ब्लागिंग करते हुए यह सच्चाई भी सामने आई कि ज्यादातर लोग बहस से बचना चाहते हैं, एक दूसरे की बुराई कम ही करते हैं, लेख इत्यादि पर आलोचना नहीं के बराबर होती है, तारीफ़ की भरमार है। जो कहीं न कहीं खटकता है..................!
#हिन्दी_ब्लागिंग
आज उन तमाम ब्लॉगर भाई-बहनों, दोस्त-मित्रों, भाई-बंधुओं को दिल की गहराइयों से धन्यवाद देना चाहता हूँ जो रोज "कुछ अलग सा" पर आ कर मेरा हौसला बढ़ाते हैं और मेरे मनोबल को बने रहने में सहयोग प्रदान करते हैं। मेरे इस ब्लॉग का अस्तित्व या थोड़ी-बहुत जो भी पहचान बनी है, वह आप सब के प्रेम और स्नेह के कारण ही संभव हो सका है। ऐसा ही स्नेह व अपनत्व सदा बना रहे यही कामना है।
आज उन तमाम ब्लॉगर भाई-बहनों, दोस्त-मित्रों, भाई-बंधुओं को दिल की गहराइयों से धन्यवाद देना चाहता हूँ जो रोज "कुछ अलग सा" पर आ कर मेरा हौसला बढ़ाते हैं और मेरे मनोबल को बने रहने में सहयोग प्रदान करते हैं। मेरे इस ब्लॉग का अस्तित्व या थोड़ी-बहुत जो भी पहचान बनी है, वह आप सब के प्रेम और स्नेह के कारण ही संभव हो सका है। ऐसा ही स्नेह व अपनत्व सदा बना रहे यही कामना है।
कभी-कभार कुछ-कुछ लिखते रहने के शौक को ब्लॉग-लेखन में बदलने का सारा श्रेय हिन्दुस्तान टाइम्स की मासिक पत्रिका #कादम्बिनी को जाता है। अपने जन्म से ही यह हमारे घर की सदस्य रही है सो वर्षों से नियमित रूप से हमारे यहां आती थी। बात 2007 के इसके अक्टूबर अंक की है। उसमें #बालेन्दु_दाधीच_जी का ब्लागिंग पर एक विस्तृत लेख "ब्लॉग हो तो बात बने" छपा था। लेख की प्रेरणा, बालेन्दु जी के मार्गदर्शन और छोटे बेटे अभय की सहायता से मैंने भी अपना एक ब्लॉग बना ही लिया जिसे नाम दिया "कुछ अलग सा"। जो पूरी तरह स्वांत: सुखाय था। नई-नई विधा थी, शौक भी था तो कुछ ना कुछ रोज ही उस पर दर्ज हो जाता था। अचानक एक दिन #उड़न_तश्तरी के नाम से पहली बार एक टिपण्णी मिली। एक दो दिन बाद ही #राज_ भाटिया_जी ने अपना कमेंट भेजा, तब ब्लॉग की विशालता, उसकी ताकत और पहुँच का असली अंदाजा हुआ। इसी बीच #दैनिक_भास्कर, रायपुर और फिर #पंजाब_केसरी, जालंधर में रचना और लेख छपने से झिझक मिटी और हौसला भी बढ़ा। तभी एक दिन आस्ट्रेलिया से #अनुज_जी ने वहां हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए निकलने वाली पत्रिका #हिंदी_गौरव के लिए मेरे लेखों को छापने की अनुमति चाही, हिंदी का सवाल था, ना की गुंजाईश ही कहां थी ! इसी ब्लॉग के कारण नाम ज़रा पहचाना जाने लगा तो एक स्थानीय अखबार में भी स्तंभ लेखन का आमंत्रण मिला, अच्छा तो लगता ही है जब आपके काम को सराहना मिले। ऐसे ही सफर चलता चला जा रहा था; जब लखनऊ से #रविंद्र_प्रभात_जी के प्रयास से भूटान यात्रा का सुयोग बना। जिंदगी का बेहतरीन अनुभव। जिसके दौरान कई नए मित्र भी बने, पहचान भी बढ़ी।
