सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

जीवन को जीएं, काटें नहीं

पिछले पंद्रह-बीस सालों में लोगों की जीवनचर्या में बहुत परिवर्तन आया है। कुछ को तो समस्याएं घेरती हैं तो कुछ खुद समस्याओं से जा लिपटते हैं। हमारा शरीर भी एक मशीन ही है जिसे हर यंत्र की तरह उचित रख-रखाव की जरुरत पडती है पर विडंबना ही है कि इस सबसे ज्यादा जरूरी और कीमती यंत्र की ही सबसे ज्यादा उपेक्षा की जाती है। 


#हिन्दी_ब्लागिंग 

अपनी दिनभर की दिनचर्या में रोज ही ऐसे कई युवा मिल जाते हैं जो निढाल, निस्तेज, सुस्त नजर आते हैं। जैसे जबरदस्ती शरीर को ढो रहे हों। अधिकांश नवयुवकों को किसी ना किसी व्याधि से ग्रस्त दवा फांकते देखना बडा अजीब लगता है। आज के प्रतिस्पर्द्धात्मक समय में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी समस्या से जुझता हुआ किसी यंत्र की कसी हुई तार की तरह हर वक्त तना रहता है। जिसके फलस्वरूप देखने में बिमारी ना लगने वाली, सर दर्द, कमर दर्द, अनिद्रा, अपच, कब्ज जैसी व्याधियां उसे अपने चंगुल में फंसाती चली जाती हैं, जिससे अच्छा भला युवा उम्रदराज लगने लगता है। सदियों से हमारे यहां प्रभू से प्रार्थना की जाती रही है कि "हे प्रभू हमें सौ साल की उम्र प्राप्त हो।" पर यदि 30-35 साल के बाद ही रो-धो कर, दवाएं फांक कर, ज्यादातर समय बिस्तर पर गुजार कर जीना पडे तो ऐसे जीवन से क्या फायदा।

      

निश्चिंतता 
पिछले पंद्रह-बीस सालों में लोगों की जीवनचर्या में बहुत परिवर्तन आया है। कुछ को तो समस्याएं घेरती हैं तो कुछ खुद समस्याओं से जा लिपटते हैं। हमारा शरीर भी एक मशीन ही है जिसे हर यंत्र की तरह उचित रख-रखाव की जरुरत पडती है पर विडंबना ही है कि इस सबसे ज्यादा जरूरी और कीमती यंत्र की ही सबसे ज्यादा उपेक्षा की जाती है। अनियमित दिनचर्या, कुछ भी खाने-पीने का शौक, लापरवाही, मौज-मस्ती युक्त अपना रख-रखाव इस मशीन को भी बाध्य कर देता है अपने से ही विद्रोह के लिए। युवावस्था में यदि थोडी सी भी "केयर" अपने तन-बदन की कर ली जाए तो यह एक लम्बे अरसे तक मनुष्य का साथ निभाता है। लोग भूल जाते हैं कि मौज-मस्ती भी तभी तक रास आती है जब तक शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है। 

