आज अखबार की दो खबरों ने दिमाग को परेशान कर रख दिया। सोचा आप सब की राय भी ले ली जाए।
पहली खबर थी :-
"आई सी एस ई" की कक्षा 10 के इतिहास और नागरिक शास्त्र के अध्यायों में शहीद भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव को देशभक्त ना होकर आतंकवादी बताया गया है। इसके अलावा देश के लिए अपना सब कुछ त्यागने वाले बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल को चरमपंथियों की संज्ञा दी गयी है। यह है हमारी शिक्षा प्रणाली और उसको चलाने संवारने वालों का हाल। देश के बच्चों को जो ज्ञान बांटा जा रहा है उससे कौन सी पीढी तैयार होगी या किस दिशा में ले जा रहे हैं ये कर्णधार आने वाली नस्ल को, यह उसका एक छोटा सा नमूना है। न्यायालय के आदेश पर अब जांच होगी। सुधार हुआ भी तो अगले साल।
जरा सोचिए वह कौन सा शख्स है जिसने ऐसा लिखने की जुर्रत की। क्या उसने किसी के इशारे या शह पर ऐसा किया ? वह कौन से महानुभाव हैं जिन्होंने पुस्तक को पाठ्यक्रम में रखने की इजाजत दी। वे कौन से महान शिक्षक हैं जो आंख बंद कर रट्टू तोते की तरह कुछ भी रटवाते चले गये, बिना कुछ समझे या पढे ? क्या शिक्षकों का विद्या से सिर्फ पैसे का ही नाता बचा है।
सिर्फ पुस्तक से वह अध्याय हटा या सुधार देने से ही बात खत्म नहीं होती, सारे के सारे दोषियों को भी कटघरे में खड़े करवाना जरूरी है जिससे आइंदा कोई ऐसी हरकत करने के पहले दो बार सोचे।
दूसरी खबर हमारे एक नेताजी की है :-
आजकल दक्षिण के एक सांसद महोदय सरकार से बहुत खफा हैं। हुआ क्या कि दिल्ली एयरपोर्ट पर इन महोदय को आम आदमियों के साथ लाइन में लगना पड़ गया। बस जनाब हत्थे से उखड़ गये। ये चाहते थे कि उन्हें बिना लाइन में लगे हवाई जहाज तक सीधे जाने दिया जाए। सांसदों की इतनी साख तो होनी चाहिए। उनका कहना है कि नियम बदल कर सांसद को लाईन में लगने के बजाय उसके सचिव को लाईन में खड़े होने की इजाजत होनी चाहिए जिससे सांसद को लाईन में खड़े होने की शर्मिंदगी ना उठानी पड़े। सोचने की बात है, जिन लोगों की कृपा से आप सांसद बने, जिनका आपने प्रतिनिधित्व करना है, उन्हीं के साथ खड़े होने में आप को शर्म आ रही है। जनाब आपको तो लज्जित होना चाहिए अपनी सोच पर, जिनके साथ आप खड़े नहीं होना चाहते उन्हीं के पैसों से आप हवाई उड़ान का मजा ले रहे हो। अपनी दमड़ी खर्च करो तो पता भी चले।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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10 टिप्पणियां:
पाठ्यक्रम बनाने वाले की सोच पर निर्भर करता है कि वह कौन सा पंथी है।
रही सांसद महोदय की बात तो कम से कम 5 साल वी आई पी बनने का सुख तो लेने दीजिए, फ़िर तो उसी लाईन में ही खड़े होना।:)
इन चीजों को प्रो राजपूत सुधार देते.. लेकिन सरकार गई और सारे सुधार भी.. दुर्भाग्य है हमारा.. इन वीआईपिओं की अकड़ विदेशों में ठिकाने लग जाती है..
pathykram banane bale bhi mantri aur line mein khare hone wale bhi mantri hamara bera hi inhone gark kar diya hai
सभी सेवक बनकर राजनीति में आए हैं और फिर राजा बन जाते हैं:(
पाठ्यक्रम जरुर किसी गोरे अग्रेजी की नाजयाज ओलाद ने ही तेयार किया होगा, इन हरामियो को यह नही पता अगर यह शहीद लोग ना होते आज तुम भी किसी गोरे के जुते साफ़ कर रहे होते..
ओर लानत हे इस सेवक पर, जो भिखारी से राजा बना फ़िरता हे....
जो खुद रट्टा लगाकर ही शिक्षक बने हैं, उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। रट्टा पद्धति सत्य और विचार के रास्ते बन्द कर देती है।
लाईन में ना लगना पडे इसीलिये तो सांसद बने हैं :)
प्रणाम
aapki uprokt post padhkr main swyam se sawaal krta hun " ankhir hum jaa kahan rahen hai ?
dukhad ! behad sharmnaak ! or kya kahun ?
vicharniy post hetu abhaar........
बात तो बेहद गंभीर है ...
इतिहास को बदल कर ..गलत पाठ पढ़ना एक गंभीर जुर्म है...इन्हें रोकना ज़रूरी है.
नेता जी की बात करें तो, उनतक अपना ब्लॉग का ये पोस्ट ज़रूर भेजवा दीजिये ..उन्हें खुद शर्म आएगा.
आँख खोलने वाली पोस्ट ..
Sir,I appreciate your effort.
or the first case where the history has been changed I would stand up with you to punish the culprit.
About the Neta- Humein hi in sarfire netaon ki bigdi aadat sudharni hai...Wo din door nahiin jab ye bhi aam admi ki tarah sochne lagenge.
gajb hai jo apne paise khrch kar rha hai wah line me hai aur jo muphtkhor hai use sharm aa rahi hai katar me khade hone me. yah hamare desh me hi sanbhaw hai.
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