सीढ़ियां चढ़ते ही सूर्यमण्डप है जो नक्काशीदार खंबों पर टिका हुआ है। इसके बीचो-बीच आठ फिट का खूबसूरत झूमर लगाया गया है। स्वर्ण-खचित द्वार के बाद गर्भ-गृह में श्री राम-जानकी व हनुमान जी की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। इसके प्रदक्षिणा-पथ में श्री राधा-कृष्ण, गणेश जी, दुर्गा माता, गौरी-शंकर व लक्ष्मी-नारायण जी की मूर्तियां स्थापित की गयी हैं..................
#हिन्दी_ब्लागिंग
छत्तीसगढ़, वैसे तो यहां श्रीराम और उनसे संबंधित अनेकों मंदिर हैं, पर चूँकि ऐसी मान्यता है कि अपने वनवासकाल के दौरान श्रीराम ने करीब ग्यारह साल इस अंचल में बिताए थे, इसलिए ऐसे धर्म-स्थलों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती जाती है। इसी श्रृंखला में, राजधानी रायपुर के एयरपोर्ट की तरफ जाने वाले व्ही.आई.पी. मार्ग पर मुड़ते ही दाहिने हाथ पर 17 एकड़ में फैले, भगवान श्रीराम के एक भव्य मंदिर का निर्माण सफ़ेद व गुलाबी संगमरमर से किया गया है। प्रांगण में खूबसूरत वाटिका बनी हुई है जिसे लवकुश वाटिका का नाम दिया गया है। हालांकि अभी कुछ काम बाकी है।
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छत्तीसगढ़, वैसे तो यहां श्रीराम और उनसे संबंधित अनेकों मंदिर हैं, पर चूँकि ऐसी मान्यता है कि अपने वनवासकाल के दौरान श्रीराम ने करीब ग्यारह साल इस अंचल में बिताए थे, इसलिए ऐसे धर्म-स्थलों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती जाती है। इसी श्रृंखला में, राजधानी रायपुर के एयरपोर्ट की तरफ जाने वाले व्ही.आई.पी. मार्ग पर मुड़ते ही दाहिने हाथ पर 17 एकड़ में फैले, भगवान श्रीराम के एक भव्य मंदिर का निर्माण सफ़ेद व गुलाबी संगमरमर से किया गया है। प्रांगण में खूबसूरत वाटिका बनी हुई है जिसे लवकुश वाटिका का नाम दिया गया है। हालांकि अभी कुछ काम बाकी है।
पूरी मान्यताओं एवं वास्तुकला को ध्यान में रख इस मंदिर का निर्माण किया गया है। बारह खंभों और तीन गुंबदों वाले इस मंदिर की ऊंचाई 109', चौड़ाई140' और लम्बाई 110' है। इसके प्रवेश द्वार के सामने ही गरुड़ स्तंभ है और मंदिर के अंदर ले जाने वाली दोनों सीढ़ियों के बीच गोस्वामी तुलसीदास जी की सुंदर प्रतिमा स्थापित की गयी है। सीढ़ियां चढ़ते ही सूर्यमण्डप है, जो नक्काशीदार खंबों पर टिका हुआ है। इसके बीचोबीच आठ फिट का खूबसूरत झूमर लगाया गया है। स्वर्ण-खचित द्वार के बाद गर्भ-गृह में श्री राम-जानकी व हनुमान जी की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। इसके प्रदक्षिणा-पथ में श्री राधा-कृष्ण, गणेश जी, दुर्गा माता, गौरी-शंकर व लक्ष्मी-नारायण जी की मूर्तियां स्थापित की गयी हैं। इसके अलावा पूरे मंदिर के लिए भी एक प्रदक्षिणा-पथ है, जिस पर भगवान विष्णु के दशावतार चित्रित हैं तथा इसे नारायण पथ का नाम दिया गया है।
मंदिर परिसर में एक नवग्रह मंदिर भी है, जहां से ज्योतिष परामर्श केंद्र संचालित किया जाता है। भक्तों-दर्शनार्थियों के लिए प्रसाद की व्यवस्था हेतु जानकी रसोई के साथ-साथ एक गौ-शाला का भी संचालन किया जाता है। इसके साथ ही एक यज्ञशाला, सतसंग भवन तथा मंदिर कार्यालय भी बने हुए हैं। आने वाले समय में यह भव्य मंदिर पर्यटकों के लिए एक मुख्य आकर्षण होने वाला है।
3 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन का हार्दिक धन्यवाद
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-02-2018) को "धरती का सिंगार" (चर्चा अंक-2868) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी,
हार्दिक धन्यवाद
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