शादी-ब्याह में बेचारे समय को कौन पूछता है, खासकर पंजाबियों के यहां तो दो-तीन घंटे की बात कोई मायने ही नहीं रखती, ना ही उभय-पक्ष इस पर ध्यान देते हैं। पर उस समय हम सब आश्चर्य चकित रह गए जब ठीक छह बजे बारात दरवाजे पर आ खड़ी हुयी। थोड़ी हड़बड़ी तो हुई पर साढ़े आठ बजते-बजते पंडाल तकरीबन खाली हो चुका था। आदतन देर से आने वाले दोस्त-मित्रों को शायद पहली बार ऐसे "समय" से दो-चार होना पड़ा था....!
#हिन्दी_ब्लागिंग
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बात मेरी शादी के समय की है। दिसंबर का महीना था। दिल्ली की ठंड अपने चरम पर थी। इसी को देखते हुए स्वागत समारोह छह बजे शाम का और रात्रि भोज का समय सात बजे का रखा गया था। शादी-ब्याह में बेचारे समय को कौन पूछता है, खासकर पंजाबियों के यहां तो दो-तीन घंटे की बात कोई मायने ही नहीं रखती, ना ही उभय-पक्ष इस पर ध्यान देते हैं। पर उस समय हम सब आश्चर्य चकित रह गए जब ठीक छह बजे बारात दरवाजे पर आ खड़ी हुयी। थोड़ी हड़बड़ी तो हुई पर साढ़े आठ बजते-बजते पंडाल तकरीबन खाली हो चुका था। आदतन देर से आने वाले दोस्त-मित्रों को शायद पहली बार ऐसे "समय" से दो-चार होना पड़ा था। इस बात पर मेरी सहेलियां शर्मा जी से अक्सर मजाक में कहती रहीं कि आप को बड़ी जल्दी थी दीदी को ले जाने की।
आज बच्चे बड़े हो गए हैं, समझदार हैं, फिर भी उन्हें समझाते रहती हूँ कि समय की कीमत को समझो, इस बेशकीमती चीज की कद्र करो, इसे फिजूल बरबाद न करो, यह एक बार गया तो फिर कभी हाथ नहीं आता !आता है तो सिर्फ पछतावा। मुझे ख़ुशी है कि बच्चे भी इस परंपरा को चलाए रख रहे हैं। इस बात को मैं सदा अपने छात्रों को समझाती रही हूँ और मुझे ख़ुशी है कि मेरी बात को किसी ने अनसुना नहीं किया। इसके लिए प्रभु की शुक्रगुजार हूँ।
15 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-04-2017) को "झटका और हलाल... " (चर्चा अंक-2933) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-04-2017) को "झटका और हलाल... " (चर्चा अंक-2933) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी,
हार्दिक आभार, रचना को गरिमा प्रदान करने के लिए
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, होनहार विद्यार्थी की ब्रांड लॉयल्टी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत अच्छा संस्मरण
बुलेटिन का हार्दिक धन्यवाद
मीना जी, कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है
सही कहा
ओंकार जी,
कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है
समय की पाबंदी अत्यावश्यक हैं। बढ़िया संस्मरण।इसी विषय मेरी ब्लॉग पोस्ट ये इंडियन टाइम हैं https://www.jyotidehliwal.com/2014/03/blog-post.htmlजरूर पढ़िएगा।
ज्योति जी,
हार्दिक स्वागत है
बहुत बढ़िया
वन्दना जी,
कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है
सुंदर प्रस्तुति ...
महेंद्र जी, 'कुछ अलग सा' पर सदा स्वागत है।
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