अपने सृजन के समय जो चरित्र एक भरोसेमंद, भलामानस व मददगार के रूप में गढ़ा गया था ! वह आज तक आते-आते पूर्णतया रीढ़-विहीन, मतलब-परस्त, कुटिल, धूर्त और सिर्फ अपने भले की सोच रखने वाला हो गया है ! वैसे तो ये समाज के हर तबके में उपलब्ध है, पर इनकी हाई-ब्रीड राजनितिक नर्सरियों में बड़ी कुशलता और देख-रेख के बीच पनपती है ! जिन्हें बड़ी आसानी से देखा, पहचाना तो जा सकता है पर वह आम इंसान की जिंदगी के लिए खरपतवार ही सिद्ध होती है.............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
क भी-कभी साहित्य का कोई शब्द, वाक्य, मुहावरा या चरित्र वर्षों बाद पुस्तक के पन्नों से निकल साक्षात देह धारण कर लेता है ! ऐसे कई उदाहरणों में से एक है, वर्षों पहले लिखे गए एक उपन्यास 'रॉबिन्सन क्रूसो' का एक काल्पनिक पात्र ''मैन फ्राइडे'' ! हम में से अधिकांश ने वह रोचक उपन्यास जरूर पढ़ा होगा।
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अपने मैनफ्राइडे के साथ क्रूसो |
आ ज से तकरीबन आठ सौ साल पहले एक अंग्रेज लेखक डैनियल डेफो या डैनियल फ़ो ने एक उपन्यास की रचना की थी, जिसका नाम था रॉबिन्सन क्रूसो। यह इतना लोकप्रिय हुआ कि 1719 में ही इसके चार संस्करणों ने छप कर इतिहास रच दिया। केवल पुस्तक रूप में ही नहीं बल्कि फिल्म, टेलीविजन और रेडियो तक में भी इसका रूपांतरण हुआ ! आज भी उसकी कहानी उतनी ही लोकप्रिय है।
इ सका नायक क्रूसो अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध इंग्लैंड से समुद्री यात्राओं पर निकल पड़ता है। अपनी कई रोमांचक, खतरनाक समुद्री यात्राओं में से एक कठिन उथल-पुथल भरी यात्रा में उसका जहाज तूफान में नष्ट हो जाता है और वह एक टापू में शरण लेता है ! वही उसकी भेंट एक स्थानीय व्यक्ति से होती है, पर दोनों एक दूसरे की भाषा नहीं समझते ! पर इसके बावजूद वह स्थानीय जंगली व्यक्ति क्रूसो का वफादार सेवक व सखा बन उसकी हर संभव मदद करता है, उसे हर खतरे से यहां तक कि खुद को जोखिम में डाल नरभक्षियों से भी बचाता है ! चूंकि जिस दिन इनकी भेंट होती है वह दिन शुक्रवार का था, इसलिए क्रूसो ने संवाद हीनता की वजह से उसे, मेरा आदमी शुक्रवार यानी मैन फ्राइडे का नाम दे दिया !
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आज का शुक्रु |
अ पने सृजन के समय जो चरित्र एक भरोसेमंद, भलामानस व मददगार के रूप में गढ़ा गया था ! परंतु समय के साथ अब वह एक अपमान सूचक शब्द सा बन गया है ! तक आते-आते उसका अर्थ पूर्णतया रीढ़-विहीन, मतलब-परस्त, कुटिल, धूर्त और सिर्फ अपने भले की सोच रखने वाला हो गया है ! वैसे तो ये समाज के हर तबके में उपलब्ध है, पर इनकी हाई-ब्रीड, राजनितिक नर्सरियों में बड़ी कुशलता और देख-रेख के बीच पनपती है ! जिन्हें बड़ी आसानी से देखा, पहचाना तो जा सकता है पर वह आम इंसान की जिंदगी के लिए खरपतवार ही सिद्ध होती है.......!
@आभार अंतर्जाल
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सुन्दर
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