मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

वायु प्रदुषण से बचाव के कुछ उपाय

 विशेषज्ञों का कहना है, वायु प्रदुषण से बचाव के लिए घर के अंदर कुछ पौधे अवश्य लगाएं। मच्छरों से बचाव के लिए आने वाले क्वॉयल या केमिकल का प्रयोग ना ही करें। इन दिनों हो सके तो अगरबत्ती या धूप भी ना जलाएं। पानी में एक चम्मच हल्दी डाल भाप लें। नियमित कसरत करें। कफ-कारक खाद्य लेने से बचें। तुलसी, काली मिर्च,  छोटी पिपली, इलायची, इत्यादि का सेवन जरूर करें। खाने के बाद करीब एक तोला गुड़ जरूर खाएं, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। नाक की नली को साफ़ रखने के लिए रात सोते समय दो-दो बूँद गाय का घी दोनों नथुनों में डालें जिससे वहां प्रदूषक तत्वों का जमावडा न हो सके..........!

#हिन्दी_ब्लागिंग
काफी दिनों से, दिनों से क्या सालों से अक्तूबर के बाद से ही दिल्ली की हवा यहां के रहवासियों की हवा खराब करने से बाज नहीं आ रही। लाख हल्ला मचे, गुल-गपाड़ा हो, एक दूसरे पर तोहमत थोपी जाए, पर जिम्मेवार लोग कभी इस मुद्दे पर गंभीर होते नहीं दिखते। नाही लगता है कि उनको किसी की चिंता या फ़िक्र है। इधर हमने भी जैसे खाद्यपदार्थों व पानी की मिलावट और अशुद्धता पर जान के जोखिम के बावजूद समझौता सा कर लिया है ! पर प्राणवायु  का क्या किया जाए ! जिसके बिना एक मिनट भी ज़िंदा रहना असंभव होता है ! अपने घर पर कोई कितना भी वायु शुद्धिकरण के उपाय कर ले, पर बाहर तो निकलना ही पड़ता है ! और ऐसा भी नहीं है कि इसके बिना कुछ घंटे रह लिया जा सके ! तो फिर उपाय क्या है ? इसका एक ही जवाब मिल पाया कि अपने शरीर को ही कुछ मजबूती और सुरक्षा प्रदान कर दी जाए !
ऐसा जहर जब अंदर जाएगा तो शरीर क्या करेगा ?
इस बार अपने पंजाब प्रवास के दौरान वहां वैद्य श्री विनोद शर्मा जी के पड़ोस में रहने का संयोग मिला तो उनसे इस विषय में सलाह लेने का मौका भी मिल गया। उन्होंने बताया, पहले वातावरण में कोहरा छाता था जो ठंड में हवा में स्थित वाष्पकणों पर धूल-मिट्टी इत्यादि के जमने से बनता था, सूर्य की तपिश पाते ही हवा की नमी के साथ-साथ यह भी गायब हो जाता था। पर अब धूल के अति बारीक कण और धुएं ने उसका स्थान ले लिया है। जो गर्मी पा कर भी गायब नहीं हो पाते ! यह समस्या मैदानी इलाकों में तकरीबन सभी जगह पैर पसार रही है। पर सांस तो लेनी ही है, उसके बिना गुजारा भी नहीं है। श्वास की बीमारियों वाले या बुजुर्गों को ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है। बाहर तो बदलना आसान नहीं है ! इसके लिए अपने शरीर को ही तैयार करना पडेगा। जिसके लिए कुछ सावधानियों के साथ-साथ अपने खान-पान में भी कुछ चीजों का समावेश जरुरी है।
कुछ हद तक वायु को साफ़ कर ही देते हैं 
वायु प्रदूषण से बचाव के लिए घर के अंदर कुछ पौधे अवश्य लगाएं। जैसे सर्प पौधा, नागबेल या मनीप्लांट इत्यादि। मच्छरों से बचाव के लिए आने वाले क्वॉयल या केमिकल का प्रयोग ना करें। इन दिनों हो सके तो अगरबत्ती या धूप भी ना जलाएं। एक दिन के अंतराल पर पानी में एक चम्मच हल्दी डाल भाप लें। नियमित कसरत करें। कफ-कारक खाद्य लेने से बचें। तुलसी, काली मिर्च, छोटी पिपली, इलायची, जीरे, हल्दी इत्यादि का सेवन जरूर करें। खाने के बाद करीब एक तोला गुड़ जरूर खाएं, यह भोजन तो हजम करता ही है श्वास के रोगियों की ठंड में आतंरिक गर्मी की जरुरत भी पूरी करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। नाक की नाली को साफ़ रखने के लिए रात सोते समय दो-दो बूँद गाय का घी नाक में डालें जिससे वहां प्रदूषक तत्वों का जमावडा न हो सके। रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ एक-दो दिन के अंतराल में त्रिफला चूर्ण लेते रहें। वातावरण बहुत ज्यादा ही खराब हो तो नाक पर कपड़ा लपेट कर निकलें, खासकर बाइक इत्यादि चलाते समय तो यह सावधानी जरूर बरतें।      

4 टिप्‍पणियां:

radha tiwari( radhegopal) ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-12-2018) को "बीता कौन, वर्ष या तुम" (चर्चा अंक-3176) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राधा जी, आभार! इससे जितना भला हो सके!

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

सारगर्भित एवं विचारणीय लेख।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रविन्द्र जी, ''कुछ अलग सा'' पर सदा स्वागत है

विशिष्ट पोस्ट

"मोबिकेट" यानी मोबाइल शिष्टाचार

आज मोबाइल शिष्टाचार पर बात करना  करना ठीक ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जा रहा हो ! अधिकाँश लोग इन सब ...