मंगलवार, 13 मार्च 2018

FOGG का फॉगी विज्ञापन

ऐसा ही एक उत्पाद है,  #FOGG नाम का परफ्यूम, जो हट कर विज्ञापन देने के चक्कर में कुछ भी ऊल-जलूल, उटपटांग परोसता रहता है। यह  बात अलग है कि आजकल उल्टी-सीधी चीजें ही ज्यादा पसंद की जाती हैं, भले ही उनमें गुणवत्ता न हो ! इस कंपनी के ताजा विज्ञापन का विषय फिर इंडो-पाक बार्डर है..........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
दुनिया भर में उत्पादनकर्ता अपने अच्छे-बुरे उत्पादनों के लिए विज्ञापनों का सहारा लेते रहते हैं। अब तो लगता है कि उत्पाद से ज्यादा जरुरी विज्ञापन हो गए हैं ! होड़ लगी हुई है कि कैसे उपभोक्ता के दिमाग को कुंद कर उसकी बुद्धि को अपने हित के लिए उपयोग किया जाए ! ऐसा नहीं है कि अच्छे विज्ञापन नहीं बनते पर उनका प्रतिशत, उल-जलूल, भ्रामक व घटिया इश्तिहारों से कम ही है। बाजार को हथियाने की कोशिश में बहुतेरी बार इस अंधी दौड़ में शामिल, दूसरों की बजाए अपने उत्पाद को श्रेष्ठ दिखाने के लिए विज्ञापन बनाने वाले अपनी हदें पार कर जाते हैं।

ऐसा ही एक उत्पाद है,  #FOGG नाम का परफ्यूम, जो हट कर विज्ञापन देने के चक्कर में कुछ भी ऊल-जलूल, उटपटांग परोसता रहता है। यह  बात अलग है कि आजकल उल्टी-सीधी चीजें ही ज्यादा पसंद की जाती
हैं, भले ही उनमें गुणवत्ता न हो ! इस कंपनी के ताजा विज्ञापन का विषय फिर इंडो-पाक बार्डर है।  सतही तौर या पहली नजर में इसमें कुछ आपत्तिजनक नजर नहीं आता ! पर ध्यान दिया जाए तो कुछ बातें खटकने लायक हैं।

विज्ञापन दिखलाता है कि  कुछ पाकिस्तानी सैनिक, छिप कर सीमा पार कर इधर आ गए हैं ! तभी इन्हें किसी परफ्यूम की खुशबू आती है। जब ये पलट कर देखते हैं तो अपने पीछे एक भारतीय जवान को अपने पर मशीनगन ताने पाते हैं। पकड़े जाने पर भी उन्हें परफ्यूम के बारे में ही जिज्ञासा रहती है बजाए अपने अंजाम के ! इनके पूछने पर भारतीय जवान बताता है
कि उसने फॉग लगाया हुआ है। सरसरी तौर पर इसमें कुछ अटपटा नहीं लगता; पर चोरी-छिपे पाकिस्तानियों का इस तरह सीमा पार कर लेना क्या हमारे जवानों की कार्य-प्रणाली, उनकी क्षमता, उनकी मुस्तैदी पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाता, कि उनके होते हुए कोई दुश्मन कैसे सीमा पार कर गया ? क्या भारतीय जवान ऐसा परफ्यूम लगा कर गश्त करते हैं जिसकी खुशबू चारों ओर  महकती हो ? यदि कभी यही जवान पाक की सीमा पार करेंगे तो इनकी उपस्थिति तो दुश्मनों को परफ्यूम से ही पता चल जाएगी, बिना किसी मशक्कत के !
क्या इस ओर #रक्षामंत्रालय या #सेनाध्यक्ष महोदय का ध्यान गया होगा ?

@फोटो अंतर्जाल के सौजन्य से 

3 टिप्‍पणियां:

Rajeev Kumar Jha ने कहा…

बहुत सही कहा है.आजकल विज्ञापन और उत्पाद का कोई सामंजस्य ही नहीं दिखता.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ग्राहक का दिलो-दिमाग कब्जिया जाए ! बस !!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आवाज उठे तो फर्क जरूर पड़ता है। इसका दिखना बंद तो हुआ है !

विशिष्ट पोस्ट

"मोबिकेट" यानी मोबाइल शिष्टाचार

आज मोबाइल शिष्टाचार पर बात करना  करना ठीक ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जा रहा हो ! अधिकाँश लोग इन सब ...