शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

रॉस तथा नॉर्थ बे टापू, अंडमान

ब्रिटिश राज के खंडहर साम्राज्यवादी इतिहास के काले अध्याय के गवाह के तौर पर यहां मौजूद हैं। पर समय, मौसम और वातावरण का असर इन पर साफ नजर आता है ! तेजी से बढ़ रहे जंगल, इन खंडहरों को अपने आगोश में ले रहे हैं ! यहां कोई रहता भी नहीं है, सिर्फ पर्यटकों की आवाजाही होती है। एक तरह से यह वीरान-सुनसान टापू भुतहा जजीरे का रूप लेता जा रहा है ! यहां की ज्यादातर इमारतें किसी भुतहा फिल्म के दृश्यों की तरह लताओं-वृक्षों की गिरफ्त में आ डरावनी शक्ल इख्तियार कर चुकी हैं..............!

#हिन्दी_ब्लागिंग 
सुबह की फ्लाइट और फिर देर शाम तक के सेलुलर जेल के भ्रमण ने पहले दिन यानी ग्यारह दिसंबर को बेहद थका डाला था ! फिर भी दूसरे दिन नई जगह को देखने के चाव में पूर्व निर्धारित समय पर होटल की लॉबी में सभी अपने-आप को तरो-ताजा महसूस कर रहे थे ! आज का गंतव्य था मशहूर रॉस तथा नॉर्थ बे टापू ! 



हमारी RSCB संस्था ठोक-बजा कर ही किसी एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपती है ! क्योंकि इनके द्वारा प्रायोजित यात्राओं के सदस्य वरिष्ठ नागरिक ही होते हैं ! हालांकि इनमे हौसले की कोई कमी नहीं होती पर फिर भी विशेष देख-रेख की जरुरत तो होती ही है ! तो दूसरे दिन यानी 12 दिसंबर को फेरी के द्वारा पहले नार्थ बे तट पर ले जाया गया ! पूरा अंडमान-निकोबार ही मूंगों का घर है ! इनको बचाए रखने पर पूरा ध्यान दिया जाता है ! इसीलिए फेरी वगैरह को तट से काफी दूर रोक दिया जाता है और पर्यटकों को फ्लोटिंग जेटी द्वारा तटों पर पहुंचाया जाता है ! 





हमारा स्टीमर भी तट से करीब दो सौ मीटर पहले ऐसी ही जेटी पर लगाया गया ! कुछ पैदल चलने पर गहरी उतराई थी जो करीब चार सौ सीढ़ियों से उतरनी थी ! नीचे उतरने पर एक पुल के ऊपर से गुजर कर लाइट हॉउस के नजदीक तक पहुंचा जाता है ! पूरा टापू घने जंगल और पेड़ों से पटा पड़ा है ! पर इसके तट से अठखेलियां करता सागर का पानी अद्भुत है ! इतना साफ और स्वच्छ की शीशा भी शरमा जाए ! अछूती प्रकृति का अनूठा रूप ! जिसका वर्णन नहीं सिर्फ महसूस किया जा सकता है ! यही कारण है कि इस टापू की तस्वीर को भारत के बीस रूपए (पुराने) के नोट के पिछले हिस्से में स्थान पाने का गौरव प्राप्त हुआ ! पुल के आखिरी सिरे पर उन सैंकड़ों जहाजी सैनिकों की याद में एक मेमोरियल बना हुआ है जिन्होंने देश की रक्षा हेतु अपनी जान न्योछावर कर दी ! यहीं से कुछ आगे वह लाइट हॉउस अभी भी खड़ा है जो उस साधन-विहीन समय में यहां आने वाले जहाज़ों को सुरक्षित पार लगने में सहायक हुआ करता था !   




हमारा अगला पड़ाव रॉस आइलैंड था ! जिसका नाम बदल कर अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप कर दिया गया है। यह देख-सुन कर बहुत अच्छा लगा कि इस बदलाव से अंडमान के निवासी काफी खुश,संतुष्ट व फक्र महसूस करने लगे हैं ! जैसे दासता की एक और निशानी खत्म हो हमारे वीर स्वतंत्रता सैनानियों को उनकी पहचान मिल गई हो ! उसी फेरी से फिर एक बार जल यात्रा कर हमें वहां पहुंचाया गया !






