शनिवार, 28 मई 2016

यहां ड्यूटी पर सोने वाले को थप्पड़ पड़ता है !

इमारत का रूप तो बदल गया पर यहां कार्यरत लोग अभी भी बर्टन की मौजूदगी को उसके थप्पड़ों के कारण महसूस करते हैं। 

सारे संसार में ऐसी हजारों जगहें और इमारतें हैं जिन्हें पारलौकिक शक्तियों के वशीभूत माना जाता है। इसमें कितनी सच्चाई है और कितनी अफवाह यह कभी भी परमाणित नहीं हो पाता क्योंकि दोनों पक्षों के पास अपनी बात सिद्ध करने के दसियों प्रमाण होते हैं। हमारे देश में भी ऐसी सैंकड़ों विवादित जगहें हैं जिन्हें अंजानी शक्ति के द्वारा बाधित माना जाता है। ऐसी ही एक इमारत राजस्थान के कोटा शहर में भी है जिसे बृजराज महल के रूप में जाना जाता है। 

अंग्रेजों के समय का यह सेना के अधिकारीयों का निवास स्थान, बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के मेजर चार्ल्स बर्टन को आवंटित किया गया था। इसमें वह करीब तेरह सालों तक अपने परिवार के साथ रहा। 1857 के संग्राम में उसके दो बेटों सहित यहां उसकी हत्या कर दी गयी थी। कहते हैं उस की आत्मा अभी भी इस जगह पर निवास करती है। इस बात की पुष्टि कोटा की भूतपूर्व महारानी भी कर चुकी हैं। जिनके अनुसार उन्होंने कई बार एक वृद्ध को लकड़ी के सहारे महल में घूमते देखा था। हालांकि वह किसी को परेशान नहीं करता है पर यदि कोई पहरेदार अपनी ड्यूटी की अवहेलना कर सो जाता है या कोई भी यहां धूम्रपान करता है तो उसे एक जोरदार थप्पड़ पड़ता है। मारने वाला किसी को नज़र नहीं आता। पर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो कहते हैं कि उन्होंने किसी को अंग्रेजी में ना सोने की हिदायत देते सुना है जिसकी अवहेलना पर थप्पड़ पड़ता है। 

आजादी के बाद चंबल नदी के किनारे बना यह महल कोटा के राजपरिवार की मिल्कियत हो गया था।  पर 1970 में भारत सरकार ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया और फिर करीब 178 साल पुरानी इस इमारत को 1980 में इतिहासिक विरासत बना एक होटल के रूप में बदल दिया गया। इमारत का रूप तो बदल गया पर यहां कार्यरत लोग अभी भी बर्टन की मौजूदगी को उसके थप्पड़ों के कारण महसूस करते हैं। 

7 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 30 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-05-2016) को "आस्था को किसी प्रमाण की जरुरत नहीं होती" (चर्चा अंक-2356) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यशोदा जी,
पोस्ट सम्मलित करने का आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
आभार

आत्ममुग्धा ने कहा…

दिलचस्प

आत्ममुग्धा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Sangeeta ji, swagat hai

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