बुधवार, 21 जनवरी 2009

सफेद घर में काले आदमी का प्रवेश, परेशान हम क्यूँ

सफेद घर में काले आदमी के प्रवेश करते (व्हाइट हाउस में ओबामा ) ही हमारे रंग-बिरंगे देश में बिना बात के लोग लाल-पीले होने लग गये हैं।कहीं मुस्लिम प्रधान मंत्री के लिये बहस हो रही है तो कहीं सोनिया जी को लेकर। जबकि बहस या प्रयास होना चाहिये था, सक्षमता को लेकर। आज ऐसे नेतृत्व की जरुरत है जो हर बाहरी- भीतरी दवाब का सीना तान कर सामना करने का माद्दा रखता हो। कुर्सी की बजाए देश को प्रमुखता देता हो। वंशवाद की जगह लायक युवाओं को देश की कमान सौंपने का हौसला रखता हो।
रही सोनिया जी की बात तो मेरा यह साफ मत है कि यदि उनकी पार्टी बहुमत में होती तो वह कभी भी इस पद को स्वीकारने से इंकार नहीं करतीं। वे और उनके सिपहसलारों को पूरी तरह मालुम था कि इस सतरंगी दाल की खिचड़ी ने नाकों चने चबवा देने हैं। सो एक तीर से दो शिकार की तर्ज पर मनमोहन जी को सूली पर चढाया गया और त्याग की वाहवाही भी लूट ली गयी।

20 टिप्‍पणियां:

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बिल्कुल सटीक लिखा आपने.....................

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बिल्कुल सही कह रे हो जी.

रामराम.

विवेक सिंह ने कहा…

सत्यवचन !

Vinay ने कहा…

हर वाक्य सत्य है


---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

बेनामी ने कहा…

यदि अपने यहाँ सोनिया बन जातीं तो कहते कि काले घर में सफेद औरत कैसे आई. चित भी मेरी पट भी मेरी. वह भाई मजेदार बात हुई.

समय चक्र ने कहा…

सात रंग होते है राइट च्वाइस अपनी अपनी कही काले को सफ़ेद और सफ़ेद को कला रंग पसंद आ सकता है . बात पसंदगी की है .

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

वाह! कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना।

बेनामी ने कहा…

कोई ये नही देखता की ओबामा ने कभी इस तर्क का ग़लत उपयोग नही किया बल्कि अपनी सक्षमता के दम पर जीत दर्ज की। हमारे देश में तो उल्टा ही निष्कर्ष निकलेगा, यहाँ तर्क उस दिशा में मोड़ दिए जाते हैं जहाँ वोट मिलते हैं.

Atul Sharma ने कहा…

ओबामा अमेरिका के राष्‍ट्रपति बने हैं अपनी योग्‍यता, सक्षमता और ओजस्‍वी व्‍यक्तित्‍व के कारण न कि किसी आरक्षणवाद, वंशवाद, सहानुभूति या विवशता के कारण । ओबामा का देशप्रेम स्‍पष्‍ट और स्‍वत:स्‍फूर्त है। यही फर्क अमेरिका को सबसे ताकतवर लोकतंत्र बनाता है और हमें मात्र सबसे बडा लोकतंत्र।

विष्णु बैरागी ने कहा…

ओबामा को अमरीका के लोगों ने राष्‍ट्रपति बनाया और जिन लोगों पर आप निशाना साध रहे हैं उन्‍हें भारत के ही लोगों ने इस हैसियत में पहुंचाया। गुस्‍सा अपनी जगह। हकीकत अपनी जगह।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

विष्णु जी,
नमस्कार।
मेरा इरादा कोई निशाना-विशाना साधने का नहीं था। वैसे भी कोशिश करता हूं कि राजनीति से दूर ही रहूं। पर फिर भी कभी-कभी ताक-झांक हो ही जाती है। दो दिन पहले के लेखों को पढ कर लगा कि एक बेवजह की बहस शुरु हो गयी है तो उस समय मन में जो उमड़ा उसे सामने रख दिया। सब जानते हैं कि अमेरिका सबसे पहले अपना हित देखता है। जहां उसके हित की बात होती है वहीं अपनी टांग अड़ाता है। फिर भी हम जाने क्यी-क्या अपेक्षाएं लिये उसका मुंह ताकते रहते हैं।

Arvind Gaurav ने कहा…

mai bhi aapse sahmat hu

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

सटीक
गणतंत्र दिवस के पुनीत पर्व के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामना और बधाई .

महेंद्र मिश्र जबलपुर.

Akanksha Yadav ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!

बेनामी ने कहा…

गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं

http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html

इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्‍ट और मेरा उत्‍साहवर्धन करें

बेनामी ने कहा…

गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

Sanjay Gothi ने कहा…

achanak nikli dil ki sachhi baat

Arvind Kumar ने कहा…

bilkul satya

राज भाटिय़ा ने कहा…

पिछले दिनो बहुत से लोगो के ब्लांग मेरी फ़ीड मै नही आये पता नही क्यो, एक आप का भी, आज मेने आप का यह लेख पढ, ओर आप ने सही लिखा कि ऒबामा के कारण हमे का दिक्कत, फ़िर कोन से त्याग की मुर्ति ??? बस उस का बस नही चला, ओर भगवान ने हमारी नाक बचा ली...
धन्यवाद

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