धीरे-धीरे कारवां आगे बढ़ता रहा। समय के साथ-साथ विद्वानों, गुणीजनों का साथ मिला। उत्कृष्ट रचनाओं को पढ़ने का सुयोग प्राप्त हुआ। लेखन की हर विधा से साक्षात्कार हुआ। अद्भुत फोटोग्राफी, दुर्गम स्थानों की यात्रा तफ़सील, दूर-दराज के क्षेत्रों की जानकारी, जटिल विषयों का समाधान, हल्के-फुल्के मनोरंजन, सामयिक विषयों पर वार्तालाप के साथ-साथ राजनितिक कटुता, विचार वैमनस्य की कटुता का भी स्वाद चखा। पर यह सच्चाई भी सामने आई कि ज्यादातर लोग बहस से बचना चाहते हैं, एक दूसरे की बुराई कम ही करते हैं, लेख इत्यादि पर आलोचना नहीं के बराबर होती है, तारीफ़ की भरमार है। जो कहीं न कहीं खटकता है।
अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता, उसी तरह हर इंसान को अपनी बुद्धि, अपनी सोच, अपने विचार, अपनी कृति, अपना लेखन, सर्वोपरि लगता है, पर उसे असलियत जरूर बतानी चाहिए। जिससे वह अपनी कमियों, गलतियों को दूर कर सके।
अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता, उसी तरह हर इंसान को अपनी बुद्धि, अपनी सोच, अपने विचार, अपनी कृति, अपना लेखन, सर्वोपरि लगता है, पर उसे असलियत जरूर बतानी चाहिए। जिससे वह अपनी कमियों, गलतियों को दूर कर सके।
कृपया इसे आत्म-प्रशंसा ना समझें। पर आज जैसे कुछ अलग सा पर रोज सैंकड़ों आवक दर्ज हो रही हैं तो मन में इच्छा तो बहुत होती है कि सबसे मिला जाए, कौन हैं ! उनसे बात-चीत की जाए, पर ऐसा हो नहीं पाता, खुद आगे आ कर बात करने में एक झिझक सी सदा बनी रहती आई है ! पता नहीं प्रभु ने स्वभाव ही ऐसा बना कर भेजा है ! इसी कारण अभी तक छह-सात लोगों के अलावा किसी से मिलने का सुयोग नहीं हो पाया है। फिर भी सारे इष्ट-मित्र, साथी अपने लगते हैं। आप सभी "अनदेखे अपनो" का मैं सदा आभारी हूँ, आप का प्यार, स्नेह, अपनत्व, मार्गदर्शन सदा मिलता रहे यही कामना है।
जय हिन्द !
जय हिन्द !
12 टिप्पणियां:
कारवाँ चलता रहे यूं ही, बहुत शुभकामनाएं।
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (13-07-2017) को "झूल रही हैं ममता-माया" (चर्चा अंक-2666) (चर्चा अंक-2664) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ताऊ जी
चलायमान रहने के लिए साथ तो चाहिए ही आप सब का
शास्त्री जी
हार्दिक धन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " संभव हो तो समाज के तीन जहरों से दूर रहें “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
शुभकानमाएँ!
ब्लॉग बुलेटिन का सदा आभार है
अनुराग जी
ऐसे ही स्नेह बना रहे
कारवाँ यु ही चलता रहे गगन जी ढेरों शुभकामनाये :-)
यात्रा अनवरत चलती रहे
हार्दिक शुभकामनाएं!
संजय जी,
आपसी सहयोग से ही ऐसा संभव हो सकता है
कविता जी,
सब पर प्रभू की कृपा बनी रहे
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