सही समय पर इलाज ना हो पाने के कारण कमला अमरनानी के पति तथा पुत्र की असमय मौत हो गयी थी। उस भीषण दुख से उबरते हुए उन्होंने ऐसे लोगों की मदद करने का संकल्प लिया जो किसी भी कारणवश अपनों की जिंदगी बचा पाने में असमर्थ होते हैं। उल्हास नगर में गरीबों के बीच माता के नाम से लोकप्रिय कमलाजी से शहर के रिश्वतखोर डाक्टर भी घबड़ाते हैं। यदी उन्हें किसी भी डाक्टर के रिश्वत लेने या अपने काम के प्रति लापरवाह होने का पता चलता है तो फिर उस डाक्टर की खैर नहीं रहती। 44 साल पहले उन्होंने डाक्टरों की हड़ताल के कारण अपने पति और पुत्र को खोया था और अब वे नहीं चाहती कि उनकी तरह किसी और को उस विभीषीका का सामना करना पड़े। आज 96 साल की उम्र में भी वे पूरी तरह सक्रिय हैं।
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अमेरिकी सेना में तैनात सार्जेंन्ट जानी कैंपेंन इराक गया तो था लोगों की मौत का पैगाम लेकर, पर इंसान के मन को कौन जान सका है। अपने इराक अभियान के दौरान जानी की मुलाकात वहां के राहत कैंप में एक आंख की बिमारी से ग्रस्त बच्ची, जाहिरा, से हुई, जिसका इलाज हो सकता था। जानी ने अपने गृह नगर में अपने दोस्तों और नगरवासियों से अपील कर एक बडी राशी एकत्र कर उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। आप्रेशन सफ़ल रहा। आज जाहिरा दुनिया देख सकती है। उसकी दादी कहती है कि युद्ध चाहे तबाही लाया हो, पर मेरी पोती के लिये उसी फौज का सिपाही भगवान बन कर आया।
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बैंकाक में तीन पहिया स्कूटर को "टुक-टुक" कहते हैं। इसी पर सवार हो कर जो हवस्टर और एन्टोनियो बोलिंगब्रोक केंट ने बैंकाक से ब्रिटेन तक 12 हजार मील की यात्रा सिर्फ़ इस लिए की जिससे मानसिक तौर पर विकलांगों की सहायता की जा सके। इसमे वे सफ़ल भी रहीं और उन्होंने 50 हजार पौंड जुटा अपना मिशन पूरा किया।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010
ये भी तो प्रशंसा के हकदार हैं
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15 टिप्पणियां:
vaakai hain...
गगन जी, आप कि प्रस्तुति प्रशंसा योग्य है. इन लोगों ने जो सराहनीय कार्य करे, इस के लिये वे निश्चय ही प्रशंसा और सम्मान के पत्र हैं. और मुझे पूर्ण विश्वास है कि उन को उचित सम्मान और सराहना अवश्य ही मिली होगी. यदि हम अपने आस पास नज़र डालें तो हमें भी ऐसे अवसर प्रतीक्षारत दिखाई देंगे, परन्तु, इतिहास में नाम केवल उन्हीं लोगों का लिखा जाता है जिन्होंने इन अवसरों को देखा, समझा और उन के समाधान के लिये कुछ करने का प्रयास किया.
नरेन्द्र वासल
जबलपुर
सुन्दर पोस्ट!
बहुत सुंदर जानकारियां दे रहे हे जी धन्यवाद
आपकी प्रस्तुति भी प्रशंशा की हकदार है. ऐसे लोगो को सलाम मेरा.
अच्छी जानकारिया आपने दी !अच्छे लोगो के नेक कार्यो को प्रचारित करना भी नेक कार्य है ...
प्रशंसा के हकदार तो आप भी हें, ऐसी खबरें यहां लाने के लिए.
apke dwara logo ke sarahniye prayas ki sarahna sarahniye hai
apke dwara logo ke sarahniye prayas ki sarahna sarahniye hai
Aap ki lekhani ko mera sat-sat pranam.
aase gine-chune log hay unhay mera
slam !jinohne kuch aalag kiya hay.
Aap ka hoshala bicharo par nirbhar karta hai yadi bichar majboot hai to samjhho sab kam banta hai
mera salam
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ऐसे अनगिनत लोग हैं जो सिर्फ कर्म में विश्वास रखते हैं, नाम में नहीं। सलाम है ऐसे महानुभावों को
दर्शन जी
अनेकानेक धन्यवाद
Hunkar
इनके लिए भी हुंकार उठनी जरूरी है
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