करीब दो सौ साल पहले अंग्रेजों ने इसे भौगोलिक दृष्टि से उपयोगी पाते हुए इसे अपना मुख्यालय बनाया था।आज भी ब्रिटिश राज के बंगलों, चर्च, बॉलरूम, सैनिकों के रहने के लिए बनाई गए बैरक, कब्रिस्तान के खंडहर साम्राज्यवादी इतिहास के काले अध्याय के गवाह के तौर पर मौजूद हैं। पर समय, मौसम और वातावरण का असर इन पर साफ नजर आता है ! तेजी से बढ़ रहे जंगल, इन खंडहरों को अपने आगोश में ले रहे हैं ! यहां कोई रहता भी नहीं है, सिर्फ पर्यटकों की आवाजाही होती है। एक तरह से यह वीरान-सुनसान भुतहा जजीरे का रूप लेता जा रहा है ! यहां की ज्यादातर इमारतें किसी भुतहा फिल्म के दृश्यों की तरह लताओं-वृक्षों की गिरफ्त में आ डरावनी शक्ल इख्तियार कर चुकी हैं ! अद्भुत समुद्री किनारों से घिरी इस जगह का जायजा पैदल घूम कर लिया जा सकता है। वैसे पर्यटकों की सुविधा के लिए बैटरी रिक्शा भी उपलब्ध है ! यहां अच्छी खासी संख्या में चीतल, हिरन, बारहसिंगा, खरगोश, मोर और विभिन्न पक्षी विचरते देखे जा सकते हैं !





पता ही नहीं चला दो-अढ़ाई घंटे कब निकल गए ! अपनी फेरी में लद वापस पोर्टब्लेयर आ होटल में आश्रय लिया ! शाम गहरा रही थी ! हल्के-फुल्के चाय-कलेवे के बाद महिला सदस्यों ने अपने पसंदीदा खेल तंबोला का आयोजन कर डाला। इसे ना जानने वाले सदस्य भी आ जुटे ! फिर रात्रि भोजन और बिस्तर की पनाह ! सुबह जल्दी उठ क्रूज के द्वारा हैवलॉक आइलैंड भी तो जाना था। 

22 टिप्‍पणियां:

Kadam Sharma ने कहा…

बहुत ही सुंदर व ज्ञानवर्धक जानकारी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, कदम जी

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलरविवार (9-1-22) को "वो अमृता... ज‍िसे हम अंडरएस्‍टीमेट करते रहे"'(चर्चा अंक-4304)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद🙏

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 जनवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Manisha Goswami ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत 😍

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यशोदा जी
सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मनीषा जी
हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद 🙏

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी के साथ एक से बढ़कर एक फोटो देख मन प्रफुल्लित हो उठा
समय के साथ बड़े-बड़े राजपाट कैसे खंडहर और वीरान हो जाते हैं इसके सबूत अपनी खुली आँखों से देखना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है, है न ? .....

Marmagya - know the inner self ने कहा…

आदरणीय गगन शर्मा जी, आपकी यात्रा के वर्णन और तस्वीरों को देखकर हम भी यात्री हो गए। बहुत अच्छा संस्मरण! साधुवाद१--ब्रजेंद्रनाथ

मन की वीणा ने कहा…

यात्रा वृत्तांत के साथ साथ सुंदर जानकारियां , दृश्य चित्र उत्पन्न करता सुंदर वृतांत।
सौंदर्य बोध का साक्षात नमूना।
सभी चित्र स्पष्ट और आकर्षक।
अप्रतिम पोस्ट।

i b arora ने कहा…

हम भी कोई दस साल पहले वहां गए थे . आपका लेख पढ़ कर कई यादें हरी हो गईं.

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

जितना सुंदर यात्रा वृत्तांत ,उतना ही सुंदर छायाचित्र, और लाजवाब भाषा शैली । चित्रों को देख मन मुग्ध हो गया । लगा इतनी सुंदर और ऐतिहासिक जगह ही जाना चाहिए । उपयोगी और सार्थक जानकारी देते इस बेहतरीन संस्मरण के लिए बहुत शुभकामनाएँ गगन जी । आभार सहित अभिवादन ।

Harash Mahajan ने कहा…

बहुत ही सुंदर यात्रा वर्णन ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कविता जी
11 से 16 दिसंबर तक रही यह यात्रा ! रोज का ब्यौरा लिख रहा हूँ ! नई पोस्ट में वीडियो भी संलग्न है,देखिएगा।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ब्रजेन्द्रनाथ जी
बहुत-बहुत धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
बहुत-बहुत धन्यवाद ! ऐसी सराहना से ही मनोबल बना रहता है ! 11 से 16 दिसंबर तक रही यह यात्रा ! नई पोस्ट में वीडियो भी संलग्न है,देखिएगा !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अरोड़ा जी
''कुछ अलग सा'' पर आपका सदा स्वागत है ! वैसे वहां कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है, अलबत्ता पोर्टब्लेयर में कुछ आबादी जरूर बढ़ गई है !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
हार्दिक आभार ! 11 से 16 दिसंबर तक की इस यात्रा की नई पोस्ट में वीडियो भी संलग्न है,देखिएगा !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हर्ष जी
ब्लॉग पर आपका सदा स्वागत है

Kadam Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर यात्रा विवरण

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कदम जी,
धन्यवाद आपका

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