रविवार, 23 नवंबर 2025

अथ "पूले" कथा, सबका विकास, सबका ख्याल 😇

किसी ने भी उनकी वेदना पर कभी ध्यान नहीं दिया और इनके कामों को पुजारियों के कार्यों का एक हिस्सा समझ भूला दिया जाता रहा ! पर एक व्यक्ति ऐसा भी था जो इन्हें नहीं भूला ! उसने बनारस के मंदिरों के पुजारियों के इस कठिन कार्यों को देखा ! विपरीत परिस्थितियों में भी बिना शिकायत अपने कार्य सम्पन्न करते इन श्रद्देय लोगों की सहनशक्ति को नमन किया ! दैनिक कार्यों के प्रति उनके समर्पण, आस्था, निष्ठा को समझा ! पर इसके साथ ही उससे जुड़े कष्टों को भी महसूस किया..............!      

#हिन्दी_ब्लागिंग    

मारे देश में सैकड़ों प्राचीन मंदिर हैं जो आस्था के केंद्र हैं ! लाखों-लाख लोगों का तांता लगा रहता है यहां दर्शनों के लिए ! हर समय श्रद्धालु, भक्त, पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है ! लोग आते-जाते रहते हैं, अपनी इच्छाओं, मनोकामनाओं, अपने अरमानों की पूर्ति के लिए ! पर शायद ही उनका ध्यान कभी उन पुजारियों की तरफ भी जाता हो, जो उनकी कार्यसिद्धि का माध्यम बनते हैं ! जिनके बिना कोई भी पूजा सम्पन्न होना संभव ही नहीं है ! जो हमारी संस्कृति के रक्षक, हमारी सनातन परंपरा के संवाहक और हमारे धर्म के संरक्षक हैं ! जो बिना नागा वर्षों-वर्ष से कठिन व विपरीत परिस्थितियों में, कहीं-कहीं माइनस तापमान में भी, कठिन नियमों का पालन करते हुए, सुबह 3 बजे स्नान करके बर्फ समान ठंडे फर्श पर चलकर मंदिरों में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं । इन्हें आजीवन कठोर नियमों का पालन करना होता है। 

बर्फ पर नंगे पैर पूजा को जाते बद्रीनाथ मंदिर के पुजारी 
पर किसी ने भी उनकी वेदना पर कभी ध्यान नहीं दिया और इनके कामों को पुजारियों के कार्यों का एक हिस्सा समझ भूला दिया जाता रहा ! पर एक व्यक्ति ऐसा भी था, जिसने इनकी तकलीफों को देखा, कष्टों को समझा तो फिर उन्हें भूला नहीं  ! उसने बनारस के मंदिरों के पुजारियों के कठिन कार्यों को देखा ! विपरीत परिस्थितियों में भी बिना शिकायत अपने कार्य सम्पन्न करते इन श्रद्देय लोगों की सहनशक्ति को नमन किया ! दैनिक कार्यों के प्रति उनके समर्पण, आस्था, निष्ठा को समझा ! पर साथ ही उससे जुड़े कष्टों, कठिनाइयों को भी महसूस किया ! वह व्यक्ति था देश का प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ! 

स्नान-ध्यान 

पूजारत 
पुजारियों की इस तकलीफ को कुछ हद तक दूर करने के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री श्री जयराम ठाकुर से सम्पर्क कर वहां सर्दियों में पैरों में पहने जाने वाले पूलों की अपनी आवश्यकता के बारे में बताया ! ये पूले भांग के रेशों से बनी खास जूतियां होती हैं, जो पैरों को ठंड से तो बचाती ही हैं, साथ ही वनस्पति से बनी होने के कारण पूरी तरह प्राकृतिक और शुद्ध भी मानी जाती हैं। इसीलिए इन्हें पवित्र स्थानों पर धारण करने की अनुमति होती है ! प्रधानमंत्री मोदी ने यह विशेष जूतियां इसलिए मंगवाईं क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को प्रातः और संध्या पूजा के समय बर्फ समान, रक्त जमा देने वाले ठंडे फर्श पर नंगे पैरों खड़ा होना पड़ता है। सर्द मौसम में यह स्थिति और कठिन हो जाती है। उन्होंने इस बात की कभी शिकायत नहीं की, पर मोदी ने बिना कहे उनके कष्ट को समझा और उसके निवारण की कोशिश की ! ये बात उनके अपने देश और देशवासियों के प्रति कर्तव्य की समझ, चिंता, जागरूकता को तो दर्शाती ही है साथ ही यह भी बताती है कि छोटी-छोटी बातें भी उनसे नजरंदाज नहीं हो पातीं ! 

