बेटे की नौकरी चेन्नई मे लग गयी। अच्छी पगार थी, सो उसने पांच हजार की एक साडी माँ के लिये ले ली। पर
वह माँ का स्वभाव जानता था, सो उसने साडी के साथ एक पत्र भी भेज दिया कि पहली पगार से यह साडी भेज रहा हूं, दिखने में मंहगी है पर सिर्फ़ दो हजार की है, कैसी लगी बतलाना। अगले हफ़्ते ही माँ का फोन आ गया, बेटा खुश रहो। साडी बहुत ही अच्छी थी। मैने उसे तीन हजार में बेच दिया है, तुरंत वैसी दस साडियां और भिजवा दे, अच्छी मांग है।
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शिक्षक दिवस पर दिल्ली में बच्चों को हवाई यात्रा का आंनद दिलाने के लिए सरकार ने हेलिकाप्टर मुहैया करवाया। एक बार में दो बच्चे और एक शिक्षक को घूमाने का इंतजाम था। अभी कुछ ही ट्रिप लगी थीं कि एक स्थानीय नेताजी भी पहुंच गये और उन्होंने भी घूमने की इच्छा जाहिर की। मजबूरीवश एक बच्चे को हटा उनका इंतजाम किया गया। पर इस बार हेलिकाप्टर के उडते ही उसमे खराबी आ गयी। पायलट ने बताया कि सिर्फ़ तीन ही पैराशूट हैं, चूंकी सरकार को मेरी बहुत जरूरत है सो मैं एक ले कर कूदता हूं और वह कूद गया। इधर नेताजी बोले कि देश को मेरी बहुत जरूरत है सो एक मुझे चाहिए यह कह कर उन्होंने आव देखा ना ताव वे भी यह जा वह जा। ऐसी मुसीबत में भी शिक्षक ने अपनी मर्यादा कायम रक्खी और बच्चे से कहा, बेटा, मैंने तो अपनी जिंदगी जी ली। तुम देश का भविष्य हो तुम बाकी बचा पैराशूट ले कर कूद जाओ। बच्चे ने जवाब दिया नहीं सर हम दोनों ही कूदेंगें। शिक्षक बोले कैसे। तो छात्र ने बताया कि नेताजी मेरा स्कूल बैग ले कर कूद गये हैं।
बाढ़ग्रस्त इलाके में तैनात कर्मचारियों से वायूसेना ने पूछा कि लोगों को निकालने के लिये कितनी ट्रिप लगेंगी। जवाब दिया गया कि तीस-एक ट्रिप में गांव खाली हो जायेगा। बचाव अभियान शुरु हो गया। एक-दो-तीन-पांच-दस-बीस, पचास फेरे लगने के बाद भी लोग नज़र आते रहे, तो सेना ने पुछा कि आपने तीस फेरों की बात कही थी यहां तो पचास फेरों के बाद भी लोग बचे हुए हैं ऐसा कैसे। नीचे से आवाज आयी कि सर, गांव वाले पहली बार हेलिकॉप्टर में बैठे हैं तो जैसे ही उन्हें बचाव क्षेत्र में छोड़ कर आते हैं, वे फिर तैर कर वापस यहीं पहुंच जाते हैं।
नमस्ते सर, मैं आपका पियानो ठीक करने आया हूं। पर मैने तो आप को नहीं बुलवाया। नहीं सर, आपके
पडोसियों ने मुझे बुलवाया है।
अरे भाई, ये सेव कैसे दिये। सर साठ रुपये किलो। पर वह तुम्हारा सामने वाला तो पचास में दे रहा है। तो सर उसीसे ले लिजीए। ले तो लेता पर उसके पास खत्म हो गये हैं। सर जब मेरे पास खत्म हो जाते हैं तो मैं भी पचास में देता हूं ।
12 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया--
सादर --
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-06-2014) को ""मृगतृष्णा" (चर्चा मंच-1637) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-06-2014) को ""मृगतृष्णा" (चर्चा मंच-1637) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत बढिया सर।
बहुत रोचक और मज़ेदार...
शास्त्री जी,
पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
शिवम जी,
इस हल्की-फुल्की पोस्टको शामिल करने के लिए धन्यवाद
आशा जी,
सदा स्वागत है
कैलाश जी,
कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है.
bahut khoob*
June 2014 ke patrika me apke is blog ke bare me aaj jana...accha laga padhke...aasha karta hu ye blog hamesha aise hi chalta rahe...bahot shubhkamnaye aapko
Pankaj ji,
Hardik dhanywad
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