शनिवार, 15 अक्तूबर 2016

ब्रिटिश साम्राज्य के बाहर पहला "कैथेड्रल" कलकत्ता में बना था

कोलकाता के ह्रदय-स्थल एस्पलेनैड या धर्मतल्ला या चौरंगी से एक डेढ़ की.मी., पैदल 10-15 मिनट की दूरी पर, बिड़ला-प्लेनेटोरियम, विक्टोरिया मेमोरियल, नंदन, रविन्द्र सदन थियेटर, फोर्ट विलियम, गुड़िया घर, रेस कोर्स, गंगा का किनारा बाबू घाट जैसे  स्थलों के बीच खड़ा, यह करीब पौने दो सौ साल पुराना, कैथ्रेडल आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है

कई बातों में पहला स्थान रखने वाले महलों के शहर कलकत्ता (आज का कोलकाता) में ही सर्वप्रथम क्रिश्चियन समुदाय द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य के बाहर 1847 में पहले "कैथेड्रल" की स्थापना की गयी थी। जिसे "सेंट पॉल कैथेड्रल" के नाम से जाना जाता है। गोथिक शैली में बनी इस इमारत के निर्माण में करीब आठ साल लगे थे। यह बंगाल का सबसे बड़ा कैथेड्रल तो था ही बिशप द्वारा संचालित एशिया का पहला चर्च भी था जिसे भारत में बढ़ते क्रिश्चियन समुदाय को मद्देनज़र रख, इसी जगह स्थित छोटे आकार के सेंट जॉन चर्च को हटा, बनाया गया था।


चर्च और कैथ्रेडल में यही अंतर है कि कैथ्रेडल आकार में बहुत बड़ा होता है और बिशप द्वारा संचालित किया जाता है। बिशप का निवास भी ज्यादातर वहीँ होता है। वहीँ चर्च पादरी की देख-रेख में अपना काम करता है। भारत का सबसे पुराना चर्च, "सेंट थॉमस सायरो मालाबार कैथोलिक चर्च" है, जो केरल के त्रिचूर जिले के पालायूर इलाके में स्थित है। इसका निर्माण 52 AD के आस-पास का माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं से धर्म परिवर्तन की शुरुआत भी हुई थी। 
   
सेंट पॉल कैथेड्रल की सुंदर इमारत कलकत्ता के इकलौते हरे-भरे स्थल "मैदान" के दक्षिणी और विश्वप्रसिद्ध "विक्टोरिया मेमोरियल" की पूर्वी दिशा की तरफ स्थित है। इसी के कारण इसके सामने वाली सड़क का नाम भी कैथेड्रल रोड रखा  गया है। करीब सात एकड़ में बने इस कैथ्रेडल में हजार लोग एक साथ खड़े हो प्रार्थना कर सकते हैं। कोलकाता के ह्रदय-स्थल एस्पलेनैड या धर्मतल्ला या चौरंगी से एक डेढ़ की.मी., पैदल 10-15 मिनट की दूरी पर, बिड़ला-प्लेनेटोरियम, विक्टोरिया मेमोरियल, नंदन, रविन्द्र सदन थियेटर, फोर्ट विलियम, गुड़िया घर, रेस कोर्स, गंगा का किनारा बाबू घाट जैसे  स्थलों के बीच खड़ा, यह करीब पौने दो सौ साल पुराना, कैथ्रेडल आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

7 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

शरद पूर्णिमा की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-10-2016) के चर्चा मंच "शरदपूर्णिमा" {चर्चा अंक- 2497 पर भी होगी!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सुन्दर फोटो हैं.

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "डॉ॰ कलाम साहब को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी, आपको भी सपरिवार हार्दिक बधाई

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Thanks, Bhartiy Nagrik

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

अच्छी जानकारी .

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

प्रतिभा जी,
धन्यवाद

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