पर इस नैराश्य पूर्ण स्थिति में भी आप अपने चारों ओर देखें तो आपको ऐसे अनेक लोग दिख जाएंगे जो अपने कर्मों से, अपने आचरण से, अपने अनुभवों से हमारा मार्ग-दर्शन कर सकते हैं। जिन्हें देख जिंदगी को खुशहाल बनाने के तौर-तरीकों को समझा जा सकता है, उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। ऐसे ही एक शख्स हैं मेरे मामा जी। जो 85 साल के होने के बावजूद किसी 35 साल के युवा से कम नहीं हैं। आज देश-प्रदेश के लोगों के बीच बहुचर्चित शतायु मैराथन धावक फौजा सिंह के प्रांत पंजाब के एक कस्बे फगवाडा के पास के गांव हदियाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में श्री प्यारे लाल सुंधीर बचपन से ही सामान्य कद-काठी के इंसान रहे। पर लाख विषमताओं, हजारों अडचनों, सैंकडों परेशानियों के बावजूद उन्होंने अनियमितता का सहारा नहीं लिया। यहां तक कि छोटी उम्र में ही जीवनसाथी की असमय मृत्यु के बाद भी उन्होंने अपने को संभाले रखा और अपने बच्चों को सही तालीम दिलवा कर उन्हें जीवन पथ पर अग्रसर और स्थापित किया। आज जब वे हर तरह से सम्पन्न हैं, घर में हर आधुनिक सुविधा उपलब्ध है फिर भी इस उम्र में में भी उन्हें खाली बैठना ग्वारा नहीं है। आज भी सिर्फ व्यस्त रहने के लिए उन्होंने अपने व्यवसाय को तिलांजली नहीं दी है।  घर में कार होने के बावजूद अपनी सेहत की खातिर इस उम्र में भी रोज 10 से 15 की.मी. सायकिल पर चलना उनका शौक है। किसी भी तरह की चिंता, फिक्र, तनाव को वे पास नहीं फटकने देते। इसी वजह से बिना किसी का साथ ढूंढे अपनी बिटिया के पास नार्वे तक हर ढेढ दो साल बाद चक्कर लगाने से नहीं घबराते। वहा भी घर पर नहीं रुकते, आस-पास के दूसरे देशों को देखना, घूमना भी उनका शगल है, फिर चाहे किसी का साथ मिले या ना मिले। अपना देश तो इनका घूमा हुआ ही है वह भी अकेले. हमारे यहां तो उनका हर साल आना हमारी जरूरत है। उनके 10-15 दिनों का प्रवास हमें एक नई शक्ति प्रदान कर जाता है।  यह सब उन लोगों के लिए सबक है जो बचपन के खान-पान की कमी, अपनी उम्र, किसी का सहारा ना होने या अपनी जीवन में ना टाली जा सकने वाली मुसीबतों को अपने द्वारा पैदा की गयीं मुसीबतों का जिम्मेदार मानते हैं। सीधी  सी बात है जिसमे जीने की उद्दाम इच्छा हो उसके लिए कोइ बाधा कोइ मायने नहीं रखती।    

सोचिए जब होनी को टाला नहीं जा सकता तो फिर परेशान क्यों ? जब जो होना है, हो कर ही रहना है तो फिर नैराश्य क्यों ? जब भविष्य अपने वश में नहीं है तो उसके लिए वर्तमान में चिंता क्यों ?

जरा सोचिए, मैं भी सोचता हूं ! कठिन जरूर है पर मुश्किल बिल्कुल नहीं !

15 टिप्‍पणियां:

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(18-02-2020 ) को " "बरगद की आपातकालीन सभा"(चर्चा अंक - 3615) पर भी होगी

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 18 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
आपका और चर्चा मंच का हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

दिग्विजय जी
सम्मिलित करने का हार्दिक आभार

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद साझा करने के लिए

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

विभा जी
आपका स्वागत है ¡

शुभा ने कहा…

वाह!!सकारात्मकता से लबालब भरा जीवन !बहुत कुछ सीखने लायक है । सही कहा आपने आजकल अधिकतर लोग तनाव भरा जीवन जी रहे है ...।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शुभा जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है

कविता रावत ने कहा…

होनी-अनहोनी बहुत कुछ अपने ऊपर निर्भर रहता है,
बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कविता जी
हार्दिक आभार

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत ही सटीक बातें आपने इस पोस्ट में लिखी है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राजपुरोहित जी
''कुछ अलग सा'' पर आप का सदा स्वागत है

संजय भास्‍कर ने कहा…

सामयिक प्रस्तुति लाजवाब

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

संजय जी
हार्दिक आभार

Blogger ने कहा…

Did you realize there's a 12 word phrase you can say to your partner... that will induce intense feelings of love and instinctual attraction for you buried within his chest?

That's because deep inside these 12 words is a "secret signal" that fuels a man's impulse to love, worship and guard you with his entire heart...

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