एक चौथी-पांचवीं का बच्चा भी जब स्कूल में परीक्षा देने जाता है तो पूरी तैयारी से जाता है। उसे पता होता है कि उसे किस विषय की परीक्षा देनी है और क्या लिखना है।
एक युवक जब नौकरी के लिए साक्षात्कार के लिए जाता है तब वह भी काम से संबंधित हर संभावित विषय की पूरी तैयारी कर घर से निकलता है।
इनकी तो छोड़िए, एक साधारण गृहिणी भी घर का सामान लेने बाहर जाती है तो उसके दिमाग में लेने वाली वस्तुओं और अपने बजट का पूरा खाका बना कर ही चलती है।
पर क्या कहेंगें प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के जिम्मेदार अफसरों को जो साठ अरब के करीब के घोटाले का पर्दाफाश करने कोर्ट में साठ रुपये का केस भी ना पेश कर सके। कोर्ट की लताड़ तो मिलनी ही थी।
माननीय जज महोदय ने झुंझलाते हुए उनकी जमानत ना देने की अर्जी पर कहा "आप लोग कोई एक, सिर्फ एक केस तक तो बना नहीं पा सके तो किस बिना पर उसे रिमांड पर रखना चाहते हैं? किस बात की तफ्तीश करना चाहते हैं?
फिर पूरे फिल्मी लहजे में घोड़ों और भू-संपत्ति का विवादित व्यवसायी हसन अली खान, जिस पर इस सदी के सबसे बड़े घोटाले का केस दर्ज है, मुस्कुराते हुए अपनी चमचमाती कार में बैठ ये गया वो गया।
अब अंग्रजों के जमाने के जासूस खोजते रहें फिर से सबूत।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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8 टिप्पणियां:
हद है !
दुर्भाग्यपूर्ण रवैया.
बेबकूफी की हद होती है
ये लोकतन्त्र है।
यह अच्छी बात नहीं है!
यह इस देश का दुर्भाग्य हे, ओर भारत माता आज इन कपूतो की करतुतो को देख कर कही कोने बेठी रो रही होगी
इतना पैसा। यह व्यवहार। संदेह का धूंआ उठना लाजिमी है।
अभी तक क्या वह ऐसे ही घूम रहा था...
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