श्री 'कोटिलिंगेश्वर' महादेव
कर्नाटक के कोलार जिले के एक गाँव काम्मासांदरा में एक अद्वितीय शिव मंदिर है, जो 'कोटिलिंगेश्वर' के नाम से जाना जाता है. बेंगलुरु-चेन्नई रोड पर यह बेंगलुरु से ८७ की.मी. तथा कोलार की सोने की खदानों से ६ की.मी. की दूरी पर स्थित है.
१५ एकड़ के परिसर में स्थित यह मंदिर कई मायनों में अनूठा है. यहाँ अपनी तरह का दुनिया का सबसे ऊंचा शिव-लिंग स्थापित है. जिसकी ऊंचाई १०८ फुट है. इसके अलावा यहाँ तकरीबन रोज ही यहाँ आने वाले भक्तों के द्वारा शिव-लिंगों की स्थापना की जाती है. जिनकी संख्या अब करीब एक करोड़ तक पहुँच चुकी है. यहाँ स्थापित शिव-लिंगों को गिनना किसी अकेले के वश का नही है. मंदिर के ही पूरे दर्शन में करीब ६-७ घंटे लग जाते हैं. चारों ओर सुरम्य हरियाली से घिरे इस मंदिर में यहाँ आने वाला कोई भी श्रद्धालू, यहाँ उपलब्ध एक फुट से तीन फुट के आकार के शिव-लिंगों में से अपनी सामर्थ्य के अनुरूप उसका मूल्य चुका कर, अपने नाम से स्थापित करवा सकता है.
इस विशाल शिव-लिंग के सामने भव्य नंदी की प्रतिमा स्थापित है. जिसकी ऊंचाई ३५ फुट है और वह एक ६० फुट लंबे, ४० फुट चौड़े और ४ फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है. इस विशाल शिव-लिंग के चारों ओर देवी माँ, श्री गणेश, श्री कुमारस्वामी और नंदी महाराज की प्रतिमाएं ऐसे स्थापित हैं जैसे वे अपने आराध्य को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हों
वहाँ ग्यारह मंदिर और भी हैं. जिनमे ब्रह्माजी, विष्णुजी तथा मुख्य देव 'कोटिलिंगेश्वर' की प्रतिमाएं हैं. इनके अलावा अन्न्पूर्नेश्वरी देवी, वेंकटरमानी स्वामी, पांडुरंगा स्वामी, पंचमुख गणपति, राम-लक्ष्मण-सीता, आंजनेय स्वामी, देवी परमेश्वरी तथा देवी करुमारी अम्मा के मंदिर भी हैं.
मान्यता है की परिसर में स्थित दो वृक्षों पर मंदिर से ही उपलब्ध पीले धागे को बाँधने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. ख़ास कर शादी-ब्याह में आने वाली अड़चने दूर हो जाती हैं. मंदिर की तरफ से भी निर्धन-गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह नाममात्र का शुल्क ले कर करवाया जाता है. सारी व्यवस्था मंदिर की तरफ से की जाती है. दूर से आने वाले भक्तों के रहने-खाने का भी यहाँ समुचित निशुल्क इंतजाम है.
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहाँ आक़र अपने आराध्य देव को अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण कर पुन्य लाभ कमाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो लाख तक पहुँच जाती है।
मान्यता है की परिसर में स्थित दो वृक्षों पर मंदिर से ही उपलब्ध पीले धागे को बाँधने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. ख़ास कर शादी-ब्याह में आने वाली अड़चने दूर हो जाती हैं. मंदिर की तरफ से भी निर्धन-गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह नाममात्र का शुल्क ले कर करवाया जाता है. सारी व्यवस्था मंदिर की तरफ से की जाती है. दूर से आने वाले भक्तों के रहने-खाने का भी यहाँ समुचित निशुल्क इंतजाम है.
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहाँ आक़र अपने आराध्य देव को अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण कर पुन्य लाभ कमाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो लाख तक पहुँच जाती है।
11 टिप्पणियां:
सारे फोटो बहुत ही सुन्दर .... आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें....
आप सब को परिवार सहित महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.
आने वाला समय ढेर सारी खुशियाँ ले कर आए सभी के लिए.
वाह यहाँ के बारे में सुना ही था, आज दर्शन भी हो गये वो भी महाशिवरात्रि के अवसर पर, जल्दी ही जाने का कार्यक्रम भी बनायेंगे।
आज शिवरात्रि पर आपने कोटिलिंगेश्वर महादेव के दर्शन करवा कर बडा पुण्य का कार्य किया है. ईश्वर आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करें. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
शिवरात्री के दिन कोटिलिंग के दर्शन करा दिये... हम तो तर गए शर्मा जी :)
बहुत सुंदर जानकारी, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
sunder jankari ke liye dhanyabad
बहुत अच्छी जानकारी दी..
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
कर्नाटक में 'ट' ने साथ दिया लेकिन "कोतिलिंगेश्वर" में साथ छोड़ दिया, संभवतः ''कोटिलिंगेश्वर''.
राहुलजी,
वही है जो आपने लिखा है. पर 'तोतला' 'कोटिलिंगेश्वर' को 'कोतिलिंगेश्वर' ही बोलता रहेगा न :-)
अभी कुछ ठोका-पीटी से ठीक हुआ है, सुधारता हूँ उधर भी, इसके पहले कि फिर ............
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.
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