताजी को स्वर कोकिला की उपाधि देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल जी ने बड़ी आत्मीयता के साथ दी थी।

 


वैसे तो हर बड़ी और नामचीन अभिनेत्री की यही इच्छा होती थी कि उस पर फिल्माया गया गाना लता जी ही गाएं ! पर कहते हैं मधुबाला जी तो अपने कंट्रैक्ट में बाकायदा यह शर्त रखती थीं कि उनके गाने सिर्फ लता जी ही गाएंगी !

वैसे तो बड़े से बड़े संगीत विशेषज्ञ उनके गायन में कोई त्रुटि नहीं ढूंढ पाते, पर लता जी कभी भी अपनी रचनाओं से पूर्णतया संतुष्ट नहीं होती थीं, उन्हें सदैव लगता था कि इस से भी बेहतर किया जा सकता है ! एक बार उन्होंने बताया था कि मैं अपने गाने नहीं सुनती क्योंकि मुझे लगता है कि उनमें मुझे कोई न कोई कमी नजर आ जाएगी ! उनका नाम 1974 की गिनीज बुक में as the most recorded artist के रूप में दर्ज किया गया था।



लता जी को क्रिकेट से भी बहुत लगाव था। यह तो सभी जानते हैं कि 1983 में वर्ल्ड कप जीतने पर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास इतना पैसा नहीं था की वह खिलाडियों को कुछ दे सके ! तब लता जी ने आगे आ कर अपनी तरफ से कॉन्सर्ट आयोजित कर बीस लाख रुपए अर्जित किए और उन्हें खिलाड़ियों को दे कर उन्हें सम्मानित किया ! 
 

क्रिकेट के शौक ने ही उन्हें राज सिंह डूंगरपुर से मिलवाया था। राज सिंह जी लता जी के क्रिकेट प्रेमी और खिलाड़ी भाई हृदयनाथ जी के दोस्त थे। उन्हीं ने दोनों को मिलवाया था ! इन दोनों के संबंधों की अनेक बातें हैं। जिनकी चर्चा सोशल मिड़िया, संगीत की दुनिया या कहीं होती भी है तो बड़े अदब के साथ की जाती है। यह भी कि दोनों ने आजीवन विवाह नहीं किया और राज सिंह जी लताजी को अक्सर ''मिठू'' कह कर बुलाया करते थे !


लता जी ने भारतीय सेना को समर्पित अपना अंतिम गाना ''सौगंध मुझे इस मिटटी की'' रेकॉर्ड करवाया था जो 30 मार्च 2019 रिलीज किया गया था।

लताजी ने अपने जीवनकाल  में अनगिनत लोगों को मोटीवेट किया है। उनके गाए गानों से लाखों लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं। लता जी के गानों को गा-गा कर कई लोग नाम-दाम पा गए ! टीवी के उलटे-सीधे कार्यक्रमों में उनकी नकल कर बहुतों ने पैसा बनाया ! उदहारण स्वरूप लोगों को याद होगा कैसे बंगाल की रानू मंडल, जो सड़कों पर लता जी के गाने गा कर गुजर-बसर करती थी, कैसे रातों रात स्टार बन गई थी ! पर ऐसे धूमकेतु, जो बिना मेहनत-समर्पण-लगन के कुछ समय के लिए चमक, फिर गुमनामी के अँधेरे में गुम हो जाते हैं, उनके लिए लता जी ने एक सारगर्भित संदेश  दिया था ! उन्होंने कहा था कि "मै खुशनसीब हूं कि मेरे काम और नाम की वजह से कोई आगे बढ़ पा रहा है। मगर, मैं आजकल के नए गायकों को यह सलाह देना चाहती हूं कि आपको मेरे, आशा, किशोर दा, रफी साहब, मुकेशा दा या किसी और पुराने सिंगर्स के गानों को कॉपी नहीं करना चाहिए। बल्कि आपको अपना काम अपने अंदाज में दिखाना चाहिए। किसी को कॉपी करना गलत नहीं है मगर, इससे आपका नाम ज्‍यादा दिन तक नहीं हो पाएगा। आपको अपने गीतों से अपनी पहचान बनानी चाहिए।''



इतनी बड़ी हस्ती के बारे में जितना भी लिखा जाए वह कम ही लगेगा ! कितना भी शोध कर लीजिए, कुछ न कुछ छूट ही जाएगा ! कितनी भी बातें कर लीजिए, कम ही रह
 जाएंगी ! इतने विशाल व्यक्तित्व को शब्दों में सहेजना मुमकिन नहीं है ! पर जो भी हो यह सच है कि वे सदा हमारे हृदयों पर राज करती रहेंगी, ससम्मान ! जब भी गीत-संगीत की बात होगी उनका नाम प्रमुखता से लिया जाएगा !  जब तक प्रकृति में संगीत रहेगा तब तक लता जी भी हम सब के बीच रहेंगी ! 

