शनिवार, 2 अक्तूबर 2021

हावड़ा स्टेशन ! टर्मिनस भी, जंक्शन भी

रेलवे की भाषा में टर्मिनस उस स्टेशन को कहा जाता है, जिसके और आगे जाने की पटरी ना हो, रास्ता वहीं खत्म हो जाता हो यानी ट्रेन जिस दिशा से आई है, उसी दिशा में उसे वापस जाना पड़ता है ! जंक्शन का मतलब होता है जिस स्टेशन से दो या उससे अधिक दिशाओं में जाने के रास्ते निकलते हों ! इसकी एक विशेष विशेषता यह भी है कि जहां और जंक्शनों में पटरियां स्टेशन से कुछ दूर जा कर अलग दिशाओं में मुड़ती हैं, वहीं हावड़ा में यह अलगाव स्टेशन से ही हो जाता है.............!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

देश और भारतीय रेल का सबसे बड़ा, खूबसूरत, भव्य, ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है हावड़ा ! पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के दाहिने किनारे पर स्थित, एक छोटे-मोटे शहर जैसा विशाल होने के साथ-साथ यह खुद में अनेकानेक विशेषताओं को अपने में समेटे रोज लाखों लोगों को, अपने 23 प्लेटफार्मों की बदौलत, अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद करता है ! 1854 में इसकी स्थापना कलकत्ता शहर की बजाए ठीक उसके सामने नदी के दूसरी तरफ हावड़ा में की गई ! क्योंकि उस तरफ का भू-भाग बिना किसी जल बाधा के देश के दूसरे हिस्सों से जुड़ा हुआ था, इससे नदी पर पुल बनाने की जहमत और खर्च से बचाव हुआ ! जिस स्थान को स्टेशन के लिए चुना गया वह एक बहुत बड़ा दलदली, जंगली लता-गुल्मों से पता जोहड़ था ! जिसे बंगला भाषा में हाउर या हाओर कहा जाता है ! उसी से इस स्थान का नाम हावड़ा पड़ा। स्टेशन बनने के साथ ही यहां औद्यौगिक विकास भी पनपा जिसने शहर को कलकत्ता के एक आम से उपनगर को भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण औद्यौगिक केन्द्र बना दिया। 1853 में बंबई से भारत में पहली रेल गाड़ी चलने के बाद 1854 में दूसरी हावड़ा से ही चली थी ! 


स्टेशन का भीतरी भाग 

हावड़ा स्टेशन की एक सबसे बड़ी विशेषता है कि यह टर्मिनस होने के बावजूद जंक्शन कहलाता है ! रेलवे की भाषा में टर्मिनस उस स्टेशन को कहा जाता है, जिसके और आगे जाने की पटरी ना हो, रास्ता वहीं खत्म हो जाता हो यानी ट्रेन जिस दिशा से आई है उसी दिशा में उसे वापस जाना पड़ता है ! जंक्शन का मतलब होता है जिस स्टेशन से दो या उससे अधिक दिशाओं में जाने के रास्ते निकलते हों ! हावड़ा, टर्मिनस होते हुए भी जंक्शन इस लिए कहलाता है क्योंकि यहां से कई दिशाओं में जाने की सुविधा है ! एक तो सीधे बैंडल-वर्धमान होते हुए पटना-दिल्ली-पंजाब से कश्मीर तक ! दूसरे तकियापारा-सांतरगाझी होते हुए भुवनेश्वर, फिर वहां से भी आगे ! तीसरा खडगपुर-रायपुर होते हुए मुंबई ! चौथी एक लाइन हावड़ा से डानकुनी होते हुए इसे सियालदह, यानी कोलकाता से भी जोड़ती है ! इस जंक्शन की एक विशेष विशेषता यह भी है कि जहां और जंक्शनों में पटरियां स्टेशन से कुछ दूर जा कर अलग दिशाओं में मुड़ती हैं, वहीं हावड़ा में यह अलगाव स्टेशन से ही हो जाता है ! ऐसा उदाहरण और कहीं नहीं मिलता ! इसके अलावा जलपथ भी है जिससे स्टीमर द्वारा हावड़ा से कोलकाता कुछ ही मिनटों में पहुंचा जा सकता है। इसे भी जंक्शन की तरह ही लिया जा सकता है। इससे हावड़ा पुल का भी कुछ बोझ हल्का हुआ है !

