हमारे देश में सबसे बड़ा खलनायक माने जाने वाले रावण के समर्थकों का एक अच्छा खासा वर्ग है। वाल्मिकि जी के अनुसार उसमें बहुत सारे गुणों का होना ही उसे कहीं-कहीं पूज्य बनाता है। पर दुर्योधन को तो सदा बुराईयों का पुतला ही माना गया है। पर आश्चर्य की बात है कि उसकी भी पूजा होती है और वह भी भगवान के रूप में।
महाराष्ट्र का अहमदनगर जिला। इसी जिले के एक छोटे से गांव, "दुरगांव", में दुर्योधन का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण भारत में यह इकलौता दुर्योधन का मंदिर है। जिसके प्रति यहां के लोगों में अटूट श्रद्धा है। उनका विश्वास है कि भगवान दुर्योधन उनकी विपत्ति में रक्षा तो करते ही हैं, उनकी मन्नतों को भी पूरा करते हैं।
एक चबूतरे पर बने इस मंदिर का निर्माण तेरहवीं शताब्दी का माना जाता है। इस ऊंचे शिखर वाले मंदिर में दो तल हैं। ऊपर वाले भाग में दुर्योधन की बैठी अवस्था वाली करीब दो फुट की मूर्ती है। नीचे गर्भ गृह में भगवान शिव के दो लिंग विद्यमान हैं। अपनी तरह के इस अनोखे मंदिर की अपनी अनोखी परंपरा भी है। यह मंदिर बरसात के चार महिनों में पूरी तरह बंद (सील बंद) कर दिया जाता है। जिसके पीछे यह धारणा है कि यदि दुर्योधन की दृष्टि बादलों पर पड़ जाएगी तो यहां पानी नहीं बरसेगा। क्योंकि महाभारत में अपनी पराजय के बाद जब दुर्योधन ने एक तालाब में छुपने की कोशिश की थी तो उसके जल ने श्री कृष्ण के ड़र से उसे आश्रय नहीं दिया था। दुर्योधन की वह नराजगी अभी भी बरकरार है। दुर्योधन की नजरें मेघों पर ना पड़ें इसलिये मंदिर को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। इस मंदिर के इसी क्षेत्र में बनने की भी एक कथा प्रचलित है। बलराम जी अपनी बहन सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करना चाहते थे पर श्री कृष्ण ने उसका विवाह अर्जुन से करवा दिया था। इसलिये पांडवों से बदला लेने के लिये दुर्योधन ने भगवान शिव की तपस्या कर उनसे वरदान प्राप्त किया था कि युद्ध में वह कभी भी अर्जुन से परास्त नहीं होगा ना ही अर्जुन उसका वध कर पायेगा। उसने वह तप इसी जगह किया था इसीलिये इस मंदिर का निर्माण यहां किया गया है।
यहां हर सात साल के बाद एक विशाल मेला लगता है, जिसमें आने वाले लोगों को लंगर के रूप में भोजन उपलब्ध करवाया जाता है।
महाराष्ट्र का अहमदनगर जिला। इसी जिले के एक छोटे से गांव, "दुरगांव", में दुर्योधन का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण भारत में यह इकलौता दुर्योधन का मंदिर है। जिसके प्रति यहां के लोगों में अटूट श्रद्धा है। उनका विश्वास है कि भगवान दुर्योधन उनकी विपत्ति में रक्षा तो करते ही हैं, उनकी मन्नतों को भी पूरा करते हैं।
एक चबूतरे पर बने इस मंदिर का निर्माण तेरहवीं शताब्दी का माना जाता है। इस ऊंचे शिखर वाले मंदिर में दो तल हैं। ऊपर वाले भाग में दुर्योधन की बैठी अवस्था वाली करीब दो फुट की मूर्ती है। नीचे गर्भ गृह में भगवान शिव के दो लिंग विद्यमान हैं। अपनी तरह के इस अनोखे मंदिर की अपनी अनोखी परंपरा भी है। यह मंदिर बरसात के चार महिनों में पूरी तरह बंद (सील बंद) कर दिया जाता है। जिसके पीछे यह धारणा है कि यदि दुर्योधन की दृष्टि बादलों पर पड़ जाएगी तो यहां पानी नहीं बरसेगा। क्योंकि महाभारत में अपनी पराजय के बाद जब दुर्योधन ने एक तालाब में छुपने की कोशिश की थी तो उसके जल ने श्री कृष्ण के ड़र से उसे आश्रय नहीं दिया था। दुर्योधन की वह नराजगी अभी भी बरकरार है। दुर्योधन की नजरें मेघों पर ना पड़ें इसलिये मंदिर को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। इस मंदिर के इसी क्षेत्र में बनने की भी एक कथा प्रचलित है। बलराम जी अपनी बहन सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करना चाहते थे पर श्री कृष्ण ने उसका विवाह अर्जुन से करवा दिया था। इसलिये पांडवों से बदला लेने के लिये दुर्योधन ने भगवान शिव की तपस्या कर उनसे वरदान प्राप्त किया था कि युद्ध में वह कभी भी अर्जुन से परास्त नहीं होगा ना ही अर्जुन उसका वध कर पायेगा। उसने वह तप इसी जगह किया था इसीलिये इस मंदिर का निर्माण यहां किया गया है।
यहां हर सात साल के बाद एक विशाल मेला लगता है, जिसमें आने वाले लोगों को लंगर के रूप में भोजन उपलब्ध करवाया जाता है।
13 टिप्पणियां:
एकदम से नयी जानकारी । पहली बार दुर्योधन के किसी मंदिर के बारे में पता चला । मंदिर के बनने की कथायें भी रोचक हैं ।
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने । भारत के इस अनमोल खजाने के बारे में बताने के लिए धन्यवाद.
बहुत ही रोचक नई जानकारी है ... आभार
EK DAM NAYI JANKARI.....AABHAR.
एकदम नयी जानकारी ।
इस आश्चर्यजनक सत्य को उजागर करने के लिए,
धन्यवाद!
शर्मा जी जिस देश मै अभिताव बच्च्न का मदिंर बन सकता है वहां दुर्योधन ओर रावण के मंदिर बनने मओ कोई हेरानी नही, आप का धन्यवाद इस नयी जानकारी के लिये.
जानकर बहुत आश्चर्य हुआ
आपके पोस्ट के दौरान मुझे नई जानकारी मिली और बड़ा आश्चर्य लगा सुनकर की दुर्योधन के लिए मन्दिर बनाया गया है! वैसे भाटिया जी ने बिल्कुल सही कहा है!
हमारे लिए तो नई जानकारी है.
हमारे लिए भी बिल्कुल नवीन ही है ये जानकारी...
धन्यवाद्!
samsta pathako se mere naye blog ko ek baar padhne ka aagrah karna chaungi....link-
http://antarkaangaar.blogspot.com/
एकदम से नयी जानकारी
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