आराधना 
प्रधान मंत्री जी की इस बात का खुलासा, खुद हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री श्री जयराम ठाकुर ने एक विडिओ जारी कर किया है ! उन्होंने जो बात बताई वह जात-पात, भाषा-राजनीती से बहुत ऊपर है ! वह बात है इंसानियत की ! वह बात है दूसरों के कष्टों को समझने की ! वह बात है दूसरों की तकलीफों को दूर करने की चाहत की ! उस विडिओ का लिंक नीचे दिया हुआ है !

https://www.ndtv.com/video/pm-orders-traditional-himachali-poole-slippers-for-kashi-priests-pays-personally-997198

न्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं उन्हें फोन कर इन जूतियों की व्यवस्था करने को कहा था। इसी के तहत उन्होंने अपने इलाके में सक्रिय महिला समूहों से संपर्क कर करीब 250 जोड़ी पूले काशी भेजे। दिलचस्प बात यह रही कि जब बिल नहीं भेजा गया तो प्रधानमंत्री ने दोबारा फोन कर भुगतान की याद दिलाई और बाद में खुद अपने निजी खाते से 24 हजार रुपये महिला समूहों को भेजे। इससे दोहरा फायदा हुआ, पुलों से पुजारियों को ठंड से तो राहत मिली ही साथ ही उन मेहनतकश सक्रीय महिला समूहों की भी आर्थिक सहायता हो गई ! 


पूले 
वैसे देखने में तो यह एक छोटी सी बात लगती है, पर उस तरफ आज तक किसी और का ध्यान क्यों नहीं गया ! बड़े मंदिरों या तीर्थस्थलों को छोड़ दें तो देश के गांव-कस्बों में असंख्य ऐसे मंदिर, पूजास्थल हैं जिनके पुजारी या रख-रखाव करने वाले सिर्फ वहां के चढ़ावे या स्थानीय लोगों की मदद से किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं ! उनकी तरफ भी ध्यान जाना जरुरी है ! काश, जयराम ठाकुर जी की तरह देश के अन्य मुख्य मंत्री भी बिना किसी द्वेष, कुठां, पूर्वाग्रह के देश-हित में अच्छी बातों का सम्मान कर पाते ! जिससे यह कुछ-कुछ उपेक्षित सा वर्ग भी चिंतामुक्त हो देश-समाज की उन्नति में और भी योगदान दे पाता !

@चित्र तथा विडिओ अंतर्जाल के सौजन्य से 

8 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

:) नरेंद्र मोदी की जय |

Sunil Deepak ने कहा…

पुजारियों के कष्ट की इस जानकारी के लिए धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
वह तो करनी ही पड़ेगी ! देश प्रथम 😇

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुनील जी,
''कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है 🙏

Admin ने कहा…

ये पूरी कहानी पढ़कर मैं सच में सोचने लगता हूँ कि हम मंदिरों में जाते समय पुजारियों की मुश्किलें कितनी आसानी से नजरअंदाज कर देते हैं। वो लोग कितनी ठंड, कितने नियम और कितनी जिम्मेदारियाँ झेलते हैं, और फिर भी बिना शिकायत अपना काम करते रहते हैं।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Admin ji
देश के गांवों, कस्बों में ऐसे लाखों मंदिर हैं जिनके पुजारी या रख-रखाव करने वालों की हालत सोचनीय है ! उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से वहां के चढ़ावे या स्थानीय लोगों की सहायता से हो पाता है

Digvijay Agrawal ने कहा…

सुंदर अंक
सभी को सम्हालती हुई प्रस्तुति
वंदन

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आभार दिग्विजय जी 🙏

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