कितने लोगों को पता है कि "ओआरएस" जैसे जीवन रक्षक मिश्रण का आविष्कारक एक भारतीय डॉक्टर था ! जिसकी पद्यति, ओ.आर.टी. ने अब तक विश्व भर में तकरीबन 6 करोड़ लोगों की जान बचाई है और भविष्य में और ना जाने कितने अनगिनत लोगों की जान बचाने का हेतु बनेगी ! पर इतनी बड़ी खोज करने वाले की कद्र उसी के देश में नहीं हो सकी ! अपने ही देश में वह गुमनाम सा हो कर रह गया ! उसका नाम तक अधिकाँश लोगों को नहीं पता ! एक तरह से गुमनामी के कोहरे में ही वह सबको अलविदा कह गया..........!
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आज राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर अपने ही देश के एक ऐसे डाक्टर की श्रद्धांजलि स्वरूप चर्चा, जिसके चिकित्सा क्षेत्र को दिए गए अपूर्व योगदान का अधिकांश देशवासियों को ही पता नहीं है !जबकि उनके आविष्कार का प्रयोग, जरुरत पड़ने पर, घर-घर में होता है। वे अगर चाहते तो अपने इस आविष्कार को पेटेंट करवा करोड़ों रूपए कमा सकते थे, पर उस सेवाभावी इंसान ने अपनी इस रामबाण खोज को मानवता के प्रति समर्पित कर बाजार में खुला छोड़ दिया, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उसका लाभ उठा सकें ! ज्यादा से ज्यादा जानें बचाई जा सकें ! इतना ही नहीं, जाते-जाते वे अपने जीवन भर की पूँजी भी आई.सी.एच, कोलकाता, को दान करते गए ! जहां उन्होंने पहली बार बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में काम करना शुरू किया था ! वे थे डॉ. दिलीप महालनाबिस और उनकी ईजाद का नाम है, "ओआरएस" यानी ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन ! चौँकने के साथ-साथ गर्व महसूस करने की बात है कि इस जीवनदाई ओषधि की खोज हमारे अपने देश के ही एक डॉक्टर ने की थी !
डॉ. दिलीप महालनाबिस |
अविभाजित बंगाल के किशोरगंज जिले में 12 नवम्बर 1934 में जन्मे दिलीप महालनाबिस ने 1958 में अपनी शिशु चिकित्सक की पढ़ाई कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में पूरी करने के बाद लंदन और एडिनबर्ग से भी डिग्री प्राप्त की ! वहीं क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन के रजिस्ट्रार के रूप में चुने जाने वाले पहले भारतीय बने ! 1960 में स्वदेश लौट उन्होंने कोलकाता में काम करना शुरू कर दिया ! डॉ. दिलीप महालनाबिस उन कई डॉक्टरों में से थे, जिन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान 1971 में हैजा जैसी घातक बीमारी फैलने पर निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की और लाखों लोगों की जान बचाई।
उस समय हैजा के कारण मरने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही थी। उन दिनों डिहाइड्रेशन का एकमात्र समाधान ड्रिप लगाना ही था ! डायरिया से पीड़ित अनगिनत लोगों की मदद के लिए एक बेहतर विकल्प ढूंढना बहुत जरुरी था ! ऐसी विकट परिस्थितियों में डॉ. दिलीप ने एक अनोखा पर सस्ता, मिश्रण तैयार किया, जिसे उन्होंने ओरल रिहाईड्रेशन सॉल्यूशन यानी ''ओ.आर.एस.'' का नाम दिया। इस सामान्य से मिक्सचर को पानी में मिला कर पिलाने से डिहाइड्रेशन दूर किया जा सकता था। इस तरह डॉ महालनाबिस ने बेहद सस्ती और कारगर ओरल रीहाइड्रेशन थेरपी (ओ.आर.टी.) को प्रचलित किया ! अन्य चिकित्सकों की लगातार आलोचना व प्रतिरोध के बावजूद उनका मानना था कि यह कार्य रोगियों के अप्रशिक्षित रिश्तेदारों द्वारा भी किया जा सकता है ! उन्होंने अपने पास ओ.आर.एस. के कई ड्रम भरवा कर रखे और परिवार और रिश्तेदारों से मरीज को घोल देते रहने को कहा। उनकी सोच और मेहनत रंग लाई और ओ.आर.एस. के चमत्कार से रोगियों में मृत्यु दर 30 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत से भी कम हो गई ! मरीज जल्द ही ठीक होकर घर भी लौटने लगे !
अब तो विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी यह मानना है कि ओरल रिहाईड्रेशन थेरेपी किसी भी आपातकालीन स्थिति में दस्त से निर्जलीकरण की रोकथाम और उपचार के लिए इंट्रावेनस थेरेपी का एक विकल्प है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार ओ.आर.टी. ने तक़रीबन 6 करोड़ लोगों की जान बचाई है ! पर इतनी बड़ी खोज करने वाले की कद्र उसी के देश में नहीं हो सकी ! अपने ही देश में वह गुमनाम सा हो कर रह गया ! उसका नाम तक अधिकाँश लोगों को नहीं पता !
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नेत्र शल्य-चिकित्सा का विश्वसनीय केंद्र
दिलीप महालनाबिस एक अच्छे डॉक्टर, वैज्ञानिक, वनम्र और दयालु व्यक्ति थे, जो सदा देने में विश्वास करते रहे ! इतनी बड़ी खोज, जिससे वे दुनिया भर में मशहूर हो सकते थे, उसका मोह नहीं किया ! अब तक तकरीबन छह करोड़ और भविष्य में ना जाने कितने अनगिनत लोगों की जान बचाने का हेतु बनने वाला, एक तरह से गुमनामी के कोहरे में 15 अक्टूबर, 2022 को 87 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गया ! मरणोपरांत, देश के 74वें गणतंत्र दिवस पर, भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया ! देश और दुनिया के प्रति उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा !
10 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 02 जूलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा धन्यवाद!
यशोदा जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद🙏
डाक्टर दिवस पर डाक्टर दिलीप महालनाबिस के बारे में सार्थक आलेख, इस महान वैज्ञानिक और डाक्टर को शत शत नमन!
हार्दिक आभार, अनीता जी🙏🏻
नमन ऐसी शख्सियत को | आभार सुन्दर जानकारी के लिए|
सुशील जी
सदा स्वागत है आपका🙏
बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली । आभार ।
संगीता जी
अनेकानेक धन्यवाद🙏
Thank you for interesting and unknown information 🙏
सदा स्वागत है, कदम जी 🙏
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