शुक्रवार, 9 जून 2023

यादगार यात्रा, डलहौजी-खजियार की

पहाड़ों में प्रचलित एक कहावत के अनुसार तीन Unpredictable ''W'' में से एक, Weather, का शाम होते-होते मिजाज बदलने लगा था ! आस-पास की पहाड़ियों पर घने काले बादल छाने व मंडराने लग गए थे ! इसके पहले कि उसका गुस्सा बढ़ता हमने अपने होटल की शरण लेना बेहतर समझा ! परंतु शॉपिंग का प्रेम कुछ लोगों को मॉल की ओर ले तो गया, पर बारिश ने प्रेम पर अपना आँचल डाल दिया, फिर क्या ! वही हुआ जो मंजूरे बरसात था ! कुछ लेना-खरीदना तो दूर जो अपने पास था वह भी पानी-पानी हो गया 😃

#हिन्दी_ब्लॉगिंग 

RSCB के मई के उत्तरार्द्ध के अमृतसर-चिंतपूर्णी यात्रा का अमृतसर के बाद दूसरा पड़ाव था, हिमाचल का खूबसूरत, छोटा सा पहाड़ी शहर डलहौजी ! सफर के दूसरे दिन होटल वगैरह की कार्यवाही निपटा, जालियांवाला बाग में श्रद्धांजलि अर्पित करने और दुर्गयाणा मंदिर के दर्शनों के पश्चात हमारी स्वस्थ-प्रसन्न टोली ने यहां से तक़रीबन 198 किमी दूर स्थित डलहौजी का रूख किया ! सड़क मार्ग से डलहौज़ी दिल्ली से 555 किमी तथा चंबा से 45 किमी है ! इसका निकटतम रेलवे स्टेहन पठानकोट यहां से 85 किमी की दूरी पर है !   

दुर्गियाना मंदिर 

जालियांवाला बाग, प्रवेश द्वार 

जालियांवाला बाग 

डलहौजी, 19वीं शताब्दी में भारत के ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी के नाम पर इसका नामकरण किया गया था ! धौलाधार पर्वत श्रृंखला की पांच पहाड़ियों, कैथलॉग, पोट्रेस, तेहरा, बकरोटा और बोलुन, पर बसा यह शहर, अपने सुरम्य परिदृश्य, अद्भुत वनों, प्राकृतिक दृश्यों, हरी, मृदु घास के मैदानों के लिए पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है ! धुंध से घिरी धौलाधार पर्वत की घाटियां, उसकी स्वप्निल चोटियों से निकलती तेज प्रवाह नदियों के अनूठे घुमावदार मोड़, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं ! यहां के ब्रिटिश कालीन, संरक्षित चर्च अपनी अनोखी वास्तुकला के चलते अभी भी बेहद दर्शनीय हैं ! 

डलहौजी

डलहौजी की शाम 
हाड़ी रास्ते के कारण डलहौजी के निर्धारित होटल तक पहुंचते-पहुंचते रात घिर आई थी ! कुछ बस यात्रा की थकान भी थी, सो कहीं बाहर ना जा, सभी सदस्यों ने चाय के सहारे एक साथ मिल-बैठ कर बेहतरीन समय का आनंद उठाया ! बेतकल्लुफ़ी के माहौल में एक-दूसरे को बेहतर तरीके से समझना-जानना हुआ ! कितनों की दबी-ढकी प्रतिभाएं सामने आईं ! एक-दूसरे के अनुभवों का, जानकारियों का आदान-प्रदान हुआ ! फिर सबने एक-दूसरे से विदा ली ! अगले दिन खजियार भी तो जाना था !

खजियार

खजियार
खजियार, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में एक से एक खूबसूरत, मनोरम व सकूनदायक पहाड़ी स्थल हैं। उन्हीं में से एक है, हिमाचल के डलहौजी शहर से करीब 24 किमी दूर एक मनोहारी स्थल, खजियार ! जिसने अपनी अत्यधिक प्राकृतिक सुंदरता के कारण, मिनी स्विटरजलैंड का खिताब हासिल किया हुआ है ! चारों ओर से चीड़ के वृक्षों से घिरे इसके बुग्याल में एक मनोरम झील भी है, जिसे खजियार लेक के नाम से जाना जाता है ! झील के पास ही एक नाग मंदिर है, जहां प्रस्तर से बनी नागदेवता की मूर्ति की विधिवत रोजाना पूजा की जाती है ! पहाड़ी स्थापत्य कला में निर्मित 10वीं शताब्दी का यह धार्मिक स्थल खज्जी नाग मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के मंडप के कोनों में पांच पांडवों की लकड़ी की मूर्तियां स्थापित हैं। मान्यता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आकर ठहरे थे। यहां की लोक-मान्यता के अनुसार इस जगह का नाम खज्जी नाग  के नाम पर पड़ा है, जिनका मूल निवास आज भी इसी झील में है !

खज्जीनाग मंदिर 
पंचपुला झरने की ओर 

पंचपुला झरना 
एक लोक कथा के अनुसार सदियों पहले पूंपर नामक इस गांव के लोगों को एक बार पहाड़ पर कुछ चमकीली चीज दिखाई दी ! उनके वहां खजाना समझ खुदाई करने पर चार नाग देवता प्रगट हुए ! जिनके आदेशानुसार उन्हें एक डोली में बैठा, नीचे ले आया जाने लगा, पर रास्ते में सुकरेही नामक स्थान पर डोली के अत्यधिक भारी हो जाने के कारण उसे वहीं रख देना पड़ा ! तब चारों नाग देवता वहां से अलग-अलग जगहों, खजियार, नधूईं, चुवाड़ी और जमुहार में जा कर बस गए ! तभी से इस जगह को खज्जी नाग के नाम पर खजियार या खज्जियार कहा जाने लगा ! खजियार के पास ही कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जिनमें कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण्य, पंचपुला, सुभाष बावली इत्यादि प्रमुख हैं !

                                                                 मस्ती, खुले दिल से           

लौटने का समय हो रहा था ! वैसे भी पहाड़ों में प्रचलित एक कहावत के अनुसार तीन Unpredictable ''W'' में से एक, Weather के स्वभाव में बदलाव आता दिख रहा था ! आस-पास की पहाड़ियों पर घने काले बादल छाने व मंडराने लग गए थे ! इसके पहले कि उसका मिजाज और खराब होता, हमने अपने होटल की शरण लेना श्रेयकर समझा ! परंतु इस हालात में भी शॉपिंग का प्रेम कुछ लोगों को मॉल की ओर ले ही गया ! पर बारिश ने उस प्रेम पर अपना आँचल डाल दिया ! फिर क्या....., वही हुआ जो मंजूरे बरसात था 😃   

-- कल धर्मशाला की ओर 

2 टिप्‍पणियां:

घनश्याम स्वरूप सारस्वत ने कहा…

बहुत सुंदर 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक आभार, घनश्याम जी ✨🙏🏻

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