कभी अपने शरीर की पुकार को सुनने की चेष्टा करें ! उसकी आवाज को समझने की कोशिश करें ! ध्यान रखें कि विश्व में आपके रहने की एकमात्र जगह आपका शरीर ही है ! वही नहीं रहा तो आप भी कहीं के नहीं रहोगे ! अगर आप उसका दस प्रतिशत भी ध्यान रखेंगे, तो उसमें इतनी क्षमता है कि वह आपका सौ प्रतिशत ख्याल रख सके। जिससे आपका वजूद है, जिसकी वजह से आप दुनिया भर के सुख भोग पा रहे हैं, जिंदगी जी रहे हैं, नाते-रिश्ते निभा पा रहे हैं, तरह-तरह के अनुभव ले पा रहे हैं, उसके साथ ज्यादती ना करें ! यदि आपने अपने पिछले अनुभवों से भी कोई सबक नहीं लिया है, तो फिर यदि कुछ होता है तो इसमें कोरोना का कोई दोष नहीं है................!!
#हिन्दी_ब्लागिंग
दुश्मन यदि जाना-पहचाना हो, उसके तौर-तरीके, शक्ति, आक्रमण शैली आदि का पहले से कुछ आभास हो तो खुद का बचाव तो संभव होता ही है, जीत भी मिल सकती है ! पर दुश्मन पूरी तरह अनजान हो तो यह एक तरह से हमारे ग्रंथों में वर्णित मायावी युद्धों की तरह हो जाता है ! जिससे पार पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है ! यदि पार पा भी लिया जाए तो उसमें इतना समय और जान-माल का नुक्सान होता है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज कोरोना वैसे ही मायावी, छल-छद्म से भरपूर खतरनाक दुश्मन की तरह हमारे सामने है। जब तक उसकी कमजोरियों का पता नहीं चल जाता तब तक हमें सौ प्रतिशत सावधान रहने की जरुरत है। पर ऐसा हो नहीं पा रहा ! युवा पीढ़ी के एक बड़े हिस्से की जीवनशैली में आए बदलावों, उनकी लापरवाहियों और कुछ-कुछ गैर जिम्मेदाराना रवैये से हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं ! कारण भी साफ़ हैं !
* यदि आप देर रात जागने के आदी हैं ! रात डेढ़-दो बजे के पहले आप को नींद नहीं आती हो !
* घर के खाने की बजाय आप रात को एक-डेढ़ बजे मैगी, पास्ता और नूडल्स का सेवन करते हों !
* आपकी सुबह दोपहर 11-12 बजे होती हो !
* खाने-नाश्ते का कोई निश्चित समय ना हो !
* देर रात चाय कॉफी की लत हो !
* आपके 10 x 8 के बंद कमरे में कोई हो न हो फिर भी आपका 45'' टीवी 16-16 घंटे विकिरण फैलाए रखता हो !
* आपका मोबाइल सिर्फ नहाते समय आपसे अलग होता हो ! वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक नई बिमारी का कारण भी बनने जा रहा है !
* साफ़-सफाई का ध्यान ना रख पाते हों !
* गैर जरुरी चीजों यथा सौंदर्य प्रसाधनों, खिलौनों या विभिन्न कंपनियों की छूट के लालच में आप ऑनलाइन खरीदी करने से खुद को रोक नहीं पाते हों !
* दोस्तों की पार्टियों में जाने से रुक ना पाते हों !
* बिना मतलब बिना काम रात-विरात गाडी में घूमने निकल जाते हों !
