बुधवार, 12 अक्टूबर 2011

ये तो इंतिहा है, है कि नहीं ?

खुद ही को कर लिया इतना "बुलंद" कि अब खुदा भी पूछ रहा है कि, अबे! उतरोगे कैसे ?
आप कोई सहायता कर सकते हों तो जरूर करें।

4 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

ये बकरियाँ भी ऐसी-ऐसी जगह चढ जाती है जहाँ हम कल्पना भी नहीं कर सकते है।

Asha Joglekar ने कहा…

वाह खुदा को भी पूछना पड गया । बहुत सुंदर मजेदार प्रस्तुति ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जहाँ दुनिया डरी,
वहाँ पहुँची बकरी।

anshumala ने कहा…

क्या बक-री है !

विशिष्ट पोस्ट

भइया ! अतिथि आने वाले हैं

इन्हें बदपरहेजी से सख्त नफरत है। दुनिया के किसी भी कोने में इन्हें अपनी शर्तों का उल्लंघन होते दिखता है तो ये अपने को रोक नहीं पाते और वहां ...