@सहयोग हेतु अंतर्जाल का हार्दिक आभार 

24 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बेहतरीन आलेख । कुछ बातें पता थीं कुछ नई जानकारी मिली ।
यदि लताजी की बीमारी का वीडियो न डाला जाए तो बेहतर है ।।
उनको इस रूप में लोग याद न रखें । किसी की अवशता को दिखाना मेरी नज़र में उचित नहीं है ।।

9 फ़रवरी 2022 को 12:16 pm

INDIAN the friend of nation ने कहा…

good article on lata mangeskar with good rare pictures

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

संगीता जी,
आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ ! इसीलिए और दो-तीन जगह जहां भी यह लेख गया है उसमें लता जी के बीमार होने या अस्पताल की कोई फोटो नहीं डाली है ! पर ब्लॉग तो एक दस्तावेज की तरह है ! पांच-दस साल बाद भी यदि कोई देखे तो उसे पूरी जानकारीऔर वस्तुस्थिति का जायजा मिल सके, इसीलिए इस जगह उन चित्रों को शामिल कर लिया है ! रही याद रखने की बात तो हम सब के जेहन में उनकी वही सौम्य मुस्कराहट वाली तस्वीर ही सदा कायम रहेगी ! आज देवानंद जी या राजकपूर जी को चाहने वाले उनको उनकी उम्रदराज फोटो से नहीं बल्कि सदाबहार चित्रों से ही तो याद करते हैं ! फिर भी मैं आपकी बात को खारिज नहीं कर रहा हूँ, आप भी बिलकुल सही कह रही हैं 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

INDIAN the friend of nation
आप का सदा स्वागत है

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 10 फ़रवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रविन्द्र जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
हार्दिक आभार🙏

शुभा ने कहा…

वाह!स्वर कोकिला लता दीदी को शतशत नयन । देहस्वरूप चाहे वो इस जगत में नहीं हैं पर उनकी आवाज़ सदा इस


हमारे साथ रहेगी ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शुभा जी
बिलकुल! जब तक संगीत रहेगा लता जी हमारे बीच रहेंगी

मन की वीणा ने कहा…

गगन जी आपने लता जी के जीवन के कुछ पता कुछ अनछुए पहलू अपने लेख में रखे पढ़कर बहुत अच्छा लगा, कुछ बिल्कुल नई जानकारियां मिली अपने प्रिय किरदार के बारे में जानना बहुत अच्छा लगा।
पहले के चित्र यादगार चित्र हैं , कुछ चित्र द्रवित कर गये हमारी चेतना में तो लताजी का देविय मुस्कान वाला आलोकिक चेहरा ही बसा है और वही रखना चाहते हैं।
लताजी सदा हमारे जे़हन में सौम्य मुस्कान सी सजी रहें।
बहुत बहुत साधुवाद सुंदर चित्रों के साथ शानदार लेख।

रेणु ने कहा…

बहुत ही अच्छा लेख है गगन जी। लता जी का जीवन कुंदन सरीखा रहा। जितना संघर्ष में तपा उतना दमका। मैंने उनके 90वें जन्म दिन पर बहुत शोध कर एक विस्तृत लेख लिखा था पर दुर्भाग्य से पता नहीं कैसे कुछ दिन बाद ही शायद गलती से मिट गया। बहुत दुःख हुआ। दुबारा इतना लिखने के लिए समय नहीं मिल पाया। आपंका लेख पढ़कर तो अच्छा लगा ही चित्र भी अच्छे लगे। लता जी ने भरपूर जीवन जीकर संगीत को बहुत बड़ी विरासत सौंपी है। उसके जरिए वे अमर हैं। उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏😔🙏🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
कुछ चेहरे ऐसे होते हैं कि उनको देख कर मन में सिर्फ आदर सम्मान की भावना ही उपजती है लता जी का व्यक्तित्व भी ऐसा ही था

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रेणु जी
यदि कोई विशेषज्ञ हो तो डिलीट हुआ मैटरवापस पाया जा सकता है, किसी जानकार से पूछ कर देखिए! किसी भी लेख को लिखने में बहुत मेहनत लगती है! इस तरह बेकार जाना बहुत अखरता है! मेरे साथ भी कई बार ऐसे हादसे हुए हैं, समझ सकता हूँ आपका कष्ट

रेणु ने कहा…

गगन जी, वो ब्लॉगर के ड्राफ्ट से गया है। पूछा है कईयों से, पर किसी ने कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दिया है। पर अगर ये लेख रह जाता तो शायद एक बेहतरीन लेख होता। आभार आपका 🙏

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लता जो का जाना एक युग का जाना है ...
पर यादें हमेशा हमेशा रहेंगी ... उनकी आवाज़ हमेशा रहगी ... पनके पल हमेशा रहेंगे ...
बहुत ही अच्छा आलेख, विस्तार और अनेक अन्छुवे पहलुओं की जानकारी मिली ... बहुत ही अच्छा लगा ...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रेणु जी
हमारे प्यारे मित्र पाबला जी को ऐसे कामों में दक्षता हासिल थी. एकाधिक बार उन्होंने ऐसी परिस्थितियों से मुझे उबारा था, दुरभाग्यवश वे अब हमारे बीच नहीं हैं!
उन्होंने फाइल वापस ला दी थी, इसीलिए मैंने कहा था कि कोई विशषज्ञ हो तो गलती सुधर सकती है!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

नासवा जी
बिलकुल सही कहा आपने! भौतिक रूप से ना सही पर अपनी आवाज के सहारे वे सदा अमर रहेंगी

Kamini Sinha ने कहा…

इस बेहतरीन लेख के लिए हार्दिक बधाई आपको गगन जी, सरस्वती स्वरुपा लता जी का जीवन भी किसी पाठशाला से कम नहीं, आप का लेख वाकई संग्रहित करने योग्य है।सत सत नमन सरस्वती सुता को 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
बिलकुल सही! भारत के संगीत का पर्याय थीं,देवांशी थीं

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुंदर आलेख...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक आभार, विकास जी🙏

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