प्लेटफार्म के साथ रोड 

सब वे 
एक और भी कारण है जो इसको जंक्शन कहलवाता है ! शुरू में जब हुगली नदी पर पुल नहीं था तब लोग फेरी या नौका से नदी पार कर हावड़ा पहुंचते थे ! उस जल-पथ और रेल-पथ के जंक्शन के कारण भी इसे हावड़ा स्टेशन जंक्शन कहा जाने लगा था।

डबल डेकर 

फेरी क्वीन 

हावड़ा स्टेशन की अपनी कुछ और विशेषताएं भी हैं जो इसे देश का प्रमुख, प्रथम व खास स्टेशन होने का गौरव प्रदान करती हैं  :-

* देश में पहली बिजली की ट्रेन यहीं से चली थी ! 

* पहली हावड़ा-दिल्ली राजधानी गाडी को रवाना करने वाला भी यही स्टेशन था ! 

* देश की पहली डबल डेकर ट्रेन, हावड़ा-धनबाद, यहीं से चलाई गई थी। 

* यह देश का पहला स्टेशन है जहां प्लेटफार्म तक निजी वाहन ले जाने की भी सुविधा है ! यानी रेल की पटरियों के साथ ही सड़क मार्ग भी है ! जिनकी संख्या अब दो हो गई है। 

* दैनिक यात्रियों की सुविधा के लिए बना, भारत का सबसे पुराना ''सब वे'' भी यहीं है। 

* सबसे पहले देश के "जीरो नंबर" के प्लेटफार्म का निर्माण भी यहीं हुआ था। 

* 23 प्लेटफार्मों के साथ यह देश का सबसे व्यस्त रेलवे परिसर है। 

* दुनिया के व्यस्ततम रेल तंत्रों में से एक है।   

* विश्व के सबसे पुराने पर अभी भी सक्रिय लोकोमोटिव इंजिन ''फेरी क्वीन'' ने अपनी यात्रा की शुरुआत यहीं हावड़ा से ही की थी। 

* यात्रियों की सुविधा के लिए सर्व सुविधायुक्त "यात्री निवास" भी इसी के परिसर में बना था। 

* थोड़े से वृहद नजरिए से देखें तो देश की पहली, हुगली नदी के नीचे से गुजरने वाली, मेट्रो सुरंग भी इसके आस-पास ही बन रही है !


@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

19 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यशोदा जी
मान देने हेतु हार्दिक आभार

Unknown ने कहा…

Bahut anokhi aur kuchh alag si jankari

Dharmendra Verma ने कहा…

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
रचना सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Unknown ji
आपका धन्यवाद! पर यदि परिचय समेत आते तो और भी खुशी होती।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

धर्मेंद्र जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका

Manisha Goswami ने कहा…

आपकी हर एक प्रस्तुति बहुत ही बेहतरीन और ज्ञानवर्धक होती है

विष्णु बैरागी ने कहा…

बडी रोचक जानकारियॉं दी आपने।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

रेलवे स्टेशन के बारे में इतनी बढ़िया और सार्थक जानकारी पहली बार पढ़ी,आपका बहुत बहुत आभार, आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मनीषा जी
मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ओंकार जी
हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

विष्णु जी
ब्लाॅग "कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
अनेकानेक धन्यवाद । आधे से ज्यादा जिंदगी बंगाल में बीतने के कारण वहां से कुछ खास ही लगाव है

Kadam Sharma ने कहा…

बहुत ही अच्छी व सुंदर जानकारी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कदम जी
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

palash ने कहा…

बहुत रोचक जानकारी। आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

पलाश जी
सदा स्वागत है आपका

Hello ने कहा…

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Hello ji
स्वागत है आपका, ब्लॉग पर

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