तो समझ लीजिए कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना क्या किसी भी बिमारी को रोकने में सक्षम नहीं होगी ! छोटे-मोटे रोगों के लिए भी आप एक सॉफ्ट टारगेट हैं ! कभी अपने शरीर की पुकार को समझने की चेष्टा करें ! उसकी आवाज को सुनने की कोशिश करें ! ध्यान रखें कि विश्व में आपके रहने की एकमात्र जगह आपका शरीर ही है ! वही नहीं रहा तो आप भी कहीं के नहीं रहोगे ! उसका आप दस प्रतिशत ध्यान रखेंगे तो उसमें इतनी क्षमता है कि वह आपका सौ प्रतिशत ख्याल रख सके ! जिससे आपका वजूद है जिसकी वजह से आप दुनिया भर के सुख भोग पा रहे हैं, जिंदगी जी रहे हैं, नाते-रिश्ते निभा पा रहे हैं, तरह-तरह के अनुभव ले पा रहे हैं उसके साथ ज्यादती ना करें ! यह साबित भी हो चुका है कि अपनी क्षति से हुए नुक्सान की शरीर खुद भरपाई कर सकता है। हल्की-फुल्की कसरत या टहलने से ही रक्तचाप काबू में आ जाता है ! खान-पान सुधरते ही लोग स्वस्थ महसूस करने लगते हैं ! जंकफूड छोड़ते ही पाचन ठीक होने लगता है ! धूम्रपान से दूरी बनाते ही फेफड़े अपनी पूरी ताकत से काम करने लग जाते हैं ! पुरानी आदतें और आरामपरस्ती छूटना आसान काम नहीं है पर यह नामुमकिन भी नहीं है ! सिर्फ दृढ इच्छाशक्ति की जरुरत है ! वह भी अपने भले के लिए !
परंतु यह सब जानने-बूझने के बावजूद यदि आप अपने ही शरीर का ख्याल रखने में कोताही बरतते हैं ! उस पर बदस्तूर ज्यादतियां करने से बाज नहीं आते हैं ! आप बिमारी की गिरफ्त में आ ठीक हो जाते हैं पर ठीक होने के बावजूद अपनी पुरानी आदतों को नहीं छोड़ पाते हैं ! ऐसा कर आप अपने शरीर के प्रति अन्याय तो करते ही हैं साथ ही खुद और अपने परिवार के भी गुनहगार साबित होते हैं ! यदि ऐसा ही रहा तो यह निश्चित मानिए कि आपका शरीर आपके ही विरुद्ध विद्रोह करेगा ! क्योंकि यदि -
* आपका देर से सोने और उठने का समय अभी भी वैसा ही है !
* नहाने-खाने का कोई समय व ठिकाना नहीं है !
* सुबह सूर्य कब निकलता है आपको नहीं पता, ना हीं आप उसका कोई फायदा उठाते हैं !
* वैसे ही आप दिन भर फोन से चिपके रहते हैं !
* टीवी फिर वैसे ही चलता रहता है !
* भोजन के समय नाश्ता, शाम चाय के समय भोजन और देर रात कुछ भी उटपटांग अभी भी खाते हैं !
* बाहर से विभिन्न जगहों और जरिये से सामान बदस्तूर अभी भी घर में वैसे ही आ रहा होता है !
* आपकी दिनचर्या, आपकी लतें, आपके शौक सब पहले की तरह वैसे के वैसे ही हैं !
जिंदगी की अधिकांश अव्यवस्था का मुख्य कारण सोने-जागने का अनियमित होना ही है ! ऐसे लोगों की दिनचर्या और स्वास्थय तक़रीबन सदा बिगड़ा ही रहता है ! क्योंकि देर रात जागने खर्च हुई ऊर्जा की भरपाई के लिए शरीर कुछ खाने की इच्छा जागृत करता है और उस समय खाया जाने वाले पदार्थ कैसे हो सकते हैं यह कोई भी बता सकता है ! फिर देर से उठने पर जो हड़बड़ाहट रहती है, वह तन-बदन का भरपूर नुक्सान करने से बाज नहीं आती !
यदि ऐसा है और पिछली बिमारी से भी आपने कोई सबक नहीं लिया है, तो फिर यदि कुछ होता है तो इसमें कोरोना का कोई दोष नहीं है................!!
8 टिप्पणियां:
Bilkul sahi
हार्दिक धन्यवाद, कदम जी
यदि ऐसा है और पिछली बिमारी से भी आपने कोई सबक नहीं लिया है, तो फिर यदि कुछ होता है तो इसमें कोरोना का कोई दोष नहीं है................!!
सबक ही तो नहीं लिया ....
संगीता जी
वही तो! इतनी लापरवाही! उसी का फल भुगतना पड़ रहा है
बहुत सही बात कही है आपने गगन जी,सारे बिंदु सही हैं,मैने तो अपने कई लोगों को ये सारे बिंदुओं को भेज दिया है ।
जिज्ञासा जी
पता नहीं क्यों लोग खुद से ही खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते
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सिमरन जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका
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